मस्त विचार 4117
और मैं सब से कह रहा हूं मुकद्दर खराब है..
और मैं सब से कह रहा हूं मुकद्दर खराब है..
यह कभी न सोचें कि आप पहले से ही सब कुछ जानते हैं. आपका कितना भी मूल्यांकन क्यों न किया जाए, हमेशा अपने आप से यह कहने का साहस रखें- मैं अज्ञानी हूं.
जिन्हें हम कमजोर लम्हों में अपनी सारी सच्चाईयाँ सौंप देते हैं.
उसने मेरी जिंदगी तमाम कर दी…
_या तो मुझे कोई रास्ता मिल जायेगा या मैं बना लूँगा..
बिछड़कर फिर ज़िंदा कैसे रह गए.
_ रूह तो उत्तरी थी जमीं पे, मंज़िल का पता लेकर..!!
_ क्योंकि झूठी उड़ान अंत में गिरावट ही देती है.
हमने उनसे आशाएं रखी,,,,जिनसे हमें नहीं रखनी चाहिए थी.
_ महज़ पचास साठ साल की जिंदगी में ही इतनी बेचारगी,
_ बेबसी और बोझ है की जिंदगी मजबूरी बन जाती है…!!!
” इसलिए समझदारी और ज्ञान के साथ जियें ”
_ दुनिया का हर चिराग हवा की नज़र में है..!!