मस्त विचार 4285
नाराज़गी है दिल मे तो खुल कर गिला करो,
में ऐसा शख्स हूँ फिर भी हंस के मिलूंगा..
में ऐसा शख्स हूँ फिर भी हंस के मिलूंगा..
तुमको खुद से ज्यादा चाहा,…क्या इसलिए…??
जानता हूं कोशिश चाहे जितनी भी कर लूं, मगर गुनाह मुझसे होते ही रहेंगे..
_ हम इसे पहनते भी नहीं और फैंकते भी नहीं.!!
वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ…ख़ामोशी से गुजर जाऊँगा”
_ जो व्यक्ति अपने सही और मेहनत के मार्ग को नहीं छोड़ता, अंत में वो जीत जाता है.!!
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी रुपए नहीं होते..
_ उसे शब्दों में लाना सदैव कष्ट का ही कारण बनेगा.!!