” आज से बीस साल बाद आप उन चीजों से ज्यादा निराश होंगे जो आपने नहीं कीं _बजाय उन चीजों से जो आपने कीं”
“आज से बीस साल बाद आप यह सोचकर निराश हो उठोगे कि आपको वह सब नहीं करना चाहिए था जो आप कर बैठे. इसीलिए मैं आपसे कहता हूँ कि अपने पाल गिरा दो और सुरक्षित बंदरगाहों से बहुत दूर चले जाओ. पूर्वी हवाओं को पकड़ कर अपने सपनों की राह पर चलते चलो. जाने कितना कुछ अभी खोजने के लिए है !”
यह कहते हुए न घूमें कि दुनिया आपके लिए जीवित है। दुनिया को आपसे कुछ नहीं चाहिए। यह यहाँ पहले से ही थी.
ये बेहतर है कि आप सम्मान के लायक हों और वो आपको ना मिले बजाय इसके कि वो आपको मिले और आप उसके लायक ना हों.
यदि आप सत्य बोलते हैं, तो इसके आलावा आपको कुछ भी और याद रखने की जरूरत नहीं है.
“बोल कर सारा संदेह ख़तम कर देने से अच्छा है चुप रह कर बेवकूफ समझा जाना”
भले ही आप कपडे पहनने में लापरवाह रहिये पर अपनी आत्मा को दुरुस्त रखिये.
हमेशा सही करें. ये कुछ लोगों को संतुष्ट करेगा और बाकियों को अचंभित.
इंसान ही एक ऐसा प्राणी है जो शर्मिंदा होता है- या जिसे जरूरत पड़ती है.