अनगिनत सीढियाँ उतरने के बाद एक किताब समझी जाती है.
जब जेब से छूटता है तो कष्ट देता ही है.
………पेड़ का नहीं.
जब तक उसमे आप का मन नहीं समा पाये.
और संतुष्ट लाभ का.
यही व्यवसाय की विफलता का कारण बन जाता है.
आँखें उतनी अच्छी तरह से खुलेंगी.
उतनी ही अधिक कसी हुई होगी उसमें कैद पछी की इच्छाएँ.
तभी उसे अधिक लोग स्वीकारेंगे.
पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार की धरोहर बनकर रहती है.
अपने व्यापार को बढ़ते हुए देखना चाहता है.
आपके पाँव फिर लड़खड़ाते नहीं हैं.
अनेक लोगों की चिन्ता का कारण बन जाता है.
उनका इंतजार नहीं करना चाहिए.
जिन्हें हमारी चिन्ता नहीं होती.
अकेले व्यक्ति से हमेशा मजबूत होता है.
दूसरा दुःख आये ही नहीं.
महत्वपूर्ण यह है कि आप उससे क्या सीखते हैं.
उसे स्वयं ही तैयार करना होता है.
हर बार रेस में पहले से तेज दौड़ने का प्रयास करता है.
वे दूर रहकर भी इसे निभा लेते हैं.
दूसरे तट तक पहुँचने को.
और ज्ञानी को बहुत सारा.
जिनसे कभी पीछा नहीं छूटता.
फिर भुलाने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा.
लेकिन आँसू कभी नहीं.
और रुके हुए के पास सब कुछ प्राचीन.
लेकिन आकाश का अन्तिम छोर उसे कभी नहीं मिलता.
अमृत की तरह पी जाता है.
लेकिन चुनना सिर्फ एक को ही होता है.
और घृणा दूर रहने के लिए.
आस -पास रह कर ही आपके धैर्य की परीछा लेती रहती हैं.
जहाँ उसे कोई मदद न पहुँचे.
लेकिन बच्चों के संघर्ष को नहीं.
अपनी गुफा से निकलने नहीं देता.
कि वह चीजों को काटने के सिवा दूसरा कोई भी काम नहीं करती है.
अधिक विकल्पों के पीछे नहीं भागते हैं.
जब उसमें पौधे उगते हैं.
लेकिन खेत नहीं.
आपको फल- फूल देने के लिए.
लेकिन शाम तक वह इतना प्राप्त कर लेता है कि कुछ गरीब भी इसमें से खा सकें.
तब तक वह खूबसूरत रहेगा.
उसे बेसहारा होने का भय अधिक सताता ही.
कि उनका आना हमेशा हमें आश्चर्यचकित कर देता ही.
गरीब के पास केवल उसका श्रम.
जैसे छिपकली पतंगों को.
लेकिन जब जागें तो दुबारा जीतने के इरादे के साथ.
लेकिन उसमें डूबना बहुत गहरा पड़ता है.
रास्ता तिनके चुनने जितना सरल होता है.
उसके पाँव काँटों से हमेशा दूरी बनाकर चलते हैं.
तो सामने एक मजबूत दीवार खड़ी मिलेगी.