A great sorrow, and one that I am only beginning to understand: we don’t get to choose our own hearts. We can’t make ourselves want what’s good for us or what’s good for other people. We don’t get to choose the people we are.
एक बड़ा दुख, और जिसे मैं अभी समझना शुरू कर रहा हूं: हमें अपना दिल खुद चुनने का मौका नहीं मिलता है. हम खुद से यह नहीं चाह सकते कि हमारे लिए क्या अच्छा है या दूसरे लोगों के लिए क्या अच्छा है ; _ हमें उन लोगों को चुनने का अधिकार नहीं है जो हम हैं.
As much fun as it is to read a book, writing a book is one level deeper than that.
किताब पढ़ने में जितना मज़ा है, किताब लिखना उससे कहीं ज़्यादा मज़ेदार है.
It is is better to know one book intimately than a hundred superficially.
सौ किताबों को सतही तौर पर जानने की अपेक्षा एक किताब को गहराई से जानना बेहतर है.