सुविचार 4531
पर्याप्त मानसिक प्रयत्नों के बाद मनुष्य क्या पा सकता है,
इस की कोई सीमा नहीं होती है.
इस की कोई सीमा नहीं होती है.
अकेला ही काफ़ी हूँ ये दुनिया झुकाने के लिए…!!
जिनके आँखों मे आंसू नहीं उनके सिने मे दर्द बेहिसाब होता है.
पर उस रास्ते पर आपको कोई गिरा नहीं सकता.
मैं तो अपने यक़ीन पर शर्मिंदा हूँ..
यही बात कोई आपके बारे में बोले तो, आपको कैसा लगेगा !
_ ताकि हम ये जान सकें कि किस जैसा नहीं बनना है.!!