Quotes by नरेश अग्रवाल

तालाब में कमल उगाने की तरह प्रकृति अनेक तरीकों से स्वयं को सजाती है.
कमल खिलने के बाद ही मालूम होता है कि तालाब के पास भी ऐसे सुन्दर बीज थे.
परिवार के चंद लोगों का प्रेम ईर्ष्या करने वाले हजारों लोगों पर भारी पड़ता है.
विधवा संसार की सबसे संघर्षशील महिला होती है. इसे हर दिन अपने खोये हुए सुख को पाने के लिए चेष्टा करनी पड़ती है.
अपने टुटे हुए संसार को फिर से जोड़ लेना पुनर्जन्म है.
अनुशासनहीन व्यक्ति बार- बार घृणित कार्यों में फंस जाता है.
सभी जानवर संगठित हो जाय तो शेर गीदड़ ही है.
सुई धागे से कपड़ों को जोड़कर खुद अलग हो जाती है.
किसी गुप्त बात के लिए मन से सुरछित जगह कोई दूसरी नहीं है.
स्नेह हमेशा गुलाब की पंखुड़ियों जैसा कोमल स्पर्श देता है.
घुटन भरी जिंदगी बिना ताले की कैद है.
लड़ाई से घर उजड़ते हैं और उसके दुख से शरीर.
कभी- कभी अपने लाभ के लिए आपको मुश्किलों में ढकेल दिया जाता है.
अनेक बार चोट खा चुके शरीर के हर अंग में सजगता आ जाती है.
काम की लगन से समय अवसर में बदल जाता है.
हिम्मत से दुबारा खड़ा होना, अपने खोये समय में पुनः प्रवेश ही है.
समाज में प्रेम बढ़ने से सुरछा की दृढ दीवार तैयार होती जाती है.
मेढक कुंए में खुश रहता है और पछी आकाश में.
हथकड़ी केवल हाथ बांधती है, मुसीबत पूरा शरीर.
असफलता को बिना घबराये धुंध की तरह धीरे- धीरे पार किया जाता है.
पत्नी के बिना परिवार की छत दीवारविहीन हो जाती है.
असंतुष्ट लोगों से घिरा व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं हो पाता.
जूतों की तरह लोग आदत को भी आसानी से पहन लेते हैं.
इस दुनिया में अत्यधिक हक चाहने वाले हमेशा दुखी रहते हैं.
एक पिता को बच्चों की जिद पूरी करके भी खुश रहना पड़ता है.
पुत्र की लंबी परेशानी, पिता के लिए हर दिन चुभता काँटा है.
पुत्र की स्वस्थ बुद्धि माता – पिता को भी स्फूर्ति देती है.
हानि दल दल की तरह होती है, उपर से समतल, भीतर से गहराई लिये हुए.
ज्ञान ही है जो लोगों को बिना धागे के भी कठपुतली की तरह नचा पाता है.
मस्तिष्क को भी कुंए की तरह स्वयं में ज्ञान भरना पड़ता है.
सब की इच्छा रहती है उसका साधारण काम भी सोने से तौला जाए.
बच्चों को पालने का सुख माता को मिलता हैं और उनके जीवन को सही ढाँचे में ढालने का सुख पिता को.
समय हर पल सरकती चादर की तरह है.
खिलौना निर्जीव होता है, लेकिन बच्चों के लिए जीता जागता.
भीड़ के जैसा सपना देखने वाले उसी में खो जाते हैं.
नंगे पांव चलने वालों को ही मालूम हो पाता है कि यह धरती कितने तरह का स्पर्श देती है.
अपनी सीमा से बाहर जाना विघ्नों को निमंत्रण देना है.
सुन्दरता समय के साथ ढलने लगती है, लेकिन ज्ञान समय के साथ निखरने लगता है.
उपलब्धियों का प्रवाह रुक जाने पर आदमी अपने पंख कटे हुए महसूस करता है.
अनावश्यक हस्तछेप पानी पर कुदाल मारने जैसा ही होता है.
अच्छा साथी आपके थके पाँव भी आगे ले जाता है.
एक पेड़ के पास दो ही विकल्प होते हैं या तो अपने को स्थापित कर लेना या झोंकों से गिर जाना.
बच्चे अधिकारपूर्वक बैठते हैं तो केवल अपनी माँ की गोद में.
तिजोरी पैसों से भरती है लेकिन मन केवल विद्या से.
अच्छे काम का चुनाव आपको वह जमीन देता है जिस पर आप बहुत तेज दौड़ सकते हैं.
खर्च एक कुदाल है, जिसका प्रहार हमेशा आपकी जेब पर ही होता है.
मूर्खता का काम ही है, अंधेरे को ढोकर चारों और फैलाना.
रात और दिन इस तरह से जुड़े हैं जैसे पिछले और अगला शरीर.
काँटे सभी के लिए विपछ होते हैं और फूल पछ.
इच्छा के विरुद्ध किसी से काम करवाना, काम को जोखिम में डालना है.
जिन्हें सीढ़ी चढ़ना बोझ लगता है, वे आकाश कभी देख नहीं पाते.
एक विकसित समाज गर्भ से बच्चे की कामना करेगा, न कि बेटा या बेटी.
यौवन को ठीक से न जीने पर वह बुढ़ापा ही है.
कर्ज में डूबा हुआ शरीर अपना खून हर दिन सूदखोरों को पिलाता रहता है.
जिनसे प्यार होता है, उसका छोटा सा दुख भी चुभने लगता है.
जो प्यार एक बच्चे को अपनी माँ की गोद में मिला होता है, वैसा फिर उसे कभी नहीं मिलता.
तावे का एक शिरा आग में दूसरा रोटी में होता है, इसी तरह दुःख और सुख के बीच खेलता है मनुष्य का जीवन.
आदमी चुप नहीं रह सकता या तो वह दूसरों से बातें करेगा या अपने आप से.
उत्कृष्ट शिछा का प्रवाह शिछार्थी पर झरने की तरह गिरता है.
सच्ची जिद में एक भरोसा छुपा होता है सबसे सुंदर को पा लेने का.
हर गुलाब प्यारा होता है और हर कांटा चुभने वाला.
जिसे सब कुछ एक पल में चाहिए वही बार- बार हारता है.
घनिष्ठ परिवार में एक सदस्य की खुशी सभी के चेहरे पर दिखलाई पड़ती है.
लगातार ढूंढ़ने रहने से भाग्य की दुर्लभता भी दिख जाती है.
पिता बेटी के घर आने की खुशी नहीं, बल्कि ससुराल से मिली खुशी को देखना चाहता है.
दूसरों से काम लेने का हुनर एक चतुर शासक में सर्वाधिक होता है.
अच्छे हैं वे आँसू जो अपना दुःख स्वयं ही झेल लेते हैं.
कुल्हाड़ी नष्ट नहीं होती, नष्ट हो जाते हैं केवल पेड़.
सबसे बड़ा धोखेबाज वही होता है जिसके धोखे को लोग समझ ही नहीं पाते हैं.
अनगिनत सीढियाँ चढ़ने के बाद एक किताब लिखी जाती है,

अनगिनत सीढियाँ उतरने के बाद एक किताब समझी जाती है.

कुछ पुस्तकें हम हमेशा बचा के रखते हैं, चाहे उन्हें पढ़ें या न पढ़ें लेकिन उनसे कुछ न कुछ पाने का मोह आजीवन बना रहता है.
भ्रमित लोग भ्र्म से निकलते- निकलते फिर उसी में उलझ जाते हैं.
आदमी चुप नहीं रह सकता या तो वह दूसरों से बातें करेगा या अपने आप से.
हिरण हमेशा अपने लिए भागता है, घोड़ा दूसरों के लिए.
सूरज श्रमिकों के हाथों में उदय होकर, उनकी थकान में ही डूब जाता है.
माँ बच्चे को उसी तरह दूध पिलाती है जैसे जड़ें अपने वृछ को.
बड़ी सम्पदा को हासिल करने पर लोग बुद्धिमान और गंवाने पर मूर्ख कहलाते हैं.
मूर्ख दूसरों की मलिनता को चुराने में भी संकोच नहीं करते.
कमजोर व्यक्ति ही अपनी कठिनाई सबको बताते चलते हैं.
रात और दिन, समय के ही दूसरे नाम हैं.
अत्यधिक प्रलोभन किसी का भी हाल कांटे में फंसी मछलियों जैसा करा देता है.
कंधे पर बैठी समस्या, एक दिन पीठ तोड़ देती है.
प्रेम के आँसू खुशियाँ लाते हैं और दुःख के घबराहट.
जिस काम में आप पूरा रम जाते हैं, वह ही आप का शौक है.
पैसा चाहे कितना भी सुख क्यों न दे,

जब जेब से छूटता है तो कष्ट देता ही है.

हर सफलता आदमी के ऊर्जा- भण्डार को बढ़ा देती है.
पेड़ काटने वाला केवल लकड़ियों का मोल जानता है,

………पेड़ का नहीं.

बड़े घर का कोई लाभ नहीं,

जब तक उसमे आप का मन नहीं समा पाये.

कलह भरे घर में केवल थकान होती है.
मेहनती हमेशा महसूस करता है, उससे कुछ छूट रहा है जिसे हासिल करना है.
बड़ी परेशानी बाढ़ का घेरा ही है.
अंगूठे का निशान अज्ञानता का टीका है.
सभी का जीवन वैसी कैद में है जिसकी दीवारें अदृश्य है.
रोक – टोक, मजबूती नापने का पैमाना है.
असंतुष्ट दूसरों को नुकसान पहुंचाने का मौका ढूंढते हैं

और संतुष्ट लाभ का.

छोटी- सी आमदनी को बड़ा खर्च उसी तरह निगलता है जैसे छिपकली पतंगों को.
हुनर की श्रेष्ठता वैसे ही दौड़ती है जैसे रेस में कोई घोडा.
चाँदनी रोटी के टुकड़ों की तरह ही सभी को अपने प्रकाश से थोड़ा- थोड़ा तृप्त करती है.
हजारों मधुमखियों का श्रम एक पल में लूट लिया जाता है.
धुंध की तरह अभाव में भी आगे का कुछ भी नहीं सूझता.
जितनी बार आप अच्छी तरह से आँखें खोलते हैं, उतनी बार कुछ न कुछ नया सीख लेते हैं.
जब तक आप अपनी आँखों से नहीं देखेंगे तब तक दूसरों की आँखें आपको भ्रमित करती रहेंगी.
असल कलाकृति वो है जिससे दर्शकों की आँख ही चिपक जाए.
कदम- कदम पर दुर्घटना छिपी है, आप आँख खोल कर चलें तो उनसे बच सकते हैं.
अपशब्द एक चिंगारी है, जो कानों में नहीं मन में जाकर जलती है.
अनुभव अंधकार में भी खोजने के लिए आँखे देता है.
किसी की भलाई करने के बाद सम्मान चाहने पर अपमान भी मिल सकता है. लेकिन केवल संतुष्टि चाहने पर, इसे कोई नहीं रोक सकता.
अफसोस करने के लिए सौ बातें भी कम पड़ जाती हैं, जबकि खुश होने के लिए सिर्फ एक ही काफी हैं.
अच्छे लोग किसी के लिए बुरा सोचते- सोचते भी अच्छा सोचने लगते हैं.
दूषित आचरण जब आपके स्वजनों में हो तो ये वैसे काँटें हैं जिन्हें आप काट भी नहीं सकते और न चुभने से रोक सकते हैं.
किसी भी चीज के पीछे पड़ कर उसे सीखने की आदत महान लोगों में होती हैं.
कानों में आश्वासन भरना सस्ता होता है लेकिन मुख में स्वाद डालना महंगा.
दूसरों से मिला सहारा हट जाए, इससे पहले अपनी पीठ मजबूत कर लेनी चाहिए.
पत्नी की देखभाल न होना, घर का पलस्तर झड़ने जैसा ही है.
जो रेगिस्तान मनुष्य के पाँव बाँध देता है, ऊँट के वही खोल देता है.
गिलहरी उस कच्ची डाल पर अपने पाँव नहीं रखती, जो कि उसका बोझ ही न सह सके.
आप चाहे कहीं भी जाएँ, विपछ वहाँ खड़ा मिलेगा.
प्रत्येक आदमी के साथ एक अच्छी बात जुड़ी है कि वह अपना बुरा कभी नहीं चाहता.
संतुष्ट मन केवल अपने भीतर का यात्री होता है.
बिना प्यार के सौन्दर्य जल्द ही सूख जाता है.
एक सुन्दर झील उन्हीं की दोस्त होती है जो उसे सुन्दर रखते हैं.
एक पेड़ के पास दो ही विकल्प होते हैं, या तो अपने को स्थापित कर लेना या झोंकों से गिर जाना.
आगे बढ़ने वाले लोग अधिक दिनों तक किसी का सहारा नहीं लेते.
सादगी में सूने हाथ भी आभूषण से सजे महसूस होते हैं.
एक शेर पिंजरे में भी शेर ही बनकर रहना चाहता है.
कुछ परेशानियाँ ऐसी होती हैं जिनका इलाज केवल स्वयं के द्वारा ही हो सकता है.
दिल बार- बार टुटने पर भी फिर से जी उठता है.
आप सौंदर्य प्रसाधनों से चेहरे को खुबसूरत बना सकते हैं, लेकिन आपकी वाणी को नहीं.
वो घर कभी नहीं टूटता जहाँ स्त्रियों की इज्जत होती है.
सम्मान भरा तिलक भी उन्हीं को शोभता है, जो इसके लायक होते हैं.
आप में धन की तृष्णा बहुत अधिक बढ़ने पर एक दिन आप पायेंगे आप जी नहीं रहे हैं, धन के पीछे मर रहे हैं.
हमारी उपलब्धियां छोटी और बड़ी उपलब्धियों का मिश्रण ही है.
काम का तरीका बदलने से, थकान अक्सर मुस्कान बन जाती है.
सारी शक्तियों को एक साथ लगा देने से आदमी थक जाता है. धीरे- धीरे लगाने से थकान से निजात पाता जाता है.
दर्पण पर इसलिए क्रोध मत कीजियेगा कि वह आपकी झुर्रियां दिखलाता है.
सुरछित शहर में बंद और खुले दरवाजे में कोई फर्क नहीं रह जाता.
दुर्लभता का अस्तित्व वहीं तक है, जब तक हम वहां नहीं पहुंचते हैं.
जब आप एक बहुत बड़े समूह को काम देते हैं, देश के एक छोटे से हिस्से का पूरा प्रबंधन आपके पास होता है.
एक अच्छे प्रबंधक के पास बहुत सारी सफलताएं तो होती हैं, लेकिन आजीवन दूसरों की गलतियों को देखने एवं सुधारने का काम भी मिला होता है.
शहर से बच्चे दूर चले जाते हैं लेकिन पिता के प्रेम से नहीं. पिता अपने मन की आँखों से भी पुत्र जो देख रहा होता है, उसे देखने की कोशिश करता है.
सजगता जीभ को ही नहीं पूरे संसार को सम्भाले रखती है.
इस दुनिया में अत्यधिक हक चाहने वाले हमेशा दुखी रहते हैं.
एक छोटे से हीरे का बोझ भी इतना भारी होता है कि आँखों की निगरानी थक जाती है.
अनावश्यक हस्तछेप पानी पर कुदाल मारने जैसा ही होता है.
एक जगह पर खड़ा रहने पर संसार छोटा लगता है और बढ़ते जाने पर बहुत बड़ा.
इच्छाएं सांप के सिर की तरह आगे- आगे चलती हैं और शरीर उसके पीछे- पीछे.
सीढ़ी मजबूत हो तो आसमान तक आपको उठा सकती है.
लड़ रहे सैनिकों की मित्रता वैसी ही होती है जैसी बारिश में असंख्य बूंदों की.
जब आप किसी को लाभ से वंचित करने का प्रयास करते हैं तो आप विरोधी हो जाते हैं.
समय काटने के साधन हों तो फिर बुढ़ापा याद नहीं रहता है.
हमेशा दूसरों पर आश्रित रहना, अपनी बुद्धि को गिरवी रख देने जैसा ही है.
दूसरों के मामले में उतना ही उलझें, जहां से तुरन्त बाहर आ सकें.
अपनी जिम्मेवारियां पूरी किये बिना अपने परिवार से प्रेम पाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.
दबी हुई प्रतिभा अनुकूल समय आने पर बहुत बड़ा आकार ले लेती है.
आप कोई भी काम करें, प्रतिस्पर्धा आपके सामने होगी.
आपको पैसे से चाहे प्यार हो न हो, लेकिन पैसा आपको लुभाने की कोशिश हमेशा करता रहेगा.
सफलता हमेशा प्रत्यछ दिखलाई देती है, लेकिन संघर्ष हमेशा छुपा रहता है.
बुरे लोगों को सुधर जाने का मौका जिंदगी हर दिन देती है.
ज्ञानी को प्राकृतिक सुन्दरता संतुष्ट करती है, अज्ञानी को कृत्रिम.
जब आप सबसे आगे होते हैं तो स्पर्धा आपके पीछे- पीछे चल रही होती है.
जड़ों का संघर्ष कभी दिखलाई नहीं देता.
संसार ढोने में रुई जैसा लगता है और न ढोने पर पहाड़.
धन की सुरछा तिजोरी भी कर लेती है, तन की सुरछा स्वयं करनी पड़ती है.
मजबूरी में खतरे को झेलने की कोई सीमा नहीं होती.
एक सच्चा समाज सेवक कुंए की बाल्टी की तरह लोगों के लिए काम करता है.
बचपन में पुत्र- पिता के पास बैठकर और बुढ़ापे में पिता- पुत्र के पास बैठकर अधिक सुख पाता है.
गाँव में समाज हर जगह दिखलायी देता है, जबकि शहर में उसे ढूंढ़ना पड़ता है.
साधारण मूल्य पर प्राप्त हुई शिछा भी समय आने पर अपना असाधारण मूल्य वसूलती है.
शिछित को लोग स्तंभ की तरह देखते हैं और अशिछित को अन्जान की तरह.
सफलता के उस वेग को अपने भीतर उतारना जरुरी है जो आपको समंदर बना दे.
शरीर में छुपे बचपन, यौवन और बुढ़ापा बारी- बारी से बाहर झाँकते हैं.
जो अत्यधिक विरोध में भी आगे बढ़ने की छमता रखता है, उसकी शक्ति अतुलनीय है.
उस शिछा को हासिल करना जरुरी है जो दूसरों के पास मशाल बन कर जल रही है.
कोई अचानक अमीर बन सकता है, लेकिन विद्वान नहीं.
जब आप सचमुच बहुत सारे लोगों की चिन्ता करते हैं तो आपमें जरूर एक मुखिया का गुण है.
व्यस्त लोगों को एक छोटी सी मुलाकात में ही प्रभावित करना होता है.
गाँव की मिट्टी में जो खुशबू है वही लोक भाषा में भी है.
अधूरे कामों से कुछ पाने की इच्छा केवल मूर्ख ही करते हैं.
एक यात्रा से जो मिलता है वो इतना विशाल होता है कि उसे केवल आपका मन ही धारण कर सकता है.
भीड़ की एक खासियत है कि वह आश्वासनों को बड़े धैर्य से सुनती है.
बच्चे के लिए माँ का आँचल ही सबसे सुरछित घर है.
दूसरों की मदद के लिए हर कोई सछम होता है. किंतु ऐसा करते कुछ ही लोग हैं.
आप मुसीबतों को खींचते जाएं, एक दिन आपको बांधकर रखने वाली रस्सी जरूर टुटेगी.
भिछुक इतना कम मांगता है कि गरीब भी उसे संतुष्ट कर दे, लेकिन शाम तक वह इतना प्राप्त कर लेता है कि कुछ गरीब भी इसमें से खा सकें.
भीड़ में उन्हीं चेहरों को पहचाना जाता है, जिन्होंने अपनी पहचान बना ली है.
पति के मूल्यवान खजाने में उसकी पत्नी का नाम सबसे पहले होता है.
प्रेम प्रकृति के भीतर इतना प्रचुर घुला होता है कि वह कभी खत्म नहीं होता.
गरीब- अमीर के आधार पर वर्ग विभाजन हो सकता है, लेकिन सुख – दुख के आधार पर कभी नहीं.
ईर्ष्या कभी लागों को एकजुट नहीं होने देती.
सीढ़ियां ऊपर ले जाती है, विपदाएँ नीचे.
जीत वर्षों के इन्तजार के बाद आती है और हार एक पल में.
प्रत्येक मनुष्य में यह खासियत है कि वह कोई न कोई काम बहुत अच्छी तरह से कर सकता है.
केवल स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ संसार में विचरन कर पाता है.
एक पेड़ हर जीव को अलग- अलग तरह से अपने में पनाह देता है.
एक मां की तकलीफ पैसों से कम, प्यार से अधिक दूर होती है.
एक फल के पीछे लाखों जड़ों की मेहनत छिपी होती है.
मौन का अभ्यास आपमें सोच समझकर बोलने की प्रवृत्ति को विकसित करता है.
मूर्ख, दी गयी चेतावनी दो पल में तोड़ देते हैं.
अगर आदमी सिर्फ अपनी एक विशिष्टता का भी सौदा करके प्रचुर धन कमा लेता है तो वह सफल है.
किसी भी चीज को पाने की छटपटाहट, आपको उस तक पहुंचने का मार्ग बतला देगी.
थक जाने पर शरीर किसी भी आनन्ददायी चीज का साथ छोड़ देता है.
बच्चे जब तक सत्य को पहचानना नही सीख जाते तब तक वे नासमझ ही हैं.
जहां रास्ते बंद होते हैं, ठीक उन्हीं की बगल से एक नया रास्ता निकलता है, आपको मंजिल तक पहुंचाने के लिए.
जो आज आप से रोजगार पाते हैं, कल दूसरों को रोजगार देने लायक बनते हैं.
लोभी अपनी इच्छा को हमेशा दूसरों के सामने किसी न किसी रूप में रखने की चेष्टा करता है.
आप लोगों को स्थायी लाभ की चीजें देकर ही अपनी ख्याति को स्थायी कर पाते हैं.
आलसी लोग ही दुनिया में सबसे अधिक ठगे जाते हैं.
किसी भी सफल व्यक्ति का जीवन अनेक चमत्कारों से भरा होता है.
जिन्दगी केवल आपकी अपनी नहीं, दूसरों को भी इससे कुछ पाने की उम्मीद रहती है.
सत्य दिखाने वाला दर्पण हमेशा हाथों से ढक दिया जाता है.
पारदर्शी कांच से रोशनी तो प्रवेश कर जाती है लेकिन हवा केवल दस्तक देती रह जाती है. इसलिए जो रास्ते एक के लिए सुगम होते हैं, दूसरे उनका अनुसरण करके धोखा खा जाते हैं.
आपकी अत्यधिक लगन, विषयों के छिपे हुए अनेक पहलुओं को टटोलने लगती है.
एक बहादुर की मौत से देश की एक बड़ी डाल टूट जाती है.
एक व्यवसाय में भूमि, पूंजी, श्रम, ऊर्जा, मशीनों, आदि सभी को एक साथ मथने पर ही लाभ निकल कर आता है.
डरे लोग हमेशा दूसरों को शंका की दृष्टि से देखते हैं.
जानवर या तो अपनी भूख से परेशान होते हैं या अपने से बड़े जानवरों को भूखा देखकर.
एक बीज को अपनी जगह पर ही पूरा जीवन काटना होता है, चाहे वह अच्छी हो या बुरी.
काबिल व्यक्ति के जब पांव चलने लगते हैं तो व्यवस्था एक नया मोड़ ले लेती है.
अपना बड़प्पन दिखाने का शौक भी आदमी को बहुत सारी उलझनों में डाल देता है.
शिकार के समय शेर के पंजों में अध्भुत बल दिखाई देता है और हिरन के पैरों में अध्भुत वेग.
जिनके पैसों में तेज दौड़ने की ताकत होती है, वे ही लाभ लेकर वापस लौटते हैं.
अपने टूटे हुए संसार को फिर से जोड़ लेना पुनर्जन्म ही है.
बुढ़ापे में अपनों से प्रेम पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है.
जो रास्ते आसान होंगे, वहाँ हमेशा भीड़ दिखाई देगी और मुश्किल रास्ते हमेशा सुनसान.
मां छोटे बच्चे को स्कूल जाते समय, किसी बड़े सफर में जाने जैसी ही विदाई देती है.
अच्छे निर्णयों को विलम्ब से बचाकर ही द्रुतगति प्रदान की जाती है.
किसी भी तरह का विवाद आपको रोगी बना देता है.
विद्वान पढ़ते समय किताबों पर सूरज जैसी रोशनी फैलाते हैं.
स्वास्थ को धीरे- धीरे छीन रहा बुढ़ापा बहुत रुलाता है.
सूनी जिन्दगी हमेशा लालायित रहती है, अपने में नये रंग भरने के लिए.
किसान के हाथों में बीज रहें तो खेतों का माथा हरा- भरा रहता है.
जिन्हें सीढ़ी चढ़ना बोझ लगता है, वे आकाश कभी देख नहीं पाते.
जब फायदा खुश होकर देखा जाता है और नुकसान आँखें बंद करके;

यही व्यवसाय की विफलता का कारण बन जाता है.

व्यापार में उधार उन्हीं को मिलता है, जिनमें लाभ कमाने की दछता होती है.
कुशल व्यापारी वही बात करता है जिससे उसका लाभ हो, नुकसान पहुंचाने वाली बातों में चुप हो जाता है.
शांत चित्त का व्यक्ति हमेशा अच्छा व्यवहार ही करेगा.
हवा से फुर्तीला केवल मन होता है.
दुनिया तंग करनेवाले उपद्रवों से भरी पड़ी है.
आपस का वैमन्यस्य व्यस्त चबूतरे को सन्नाटे में बदल देता है.
पेड़ अपने बढ़ने का अनुशासन स्वयं ही सीखते हैं.
बलशाली समुद्र सभी नदियों का प्रवाह अपनी ओर खींच लेता है.
तिजोरी पैसों से भरती है लेकिन मन केवल विद्या से.
अच्छे काम का चुनाव आपको वह जमीन देता है जिस पर आप बहुत तेज दौड़ सकते हैं.
संगठित ताकत एक ही दिशा में बढ़े तब अपना लाभ दिखलाती है.
प्रकृति की शांति को महसूस करने के लिए आपको भी उतना ही शांत होना पडेगा.
मन जब बिल्कुल शांत हो, तब उसके भीतर झांककर अपना जमा किया हुआ ज्ञान का खजाना देखा जा सकता है.
शिछा की भूमि पर ही गर्व उपजता है.
आलसी लोग यात्रा का शौक नहीं पालते हैं.
एक व्यवसायी को चारों तरफ व्यवसाय दिखता है, जैसे पछियों को असंख्य भोजन के स्त्रोत.
एक कुशल व्यापारी की दस अँगुलियाँ, एक साथ दस तरह का काम करती हैं.
राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए लोगों को एक साथ बहुत सारी नयी- नयी चीजें, सीखनी और करनी पड़ती हैं.
केवल अनछुई गहराई में ही नवीनता वास करती है.
अनुभव भविष्य में घटित होने वाली अनेक घटनाओं को पहले ही देख लेता है.
पॉंवों की पाजेब की रुनझुन के आगे सारे महंगे आभूषण भी फीके पड़ जाते हैं.
हारने के बाद बेशक सो जायें, लेकिन जब जागें तो दुबारा जीतने के इरादे के साथ.
चेतावनी वैसा अंकुश है जिसे स्वयं पर ही लगाना होता है.
अत्यधिक विश्वास की डाल अचानक ही टूट जाती है.
संतुष्ट मन अकेलेपन को भी अमृत की तरह पी जाता है.
अवसर चूकने पर बहुमूल्य समय आँखों के सामने ही राख हो जाता है.
माता- पिता का प्रेम बच्चों के लिए आकाश की तरह सर्वत्र सुलभ होता है.
ठोकर लगने के बाद लोग महान बनते हैं न कि ठोकर देकर.
तालाब का हर छोर लोगों को उपकृत कर रहा होता है.
सभी धर्मों पर समान आस्था रखने वाला एक बड़े समूह में शामिल हो जाता है.
बुरे रास्तों में प्रलोभन शुरू से आखिर तक मौजूद रहता है.
नदी और जीवन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते.
सुई जैसे छेद से भी सूर्य अपनी उपस्थिति दर्ज करा देता है.
जो मन से अकेला हो वह भीड़ में भी अकेला ही होता है.
ईमानदार के पाँवों में तेजी देखकर बेईमान घबराने लगते हैं.
पसंदीदा व्यक्ति के पास बैठने की सभी को फुर्सत होती है.
चाकू की धार जैसा निष्कर्ष ही अधिक प्रभावी होता है.
हर घर की थोड़ी- थोड़ी रोशनी मिलकर, एक बड़ा प्रकाश स्त्रोत बन जाती है.
पुत्र जो भी लाभ भौतिक रूप से प्राप्त करता है, उसे पिता मानसिक रूप से अपने पास रखता है.
गर्मी कंठ को ही नहीं, कुँए को भी प्यासा कर देती है.
छोटी जीत चींटियों के हिस्से में आती है और बड़ी शेर जैसे बहादुरों के.
कमल का खिलना एक तालाब के लिए सबसे खूबसूरत घटना होती है.
आपसी वैर की आग अगर अपने दीये तक ही सिमित रहे तो किसी का कोई नुकसान नहीं हो.
प्रेम मिलने के लिए आतुर करता है और घृणा दूर करने के लिए.
अपनी सीमा से बाहर जाना विघ्नों को निमंत्रण देना है.
फर्क इतना ही है कि शेर का बल दहाड़ता है और हाथी का बोझ खींचता है.
हानि की परछाई में केवल भय समाया होता है.
किसी की भी परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब उसे दूसरों की चीज अत्यधिक प्यारी लगने लगती है.
अंधेरा छंट जाने पर भी लौटकर आता है. यही संसार का नियम है.
प्यार की तीव्रता जगी अवस्था में भी सपने की तरह घटित होती है.
आप अपने बच्चों की देख- रेख जिस खुशी के साथ कर लेते हैं, उतनी खुशी के साथ अपने माता- पिता की नहीं.
एक समान समस्या से ग्रसित लोग ही दूसरों के लिए अच्छी तरह से लड़ पाते हैं.
सहनशील लोगों को पानी की तरह कितनी बार ही उबालिये, फिर भी पीने योग्य बने रहेंगे.
आप तेज नहीं दौड़ सकते लेकिन थोड़ा पीछे रहकर भी तो उनका साथ दे सकते हैं.
अपनी मृत्यु के अन्तिम दिनों में आपके लिए सारी मूल्यवान चीजों का मूल्य नगण्य हो जाता है.
मनुष्य जिस जगह पर अपना निर्माण शुरू करता है, प्रकृति उस जगह पर अपना निर्माण रोक देती है.
जिस चिनगारी में आपके अनुरूप होश रहता है, वह ही आपके लिए ठीक से काम कर पाती है.
गलत इच्छाएँ व्यर्थ में लगी आग की तरह स्वयं का नुकसान करती है.
रोशनी को थोड़ा सा आगे सरका देने पर सूना पड़ा कोना भी प्रकाशित हो उठता है.
काम सीखते जाने पर उसमें अपने सपनों का विस्तार दिखलायी देने लगता है.
किसी की भी परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब उसे दूसरों की चीज अत्यधिक प्यारी लगने लगती है.
लोभ मन का सबसे तेज चलने वाला हिस्सा है.
दो विपरीत इच्छाएँ हमेशा एक- दूसरे का मार्ग रोकती हैं.
किसी भी सफल व्यक्ति का जीवन अनेक चमत्कारों से भरा होता है.
मन का अनावश्यक इच्छाओं के लिए धनुष की तरह खिचे रहना ही तनाव है.
बच्चे अधिकारपूर्वक बैठते हैं तो केवल अपनी माँ की गोद में.
माँ अपने लिए खर्च करती है तो पहले बच्चों के लिए कुछ खरीदकर ही.
सजा देने की प्रवृत्ति सबसे निचले स्तर पर रहती है और छमा सबसे ऊपर.
बाहरी स्त्रोतों से अधिकाधिक ऊर्जा हासिल कर पाने पर ही आप सफल होते हैं.
जब आपकी उड़ान पछी की तरह हो तो सफलता के लिए हर दिशा उपलब्ध होती है.
हारने पर पाँव वापस संघर्ष के दल दल में होते हैं.
स्वच्छ जगह से स्वच्छ साँस और ज्ञानियों के संसर्ग से श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त होते हैं.
सफल व्यक्ति अपने दीप से अन्य अनेक दीप जला चुका होता है.
सफल व्यक्ति खुद ही एक दीया होता है – दूसरों के लिए.
लड़ाई में दुश्मन की ताकत के साथ- साथ अपने कमजोर साथियों का भय भी शामिल होता है.
ताकतवर अपनी जड़ें दूसरों के आधार पर आसानी से जमा लेते हैं.
संगठन छोटा हो या बड़ा अकेले व्यक्ति से हमेशा मजबूत होता है.
प्रयास- रत लोग रोने वालों की कतार में खड़े नहीं होते.
गुलाम और पिंजरे में बंद पछी, एक ही तरह का गीत गाते हैं.
संसार को ढकने के लिए केवल मन को ढकना काफी है.
कोई किसी को अमृत नहीं देता, उसे स्वयं ही तैयार करना होता है.
अपराधी को हमेशा यह विश्वास होता है कि वह पीछा करने वाले से तेज दौड़ लेगा.
माँ का प्रेम रक्त की तरह बच्चे के हर अंग में प्रवाहित होता रहता है.
सफल व्यक्ति हमेशा आशवस्त रहता है कि लाभ के स्त्रोत कभी सूखते नहीं.
सभी पर काला रंग पोतने की दुष्टों की प्रवृत्ति होती है.
निराश व्यक्ति को दूसरों की खुशी का शोर और अधिक निराश करता है.
भविष्य निर्माण का बीज अदृश्य होकर भी आस- पास ही छिपा होता है.
जिन्हें परिवार प्रिय है, वे प्रलोभन को छोड़कर अपनों की तरफ भागते हैं.
अलग- अलग तरह के तिनकों से बना घोंसला एक छोटी सी कुटिया ही है.
कई बार लाभ बिल्कुल पास होता है, लेकिन उसे लेने के लिए जीवन बचा नहीं होता.
सभी आपमें समाना चाहेंगे, जब आपके पास नई सोच वाली छत होगी.
वह मन हत्यारा है, जो दूसरों के लिए बुरा सोचता है.
श्रेष्ठ अति श्रेष्ठ के सामने हमेशा बौना होता है.
सूरज की रोशनी बिना कोई मूल्य वसूले आपका पथ प्रदर्शित करती है.
पठन- पाठन मनुष्यों की ताकत है और उपद्रव राछसों की.
वर्षा ऋतु को अपनी बाहों में भींचने वाला कोई किसान ही होता है.
शेर में इतनी मर्यादा तो जरूर है कि वह हर दिन केवल पेट भरने जितना ही शिकार करता है.
पानी में डूबकर भी पनपने की कला धान के पौधों में होती है.
धूर्त सीधे- साधे लोगों को बाल्टी की तरह इस्तेमाल करते हैं.
जिसे सफल होना है, उसे ही केवल सफलता का शीर्ष अच्छी तरह दिखलायी देता है.
हर सफलता आदमी के ऊर्जा- भण्डार को बढ़ा देती है.
आत्मविश्ववास एक बड़ा कंधा है, किसी भी मुश्किल समय को संभालने के लिए.
अपराधी के राज में अपराध को बढ़ावा मिलता है, गुणी के राज में गुणियों को.
सुगठित संगठन में हर कोई रस्सी के धागों की तरह समान रूप से अपना दायित्व संभालता है.
मृत्यु के समय ही आपको ठीक से अनुभव होता है कि जिन्दगी कितनी महत्वपूर्ण थी.
पति के मूल्यवान खजाने में उसकी पत्नी का नाम सबसे पहले होता है.
शिखर की ओर अग्रसर व्यक्ति को समतल रास्ते छोड़ने ही पड़ते हैं.
लोग आगे बढ़ते- बढ़ते लोग रुक सकते हैं, लेकिन रास्ते नहीं.
शादी का अर्थ है अपने लिए प्यार भरे तालाब का निर्माण.
असल इंतजार तो एक माँ करती है, जिसकी आँखें बच्चों के इंतजार में हमेशा खुली रहती हैं.
विरोध का आरा एक को दो में बाँट देता है.
भिछा के लिए फैले हाथ श्रम के योग्य नहीं रह जाते.
मजबूत हाथ काम में वैसे ही प्रवेश करते हैं, जैसे जड़ें मिट्टी में.
अपने शरीर की हर छुपी ताकत को बाहर लाने की छमता ही आपको जिताती है.
बुद्धिमान हमेशा नये- नये हुनर पैदा करने की छमता रखते हैं.
विरोध जैसा भी हो, खरोंच लगाये बिना शांत नहीं होता.
एक पिता को बच्चों की जिद पूरी करके भी खुश रहना पड़ता है.
शहर से बच्चे दूर चले जाते हैं लेकिन पिता के प्रेम से नहीं. पिता अपने मन की आँखों से भी पुत्र जो देख रहा होता है, उसे देखने की कोशिश करता है.
पिता पुत्र के चेहरे पर कभी हार नहीं देखना चाहता, वह पुत्र से अधिक इन कारणों की तलाश करने लगता है.
पिता की जायदाद पेड़ की तरह है, इससे फल और बीज हासिल कर सकते हैं, लेकिन इसे काटने की कोशिश लगातार होने वाले लाभ से आपको वंचित कर देगी.
एक पिता की दूरदर्शिता अनेक पीढ़ियों तक लाभ पहुँचाती रहती है.
पैतृक निवास को ठीक करवाना, पिता के नाम की हिफाजत करना ही है.
पिता ऐसा दायित्व है, जिसे आपको अपनी मृत्यु तक निभाना होता है.
किसान और उसके बैल बूढ़े हो जाते हैं लेकिन खेत नहीं.
चूहे कमजोर हैं फिर भी शेर की गुफा में रह लेते हैं.
आलसी कभी जीवन को स्पर्श नहीं करना चाहता और मेहनती कभी इसे छोड़ना नहीं चाहता.
जैसे थकान मिटाने का उपाय नींद है, वैसे ही प्रगति का बुद्धि.
खेत की भूख बीज है, किसान की भूख फसल.
दानशील व्यक्ति को अपनी मुट्ठी हमेशा छोटी लगती है.
अधकच्चे लोगों में दूसरों से सहायता लेने की अक्ल नहीं होती.
अपनी व्यवस्था को दूसरे पर जबरदस्ती लादना ही मनमुटाव है.
बच्चे जन्म लेने से पहले ही अपने दायित्व का भार डाल देते हैं.
मन की धरती पर रास्ते अनगिनत हैं, लेकिन चुनना सिर्फ एक को ही होता है.
मगरमच्छ भरे तालाब में मछलियों को भी बहादुरी से जीना पड़ता है.
अपनी लालटेन की रोशनी बचाने की फिक्र एक अभावग्रस्त अत्यधिक करता है.
सजा अक्सर किसी की ताकत को नष्ट करती है, छमा उसे बढ़ा देती है.
उलझे हुए कामों के बीच से दौड़ते हुए कभी नहीं निकला जा सकता है.
एक महत्वाकांछी व्यवसायी के साथ, एक महत्वाकांछी कर्मचारी का निर्वाह अच्छी तरह से हो जाता है.
सबसे अच्छा न्याय वही है जिसमें दोने पछ संतुष्ट हो जाएं.
बच्चों के रोने पर उनका दुःख सामने आता है और शेर के चिंघाड़ने पर दूसरों का.
दुःखों को दुःख उठाकर ही गुजारना होता है.
नारियाँ वैसे गुणों की प्रशंसा की भूखी होती हैं, जिसके बारे में वे स्वयं भी नहीं जानती हैं.
स्वार्थी आँख केवल एकतरफा लाभ ही देखती हैं.
दूसरों का मन मोह लेने वाली सुन्दरता हमेशा दिलचस्प होती है.
मन हमेशा पछी की तरह किसी न किसी शिकारी के मोह- जाल में फँस ही जाता है.
नदी में नाव के सहारे और जीवन में बुद्धि के सहारे कदम रखा जाता है.
भयभीत मन अपने तालाब से बाहर नहीं निकलता.
यौवन खोने का दुख बुढ़ापे की प्रारम्भिक अवस्था है.
सरलता से आगे बढ़ते हुए जटिलता में प्रवेश, सफलता की एक सामान्य प्रक्रिया है.
जीवन का अन्तिम छण घोर तनाव पैदा कर देता है.
प्रेम जो सवेरा लाता है वह सूरज भी नहीं दे पाता.
डालियाँ और जड़ें चारों दिशाओं में अपना प्रभुत्व जमाकर रखती हैं.
अपशब्द एक चिनगारी है जो कानों में नहीं मन में जाकर जलती है.
बीज से बीज निकलता है और रोजगार से रोजगार.
अपनी ईमानदारी स्थापित करने के लिए आपको अनेक परीछाओं से गुजरना पड़ता है.
चिढ़े हुए लोग केवल आप से नहीं, आप की हर चीज से चिढ़ते हैं.
परिपक़्व ज्ञान अपने चमत्कार दिखाने में देर नहीं करता.
प्रत्येक असंतुष्टि कलह में बदल जाती है.
एक के द्वारा सुगम रास्ता खोज लेने पर सभी उसी ओर भाग चलते हैं.
किसान और उसके बैल बूढ़े हो जाते हैं लेकिन खेत नहीं.
मन हर चीज पर ओस की तरह बिना शोर मचाये चुपचाप बैठता है !
सच्ची मेहनत का पसीना जरूर दीखता है, लेकिन आँसू कभी नहीं.
काबिल लोगों के पास नाव की तरह अनगिनत रास्ते होते हैं दूसरे तट तक पहुँचने के.
अचानक कोई भी अमीर बन सकता है, लेकिन विद्वान नहीं.
प्रेरणा डरावनी दुनिया में भी आपको खड़ा रखती है.
ज्ञानी की आँखें आराध्य मूर्ति की तरह हमेशा खुली रहती है.
अनावश्यक हस्तछेप पानी पर कुदाल मारने जैसा ही होता है.
अच्छी मदद आगे चलकर समाज के खून में शामिल हो जाती है.
मजबूरी में खतरे को झेलने की कोई सीमा नहीं होती.
माँ उस बेटे से अपना सपना जोड़ लेती है जिसमें महान बनने की छमता हो.
बुद्धिमान, बिना बुद्धि के चश्मे के कुछ भी नहीं देखता.
एक बीमारी दूसरी अन्य बीमारियों को भी पास आने का निमंत्रण देने लगती है.
जितनी अधिक उत्सुकता होगी,

आँखें उतनी अच्छी तरह से खुलेंगी.

प्रयास- रत लोग रोने वालों की कतार में खड़े नहीं होते.
जुगनू का छोटा सा प्रकाश भी चारों ओर अपनी उपस्थिति दर्ज करा लेता है.
कुछ परेशानियाँ ऐसी होती हैं जिनका इलाज केवल स्वयं के द्वारा ही हो सकता है.
बड़ी परेशानी में छोटी- छोटी परेशानियाँ गुम- सी हो जाती हैं.
आँख से वर्त्तमान और अनुभव से भविष्य दिखाई देता है.
मजबूत हाथ काम में वैसे ही प्रवेश करते हैं जैसे जड़ें मिट्टी में.
धन का मोह छोड़ने पर ही मालूम होता है कि उससे भी बड़ी चीज कुछ होती है.
बेहद मजबूत हाथ भी सुई को थामने में सावधानी बरतते हैं.
जो लाभ पुत्र के हाथों में आता है, वह पिता की खुशियों में समा जाता है.
अंधेरे के कारण ही मौका मिलता है, चाँद- सितारें को अपनी चमक दिखलाने का.
मामूली चीजों का सहारा लेकर आप चूहे ही पकड़ सकते हैं, शेर नहीं.
कोई भी मिला हुआ अधिकार बिना निगरानी के कभी सुरछित नहीं रह सकता.
अपने फलों के बोझ से डालियाँ झुक जाती हैं, लेकिन कभी टूटती नहीं.
दुःखों को दुःख उठाकर ही गुजारना होता है.
शर्तों के साथ दोस्ती नहीं, सौदा किया जाता है.
यौवन थोड़ा- थोड़ा करके वाष्पीकृत होता है और एक दिन पूरा.
बीमारी आपको तहखाने की सैर कराती है और स्वास्थ बगीचे की.
मजदूरों की समस्या का निपटारा केवल उसके हाथ- पाँव ही कर पाते हैं.
दो विरोधियों के घोड़े भी खाने- पीने और टहलने के समय अच्छे दोस्त बन जाते हैं.
जितना छोटा पिंजरा होगा,

उतनी ही अधिक कसी हुई होगी उसमें कैद पछी की इच्छाएँ.

आपकी कला में झकझोरने वाला कोई न कोई वेग तो होना ही चाहिए,

तभी उसे अधिक लोग स्वीकारेंगे.

सफलता की बहुत सारी गुप्त युक्तियाँ

पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार की धरोहर बनकर रहती है.

एक व्यापारी अपने विश्राम के समय भी

अपने व्यापार को बढ़ते हुए देखना चाहता है.

अंधेरा कहाँ- कहाँ पर है यह जान लेने के बाद

आपके पाँव फिर लड़खड़ाते नहीं हैं.

कभी- कभी एक व्यक्ति का कष्ट

अनेक लोगों की चिन्ता का कारण बन जाता है.

जो आपका साथ नहीं दे पाएँगे,

उनका इंतजार नहीं करना चाहिए.

जीवन में हम अपना बहुत सारा समय उनके लिए गुजार देते हैं,

जिन्हें हमारी चिन्ता नहीं होती.

संगठन छोटा हो या बड़ा

अकेले व्यक्ति से हमेशा मजबूत होता है.

यह कभी संभव नहीं है कि एक बड़ा दुःख झेल लेने के बाद,

दूसरा दुःख आये ही नहीं.

तारे असंख्य हैं लेकिन चाँद ही सभी को अपना करीबी लगता है.
शरीर का छय इतना धीमा होता है कि आप समझ ही नहीं पाते हैं कि किस अंग का इलाज करें.
महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आप क्या देखते हैं,

महत्वपूर्ण यह है कि आप उससे क्या सीखते हैं.

आँख से वर्त्तमान और अनुभव से भविष्य दिखाई देता है.
प्रेरणा डरावनी दुनिया में भी आपको खड़ा रखती है.
खुशबू बिना शोर के अपना काम चुपचाप करती रहती है.
अपनी आत्मा कला को देने पर ही कला आपको कुछ दे पाती है.
कोई किसी को अमृत नहीं देता,

उसे स्वयं ही तैयार करना होता है.

उपद्रवी भीड़ से ही आक्रोश का ईंधन प्राप्त करते हैं.
पेड़ धैर्यपूर्वक अपना फल उपजाते हैं न कि आपकी हड़बड़ी देखकर.
दुष्टों की छाया भी उस्तरे की तरह ही होती है.
शादी का अर्थ है अपने लिए प्यार भरे तालाब का निर्माण.
विभाजन जितना अधिक होगा, चीजें उतनी छोटी होती जाएँगी.
हारा हुआ घोड़ा कभी थकता नहीं,

हर बार रेस में पहले से तेज दौड़ने का प्रयास करता है.

जो प्यार निभाना चाहते हैं,

वे दूर रहकर भी इसे निभा लेते हैं.

तिजोरी पैसों से भरती है लेकिन मन विद्या से.
समानता – नदी और जीवन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते.
काम सीखते जाने पर उसमें अपने सपनों का विस्तार दिखलायी देने लगता है.
अपनी व्यवस्था को दूसरे पर जबरदस्ती लादना ही मनमुटाव है.
जानवरों के श्रम का मूल्य केवल खुराक है.
काबिल लोगों के पास नाव की तरह अनगिनत रास्ते होते हैं,

दूसरे तट तक पहुँचने को.

जो मन से अकेला हो, वह भीड़ में भी अकेला ही होता है.
अज्ञानी को आँखों से थोड़ा सा संसार दिखता है

और ज्ञानी को बहुत सारा.

बुलबुले खुद को सम्भाल नहीं पाते, वैसे ही कल्पना भी.
आपसे छोटी खुशियाँ छीनकर संयम बड़ी खुशियाँ प्रदान करता है.
सुरछा के बिना रफ्तार घातक है.
हर एक के जीवन में सजा की तरह कुछ ऐसे लोग मौजूद होते हैं,

जिनसे कभी पीछा नहीं छूटता.

लगातार ढूंढ़ते रहने से भाग्य की दुर्लभता भी दिख जाती है.
काँटे सभी के लिए विपछ और फूल पछ.
व्यस्त लोगों को एक छोटी सी मुलाकात में ही प्रभावित करना होता है.
दूसरों की सुविधा का ध्यान रखने वाला सभी का प्यारा हो जाता है.
अगर जिन्दगी में दुःख न हो तो

फिर भुलाने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा.

सच्ची मेहनत का पसीना जरूर दिखता है,

लेकिन आँसू कभी नहीं.

आगे बढ़नेवाले के पास सब कुछ नवीन होता है,

और रुके हुए के पास सब कुछ प्राचीन.

मनुष्य हर दिन अपने पंख फैलाता है,

लेकिन आकाश का अन्तिम छोर उसे कभी नहीं मिलता.

संतुष्ट मन अकेलेपन को भी

अमृत की तरह पी जाता है.

पत्नी का प्यार पुरुष का सारा श्रम सोख लेता है.
मन की धरती पर रास्ते अनगिनत हैं,

लेकिन चुनना सिर्फ एक को ही होता है.

.

प्रेम मिलने के लिए आतुर करता है

और घृणा दूर रहने के लिए.

बुराइयाँ कभी मरती नहीं,

आस -पास रह कर ही आपके धैर्य की परीछा लेती रहती हैं.

चतुर व्यक्ति दुश्मन पर वहाँ प्रहार करता है,

जहाँ उसे कोई मदद न पहुँचे.

एक पिता अपने संघर्ष को सह लेता है,

लेकिन बच्चों के संघर्ष को नहीं.

जीवन का अंधेरा आपको इतनी आसानी से

अपनी गुफा से निकलने नहीं देता.

एक कैंची अपने आचरण से इतनी अधिक बँधी हुई होती है

कि वह चीजों को काटने के सिवा दूसरा कोई भी काम नहीं करती है.

कम साधन वाले लोग,

अधिक विकल्पों के पीछे नहीं भागते हैं.

मिट्टी उस वक्त अधिक छमतावन नजर आती है

जब उसमें पौधे उगते हैं.

नदी और जीवन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते.
किसान और उसके बैल बूढ़े हो जाते हैं

लेकिन खेत नहीं.

डालियों के हाथ हमेशा बढ़े हुए होते हैं,

आपको फल- फूल देने के लिए.

तोपखाने केवल मनुष्यों का ही शिकार करते हैं.
दीवारें छत ढोती हैं और छत पूरा आसमान.
मन अपना आधार स्वयं निर्मित करते हुए आगे बढ़ता है.
एक ऐतिहासिक शहर में उसका बुढ़ापा और जवानी साथ- साथ दिखेंगे.
दूषित पर्यावरण एक बड़ी आबादी को भी उसे सहने का आदी बना देता है.
‘भिछुक’ इतना कम माँगता है कि गरीब भी उसे संतुष्ट कर दे,

लेकिन शाम तक वह इतना प्राप्त कर लेता है कि कुछ गरीब भी इसमें से खा सकें.

आपसी वैमनस्य फैलाने वाले लोगों के चरित्र पर हमेशा शक होता है.
सीढ़ी की तरह जीवन में भी अलग- अलग ऊँचाई वाले पायदान होते हैं.
पछी, पेड़ से इस तरह से जुड़े होते हैं जैसे ये पेड़ की ही संतान हों.
सुरछित शहर में बंद और खुले दरवाजे में कोई फर्क नहीं रह जाता.
आपमें बुढ़ापा प्रवेश से पहले अनेक चेतावनियाँ देता रहता है.
कभी- कभी अपने लाभ के लिए आपको मुश्किलों में ढकेल दिया जाता है.
चालाक लोगों में चालाकियाँ और मूर्खों में मूर्खता हर वक्त उपजती रहती है.
यौवन खोने का दुख बुढ़ापे की प्रारम्भिक अवस्था है.
दुष्ट का बल उसके सहायक होते हैं, बुद्धिमान का बल उसकी विद्या.
चाहे वह झोपड़ी ही क्यों न हो, घर वापस लौट कर हर किसी को असीम सुख मिलता है.
कमजोरों की आवाज बलशाली लोगों की आवाज के सामने बहुत धीमी सुनाई पड़ती है.
साधारण व्यक्ति भी हुनर के पंख के सहारे बहुत ऊँचा उड़ लेता है.
सादगी में सूने हाथ भी आभूषण से सजे महसूस होते हैं.
पसीना सभी बहाते हैं लेकिन हुनर कुछ ही दिखा पाते हैं.
जीवन में जब तक आप नये – नये रंग भरते रहेंगे,

तब तक वह खूबसूरत रहेगा.

जिसके पास सिर्फ एक ही सहारा हो,

उसे बेसहारा होने का भय अधिक सताता ही.

ताकतवर अपनी जड़ें दूसरों के आधार पर आसानी से जमा लेते हैं.
भाग्य और दुर्भाग्य दोनों इतने दबे पाँव आते हैं

कि उनका आना हमेशा हमें आश्चर्यचकित कर देता ही.

एक बच्चा बुढ़ापे तक, माँ के प्यार को अनगिनत रूपों में अनुभव कर चुका होता है.
खराब समय में आप काँटों से भरे रास्ते में प्रवेश कर जाते हैं.
जब लोग एकजुट हो जाते हैं तो उनकी कमजोरियों से लाभ उठाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
जीने का सलीका न होने पर आपका घर कुड़ादान बन जाता है.
परिवार के सदस्य मजबूत हों तो घर की दीवारें भी किले की तरह मजबूत हो जाती हैं.
ढलान पर खड़े होने से मालूम होता है कि निचली चीजों में भी कितनी ताकत होती है.
जीवन के काँटों को देख पाना, आपकी सतर्कता की निशानी है.
एक विशेष मेले के आयोजन की खबर लाखों लोगों को यात्री बना देती है.
संतुष्टि मन को हल्का करती है, और लोभ मन को भारी.
जिनमें हमेशा ऊपर उठने का वेग बना रहता है, वे कभी नीचे नहीं गिरते.
बातें मन में जख्म करती हैं और हथियार शरीर पर.
आपबीती सुनाना अपने अनुभव की सम्पदा को फिर से गिनना है.
संसार में हर कोई अपने को मूल्यवान बनाने की होड़ में लगा होता है.
अमीरों के पास कर्ज उतारने के हजार उपाय हैं,

गरीब के पास केवल उसका श्रम.

घुटन भरी जिंदगी बिना ताले की कैद है.
पिंजरा पछी को चुप- चाप सताता रहता है.
छोटी सी आमदनी को बड़ा खर्च उसी तरह निगलता है

जैसे छिपकली पतंगों को.

हारने के बाद बेशक सो जायें,

लेकिन जब जागें तो दुबारा जीतने के इरादे के साथ.

मन का अनावश्यक इच्छाओं के लिए धनुष की तरह खिचे रहना ही तनाव है.
अंधा थोड़ी सी आहट को भी प्रकाश के रूप में प्रयोग कर लेता है.
फर्क इतना ही है कि शेर बल दहाड़ता है और हाथी का बोझ खींचता है.
गरीब झोपड़ी में रहता है किन्तु उसका श्रम महलों में.
मन की यह विशेषता है कि वह जितनी अधिक चीजें देखता है उतना विशाल होता जाता है.
किसान के हाथों में बीज रहें तो खेतों का माथा हरा- भरा रहता है.
फसल से भरा गाँव अधिक प्यारा होता है वनिस्पत रोशनी से चमकते शहर से.
सोये हुए लोगों पर जगे हुए जल्द ही राज करने लगते हैं.
डालियाँ आश्चर्यभरी हैं – कभी इनसे फल टपकते हैं तो कभी फूल.
नन्ही सी बूंद भी जब समुद्र से मिल जाती है तो उसका कद बहुत बड़ा हो जाता है.
दिनचर्या का सफर होता तो है छोटा,

लेकिन उसमें डूबना बहुत गहरा पड़ता है.

नासमझ को समझाना लहरों को शांत कराने जैसा ही दुष्कर है.
गलत लोगों को हथेली में आश्रय देने पर वह अपराध से भरती जाएगी.
इस दुनिया में अत्याधिक हक चाहने वाले हमेशा दुखी रहते हैं.
मेहनती शरीर के लिए जीविका चलाने का

रास्ता तिनके चुनने जितना सरल होता है.

जो जोखिम को समझता है

उसके पाँव काँटों से हमेशा दूरी बनाकर चलते हैं.

तिनके जैसी तुच्छ चीज को भी चिड़ियाँ घोंसला बनाकर महत्त्वपूर्ण बना देती है.
ज्ञान देना और लेना इतना सहज होता तो दुनिया में कोई भी अज्ञानी नहीं बचता.
प्रेम दरअसल एक रहस्यमय दुनिया में प्रवेश ही है.
अस्पताल का हर मरीज पीड़ा के भाप में सीझ रहा होता है.
एक पुराने शहर से अनगिनत पीढ़ियों के पदचाप सुनाई देते हैं.
हर गुलाब प्यारा होता है और हर काँटा चुभने वाला.
जैसे छोटा सा चश्मा हर धुँधली चीज को साफ कर देता है वैसे ही आपकी परिपक्वता.
श्रमिक धीरे- धीरे खुद ही औजार बन जाता है.
साधारण मूल्य पर प्राप्त हुई शिछा भी समय आने पर अपना असाधारण मूल्य वसूलती है.
पीड़ा रक्त को भी बोझ बना देती है.
अगर संगठन मजबूत हो तो एक की चोट को दूसरा बर्दास्त कर लेता है.
पेड़ अपने बढ़ने का अनुशासन स्वयं ही सीखते हैं.
कामयाबी का सबसे बड़ा सूत्र है ; हर जरुरी काम पर अपना प्यार.
सूरज श्रमिकों के हाथों में उदय होकर, उनकी थकान में ही डूब जाता है.
कई बार जटिल समस्याओं को सुलझाने की हमारे पास बुद्धि तो होती है, लेकिन इच्छा शक्ति नहीं.
बुरी संगत एक गरीब का अमीर से अधिक अनर्थ करती है.
बहुमूल्य दान साधारण भिछुओं के हाथ नहीं लगता.
गुलामी का दुख सहते हुए भी तोता मनुष्य का अच्छा साथी बना रहता है.
जिन्दगी केवल आपकी अपनी नहीं, दूसरों को भी इससे कुछ पाने की उम्मीद रहती है.
एक परिवार का मुखिया वही होता है, जिसे सभी को सुख देने में आनन्द आता है.
जीवन के अनुभवों को ईंट की तरह एक दूसरे पर रखते जाएँ

तो सामने एक मजबूत दीवार खड़ी मिलेगी.

आपस का वैमन्यस्य व्यस्त चबूतरे को सन्नाटे में बदल देता है.
मन की प्रवृति ही है अनावश्यक चीजों का चयन करना.
आपकी हर दिन की तपस्या, सफलता को आपके थोड़ा और करीब ला देती है.
काम सीखते जाने पर उसमें अपने सपनों का विस्तार दिखलायी देने लगता है.
ज्ञान ही है जो लोगों को बिना धागे के भी कठपुतली की तरह नचा पाता है.
किसी के मन को टटोलने पर या तो सत्य प्रकट होता है या फिर असत्य की खाई.
दूसरों की हथकड़ी खोलना आसान है – लेकिन अपनी नहीं.
सुगठित संगठन में हर कोई रस्सी के धागों की तरह समान रूप से अपना दायित्व संभालता है.
मन का अनावश्यक इच्छाओं के लिए धनुष की तरह खिचे रहना ही तनाव है.
सोना गलने पर अपना रूप छोड़ता है लेकिन गुण नहीं.
साधक हर बार पहले से मुश्किल ध्येय के साथ आगे बढ़ता है.
असंतोष एक पल में उपजता है, संतोष धीरे- धीरे जमता है.
गरीबों का मन कोई नहीं देखता, सभी उनका श्रम देखते हैं.
बहुमूल्य चीजें अपने रखनेवाले को भी मूल्यवान बना देती है.
जो निरंतर नया काम सीखते हैं, उनका नयापन कभी लुप्त नहीं होता.
भ्रमित लोग भ्रम से निकलते- निकलते फिर उसी में उलझ जाते हैं.
सोना गलने पर अपना रूप छोड़ता है लेकिन गुण नहीं.
जिन्हें रिश्ते नहीं निभाने, वे धुएँ की तरह दूर खिसक जाते हैं.
धैर्यहीन व्यक्ति रेत के टीलें जैसी अस्थिरता में भी पाँव रख देता है.
श्रमिक धीरे-धीरे खुद ही औजार बन जाता है.
तोपखाने केवल मनुष्यों का ही शिकार करते हैं.
औरतों में असीम सहनशीलता होती है, इसलिए वे काँटों पर भी विश्वास कर लेती हैं.
स्त्री के बिना दुनिया सूने घोंसले जैसी लगेगी.
अच्छी मदद आगे चलकर समाज के खून में शामिल हो जाती है.
पिंजरा पक्षी को चुपचाप सताता रहता है.
सादगी में सूने हाथ भी आभूषण से सजे महसूस होते हैं.
बुलबुले खुद को सम्भाल नहीं पाते, वैसे ही कल्पना भी.
जुगनू का छोटा सा प्रकाश भी चारों ओर अपनी उपस्थिति दर्ज करा लेता है.
अभावग्रस्त के आँसू ऊबड़-खाबड़ जमीन ही पोंछती है.
हर दिन शरीर से स्वस्थ की एक अच्छी परत हट चुकी होती है.
पेड़ काटने वाला केवल लकड़ियों का मोल जानता है, पेड़ का नहीं.
काला चश्मा छाया करता है, बुद्धि का चश्मा प्रकाश
आकाश रोता है जब पक्षियों की जगह उसमें बमवर्षक विमान उड़ते हैं.
सड़क रफ्तार देती है और पगडंडी खुशी.
बड़े दायित्व को लेकर आगे बढ़ने वाले को विरोधियों से अपने पाँव बार-बार छुड़ाने पड़ते हैं.
इस दुनिया में अत्यधिक हक चाहने वाले हमेशा दुखी रहते हैं.
शिक्षित को लोग स्तंभ की तरह देखते हैं और अशिक्षित को अन्जान की तरह.
गाँव में समाज हर जगह दिखलायी देता है, जबकि शहर में उसे ढ़ूॅंढ़ना पड़ता है.
संसार ढोने में रुई जैसा लगता है और न ढोने पर पहाड़.
मजबूरी में खतरे को झेलने की कोई सीमा नहीं होती.
अधिकार बिना निगरानी के कभी सुरक्षित नहीं रह सकता.
जीवित इच्छाएँ हमेशा अपने पाँव आगे बढ़ाने की कोशिश करती हैं.
काँटे हमेशा एक समूह में रहने के कारण शक्तिशाली होते हैं.
गरीबों को हमेशा हानि में से ही लाभ चुनने का अवसर मिलता है.
गृहिणी आग को भोजन मे बदलती है और दुष्ट इसे हिंसा में.
तारे असंख्य हैं लेकिन चाँद ही सभी को अपना करीबी लगता है.
जंगल जानवरों से अपनी सुरक्षा कर लेता है, लेकिन मनुष्यों से नहीं कर पाता.
तालाब का हर छोर लोगों को उपकृत कर रहा होता है.
एक बीज को अपनी जगह पर ही पूरा जीवन काटना होता है, चाहे वह अच्छी हो या बुरी.
गरीब को अपने बर्दाश्त की सीमा बार-बार बढ़ानी पड़ती है.
बेटी से अत्यधिक प्यार करने वाला हर सीढ़ी में उसके साथ अपने पाँव रखता है.
भीड़ की एक खासियत है कि वह आश्वासनों को बड़े धैर्य से सुनती है.
एक विशेष मेले के आयोजन की खबर लाखों लोगों को यात्री बना देती है.
रक्षा न हो तो कानून भी टूटी हुई दीवार ही है.
आप चाहे कहीं भी जाएँ, विपक्ष वहाँ खड़ा मिलेगा.
मजदूरों की समस्या का निपटारा केवल उनके हाथ-पाँव ही कर पाते हैं.
जानवरों के श्रम का मूल्य केवल खुराक है.
भाग्यशाली हैं वे जिनके परिवार बॅंट जाते हैं लेकिन रिश्ते नहीं.
शेर पिंजरे में भी शेर ही बनकर रहना चाहता है.
नंगे पाॅंव चलने वालों को ही मालूम हो पाता है कि धरती कितने तरह का स्पर्श देती है.
जड़ों का संघर्ष कभी दिखलाई नहीं देता.
अच्छा साथी आपके थके पाँव भी आगे ले जाता है.
लड़ रहे सैनिकों की मित्रता वैसी ही होती है जैसी बारिश में असंख्य बूँदों की.
अनावश्यक हस्तक्षेप पानी पर कुदाल मारने जैसा ही होता है.

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