सुविचार 4563
हित चाहने वाला पराया भी अपना है, और अहित करने वाला अपना भी पराया है.
एक बार जो पराया महसूस करवा दे, फ़िर वो लाख अच्छी बातें कर ले वो पराया ही लगता है.!!
आप अपने विचार और भावना के साथ जिस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वही आप अपने अनुभव में आकर्षित करते हैं.
ये भी एक अंदाज़ होता है नाराज़ होने का..
बुरा नहीं हूं मैं, बस अपनों की मेहरबानी है.
गुजरी हुई बहार की एक यादगार हूँ.
_ जब तक हम उलझन को सुलझाने का प्रयास नहीं करते.
इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं है.