सुविचार 4208
मन का विकास एक संतुलित अवस्था विकसित करने और सोचने से महसूस करने की ओर जाना है.
मन कि बात करो तो किस से ?
_ जो भी हैं वो भी उलझन में हैं,
उनके मन के आगे पेट खड़ा है..!!
_ जो भी हैं वो भी उलझन में हैं,
उनके मन के आगे पेट खड़ा है..!!
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे.…।
किन्तु इनकी ध्वनि अनन्त तक गूँजती रहती है.
अपने लक्ष्यों की कल्पना करें, अपना दिमाग उन चीज़ों पर केंद्रित रखें जो आप चाहते हैं और आप कौन बनना चाहते हैं.
_ वहां नज़रिया बदलकर देखने की ज़रूरत होती है.!!
वह व्यक्ति दिल और दिमाग दोनों में रहता है !
ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है.
शायद हमें नहीं आता किसी के दिल में जगह बनाना.