संकट और गतिरोध जब वे होते हैं तो कम से कम उनका एक फायदा होता है कि वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं.
समय वर्षों के बीतने से नहीं मापा जाता बल्कि किसी ने क्या किया, क्या महसूस किया और क्या हासिल किया, इससे मापा जाता है.
अच्छी नैतिक स्थिति में होना कम से कम उतना ही अभ्यास मांगता है जितना कि अच्छी शारीरिक स्थिति में होना.
स्वयं कर्म, जब तक मुझे यह भरोसा होता है कि यह सही कर्म है, मुझे संतुष्टि देता है.
श्रेष्ठतम मार्ग खोजने की प्रतीछा के बजाय, हम गलत रास्ते से बचते रहें और बेहतर रास्ते को अपनाते रहें.
संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है.
अज्ञानता बदलाव से हमेशा डरती है.