सुविचार 4371
हद पार कर जाये तो अजनबी बन जाना ही मुनासिब होता है.
हद पार कर जाये तो अजनबी बन जाना ही मुनासिब होता है.
“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी धीमी गति से चलते हैं, जब तक आप रुकते नहीं हैं, ” कभी हार मत मानो…
क्योकि हर फल का स्वाद अलग अलग होता है.
_ सब कुछ तो ” गिरवी ” पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में..!!
_ ये हमारी भावनाओं पर निर्भर करता है.
_ वो जाने कितनों की ही भावनाएं होती हैं..!!
थकने के बाद शाम होती है या शाम होने के वजह से थकान..
रास्ते का थका वह मुसाफिर हूँ मैं.
लेकिन जब कोई अपनों से धोखा खाता है तो मौन हो जाता है..
वही याद कर के आँसू आते है अब….