वीर पूजा जैसे वीर बन कर ही हो सकती है, वैसे ही गरीबों की सेवा गरीब बन कर ही हो सकेगी.
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहाँ न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा.
विचारकों को जो चीज़ आज स्पष्ट दीखती है दुनिया उस पर कल अमल करती है.
जब तक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती, तब तक लाभ दिखायी नहीं देता. लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है.
प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नयी कोंपलें फूटते रहना. नयी कल्पना, नया उत्साह, नयी खोज और नयी स्फूर्ति प्रतिभा के लक्छ्ण हैं.
मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो, उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है.
स्वतंत्रता जन्मसिद्ध हक़ नहीं, कर्मसिद्ध हक़ है.