I always speak the truth. Not the whole truth, because there’s no way, to say it all. Saying it all is literally impossible: words fail. Yet it’s through this very impossibility that the truth holds onto the real.
मैं हमेशा सच बोलता हूं ;_ पूरी सच्चाई नहीं, क्योंकि यह सब कहने का कोई उपाय नहीं है. यह सब कहना सचमुच असंभव है: शब्द विफल हो जाते हैं ; फिर भी यह इस बहुत ही असंभवता के माध्यम से है कि सत्य सत्य को धारण करता है.