मस्त विचार 4436
बदला नहीं हूं मैं, कुछ मेरी भी कहानी है ;
बुरा नहीं हूं मैं, बस अपनों की मेहरबानी है.
बुरा नहीं हूं मैं, बस अपनों की मेहरबानी है.
गुजरी हुई बहार की एक यादगार हूँ.
_ जब तक हम उलझन को सुलझाने का प्रयास नहीं करते.
इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं है.
तब ही से दूर बैठा हूं सब से…
लेकिन उम्मीद से ज्यादा मिली हुई चीज,,,,लोगों को चुभने लगती है..
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की.
” समय, व्यक्ति और संबंध “
आप जिस चीज के बारे में सबसे ज्यादा सोचते हैं, वही आपके जीवन में घटित होती है.