*”अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो ! अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !*
*अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !*
*पर आगे बढ़ते रहो”*
अपनी सोच ओर दिशा बदलो,
सफलता आपका स्वागत करेंगी…
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है।
लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम भी चलना मुश्किल है।
यानी – *”बाहर की चुनौतियों से नहीं*
*हम अपनी अंदर की कमजोरियों* *से हारते हैं”*….
_हमारे विचार ही हमारा भविष्य तय करते हैं..!
हमें सीमित निराशा को स्वीकार करना चाहिए लेकिन असीमित आशा को कभी नहीं छोड़ना चाहिए !
हमारे जीवन के अंत की शुरुआत उसी दिन से हो जाती है, जब हम गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं.
जो बुराई को बिना उस का विरोध किए स्वीकार कर लेता है वास्तव में उस में सहयोगी होता है.