तुम रौंद सकते हो सभी फूलों को, मगर तुम बसंत को आने से नहीं रोक सकते.
शायद हमारे पास अभी भी वक़्त है ” सही होने और सही बन पाने के लिए “
ऐसे मौके आ सकते हैं जब हम अन्याय को रोक पाने में ख़ुद को कमजोर पाएं, लेकिन
ऐसा कोई मौका हर्गिज नहीं आना चाहिए जब हम अन्याय का विरोध करने में चूक जाएँ.