अकेलापन – Loneliness – Anxiety- एकाकीपन – सूनापन – अकेला और एकाकी – एकांत – उदास- उदासी- उदासीनता – मायूस – मायूसी – दिमागी घुटन – मानसिक अवसाद – 2012

*–वो क्या है जिसे हम अकेलापन कहते हैं.

_ यह केवल दूसरों की अनुपस्थिति नहीं हो सकती,
_ आप अकेले हो सकते हैं और अकेले नहीं,
_ और आप लोगों के बीच रहकर भी अकेले हो सकते हैं. __ तो यह क्या है ?
– Pascal Mercier
 

What is it that we call loneliness. It can’t simply be the absence of others, you can be alone and not lonely, and you can be among people and yet be lonely. So what is it ?–*

– Pascal Mercier

वास्तव में, हम चीजों से कैसे जुड़ते हैं ये मायने रखता है.

_ यह सोशल मीडिया नहीं है जो हमें उदास करता है; यह उससे हमारा रिश्ता है.
_ यह पैसा नहीं है जो हमें दुखी करता है; यह उससे हमारा रिश्ता है.
__यह हमारा साथी नहीं है जो हमें खुश करता है; यह उससे हमारा रिश्ता है.
_अपने आस-पास की दुनिया को बदलने के बजाय, दुनिया के साथ हमारे जुड़ाव के तरीके को बदलना बेहतर हो सकता है.” – Alexander Den Heijer
*– मैं आपको यह बता दूं: यदि आप किसी अकेले व्यक्ति से मिलते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि _ वे आपको क्या कहते हैं,

_ ऐसा इसलिए नहीं है _ क्योंकि वे अकेलेपन का आनंद लेते हैं.
_ ऐसा इसलिए है _ क्योंकि उन्होंने पहले भी दुनिया में घुलने-मिलने की कोशिश की है
_ और लोग उन्हें निराश करते रहे हैं.
_ “अकेलापन एक दर्पण है, और खुद को पहचानता है.”- – Jodi Picoult

Let me tell you this: if you meet a loner, no matter what they tell you,

it’s not because they enjoy solitude.

It’s because they have tried to blend into the world before, and people continue to disappoint them.

“Loneliness is a mirror, and recognizes itself.” – Jodi Picoult

“उदासीनता एक खट्टी-मीठी भावना है; इसमें बीते दिनों की जटिल यादों को याद करने का कार्य शामिल है.

“Nostalgia is a bittersweet emotion; it entails the act of recalling complicated memories of bygone days.” – Kilroy J. Oldster

जैसे-जैसे आप अपने सूनेपन को जीते हैं, आप या तो दुखी या खुश हो सकते हैं.

उस विकल्प का होना ही आपकी स्वतंत्रता है.

As you live out your desolation, you can be either unhappy or happy. Having that choice is what constitutes your freedom.- Milan Kundera

हर आदमी को, कुछ हद तक, दुनिया में अकेला रहना चाहिए. कोई भी हृदय कभी भी उसी साँचे में नहीं ढाला गया जैसा कि हम अपने भीतर धारण करते हैं. – Eric Berne

Every man must, in a measure, be alone in the world. No heart was ever cast in the same mould as that which we bear within us. – Eric Berne

हमारी भावनाओं [ emotions ] को हमारी बुद्धि की तरह ही शिक्षित होने की आवश्यकता है.

_ यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैसे महसूस करें, कैसे प्रतिक्रिया दें और जीवन को कैसे आने दें _ताकि वह आपको छू सके. – Jim Rohn
 

Our emotions need to be as educated as our intellect. It is important to know how to feel, how to respond, and how to let life in so that it can touch you. – Jim Rohn

अकेलापन स्वयं की गरीबी है; एकांत स्वयं की समृद्धि है. – May Sarton

Loneliness is the poverty of self; solitude is the richness of self. – May Sarton

जब महत्वपूर्ण चीजों की बात आती है तो व्यक्ति हमेशा अकेला रहता है. – May Sarton

When it comes to the important things one is always alone. — May Sarton

एकांत व्यक्तित्व का नमक है. यह हर अनुभव का प्रामाणिक स्वाद सामने लाता है. – May Sarton

Solitude is the salt of personhood. It brings out the authentic flavor of every experience. – May Sarton

हमें अपने भावनात्मक परिवार से परिचित होना चाहिए:

_ हमें अपनी भावनाओं को वैसे ही देखना चाहिए जैसे वे वास्तव में हैं, न कि जैसा हम मानते हैं कि वे हैं.
_ इससे हम पर उनकी सम्मोहक और हानिकारक पकड़ टूट जाती है.
– Vernon Howard
 

We must become acquainted with our emotional household: we must see our feelings as they actually are, not as we assume they are.

This breaks their hypnotic and damaging hold on us. – Vernon Howard

अकेले समय वह होता है जब मैं खुद को दुनिया की आवाजों से दूर कर लेता हूं ताकि मैं अपनी आवाज सुन सकूं. – Oprah Winfrey

Alone time is when I distance myself from the voices of the world so I can hear my own. – Oprah Winfrey

“ऊपरी तौर पर एकांतप्रियता व्यक्ति की उदास और असामाजिक प्रकृति की द्योतक प्रतीत हो सकती है ;

_ लेकिन सच्चाई यह है कि इसका कारण अक्सर व्यक्ति का बहुत ज़्यादा स्नेहभरा, प्रेमभरा विनम्र हृदय होता है –
_ जो आसपास की दुनिया में वैसी भावनाएं न पाकर एकांत और कल्पना की दुनिया में संतोष ढूंढने लगता है”

– ज्यां-जाक रूसो

लोग सोचते हैं कि अकेले रहना आपको अकेला बना देता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह सच है.

_ गलत लोगों से घिरा रहना दुनिया की सबसे अकेली चीज़ है.

People think being alone makes you lonely, but I don’t think that’s true.Being surrounded by the wrong people is the loneliest thing in the world.

एक वक्त बाद अकेलापन में ही सुकून मिलने लगता है,

_ फिर किसीकी दखलंदाजी करने पर अच्छा नहीं लगता है…!

– एकांत के तीन रूप हैं :- 1. अकेलापन, 2. एकांत, 3. केवल्य

तीनों में क्या फर्क है ?

अकेलेपन में दूसरा मौजूद रहता है, यानी कोई दूसरे की कमी खलती है.

एकांत में दूसरा नहीं स्वयं में रस लेता है, ध्यान रहे, अकेलापन सदा उदासी लाता है, एकांत आनंद लाता है।वे उनके लक्षण हैं।
अगर आप घड़ीभर एकांत में रह जाएं, तो आपका रोआं-रोआं आनंद की पुलक से भर जाएगा।
और आप घड़ी भर अकेलेपन में रह जाएं, तो आपका रोआं-रोआं थका और उदास, और कुम्हलाए हुए पत्तों की तरह आप झुक जाएंगे।
अकेलेपन में उदासी पकड़ती है, क्योंकि अकेलेपन में दूसरों की याद आती है।
– एकांत में आनंद आ जाता है, क्योंकि एकांत में रब से मिलन होता है, वही आनंद है, और कोई आनंद नहीं है.
केवल्य में दूसरा भी नहीं, स्वयं भी नहीं, दोनों चले गए, अब सिर्फ अस्तित्व है. उसमें ही आनंद है.
 
—————-अकेलेपन का मतलब अकेले रहना नहीं है, _ अकेलेपन का अर्थ आप जो भी हैं, आप वहां वापस जा सकते हैं.
_ अकेलेपन का विपरीत साथ नहीं, अपने लौटने की जगह _वापसी है.!!
AG:- 64 – ओशो
*–वो क्या है जिसे हम अकेलापन कहते हैं.

_ यह केवल दूसरों की अनुपस्थिति नहीं हो सकती,
_ आप अकेले हो सकते हैं और अकेले नहीं,
_ और आप लोगों के बीच रहकर भी अकेले हो सकते हैं. __ तो यह क्या है ?
– Pascal Mercier
 

What is it that we call loneliness. It can’t simply be the absence of others, you can be alone and not lonely, and you can be among people and yet be lonely. So what is it ?- Pascal Mercier

आप किसी से प्यार कर सकते हैं और फिर भी उसे अलविदा कहना चुन सकते हैं._ आप हर दिन एक व्यक्ति को याद कर सकते हैं, और फिर भी खुश हैं कि वह अब आपके जीवन में नहीं है. – Tara Westover

You can love someone and still choose to say goodbye to them. You can miss a person every day, and still be glad that they are no longer in your life. – Tara Westover

 
“जीवन के सबसे अनमोल क्षण पूरी तरह शोर-शराबे वाले या हंगामेदार नहीं होते.”

_एकांत, मौन और स्थिरता के अपने गुण हैं.

उदासी का आकार कम नहीं होने वाला, आपको उसके आस-पास ख़ुशियों और उम्मीदों का एक बड़ा घर बनाना है ..ताकि उदासी छोटी लगे..!!
उदासी यानी अतीत में मन __ तनाव यानी भविष्य में मन __ शान्ति यानी वर्तमान में मन..
कभी – कभी अपने ही अपनों का ऐसा तमाशा बनाते हैं, _ कि वो अपना कहलाने के लायक ही नहीं रहते ,,,!

— ” मैं अपनों का सोचता था…उन्होंने मुझे अपना सोचने पर मजबूर कर दिया.!!!”

“यह पूछने के बजाय कि मैं किसी के जीवन में कहां खड़ा हूं, मुझे अकेले रहना बेहतर लगा..”

कभी-कभी मैं अकेले समय बिताता हूं क्योंकि _हर दिन लोगों से _वही निरर्थक बातचीत सुनने कि इच्छा नहीं होती है.

क्यूंकि खुद से जीतने की जिद है मुझे, खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अंदर एक जमाना है.

मुझे मेरा अकेलापन ही कुछ ज्यादा भाता है,

_ इन खोखले बनावटी रिश्तों के बीच दिल घबराता है”

*–” जो रिश्ता आपसे आपका स्वाभिमान छीन ले, वो रिश्ता _ रिश्ता नहीं, घुटन है..–*

*–मैं सब के साथ रहता हूं और फिर भी मैं अपने अकेलेपन का आनंद लेता हूं..–*

*_ जो आपकी बात सब्र और इत्मीनान से सुने, _बिना आपको जज किए..
_ऐसे लोग बहुत मुश्किल से मिलते हैं..!!

अब मैं अकेले में मुस्कुराता हूँ, मेरा दृष्टिकोण बदल गया है.

_ ‘कुछ तो हुआ है’ कुछ हो गया है..!!

_ पता नहीं क्या बदला है, पर अब कुछ पहले जैसा नहीं है.!!

अकेलेपन की दुनिया में रहना ही पड़े तो रहूँगा,

_ मगर ऐसे नहीं जैसे बेचारा…
_ क्योंकि मेरी समस्त यादें सताई हुई नहीं हैं..!!
दुआओं का काफिला चलता है मेरे साथ,

_ तकदीर से कह देना कि मैं अकेला नहीं हूं..!!

कभी-कभी लोगों के साथ रहकर भी अकेलापन महसूस होता है.

_ बस आपका आंतरिक स्वंय ही आपका सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है.

Sometimes staying with people still feels alone.

Just your inner self can be your best friend.

“मुझे अकेले रहना पसंद है;

_ इस तरह, कोई भी मुझे परेशान नहीं करता है,
_ क्योंकि हर कोई हमेशा एक ही विषय पर वापस आता है,
_ कैसे सब कुछ गलत हो जाता है, कैसे सब कुछ सही हो जाता है;
_ एक ऐसा सोचता है, दूसरा ऐसा सोचता है… वे हमेशा समाप्त होते हैं ..
_ वे वही कहते हैं जिसमें उनकी व्यक्तिगत रुचि होती है.
_ लेकिन आज मैं उससे जुड़ाव महसूस नहीं करता,
_ उनकी चिंताएं, लक्ष्य, इच्छाएं हैं ..जो मुझे समझ नहीं आतीं.
यदि हम अपने जीवन का सबसे मुश्किल समय अकेले निकाल सकते हैं तो..

.. हम अपना पूरा जीवन भी अकेले निकाल सकने का दम रखते हैं.

भेंड़ बने रहना सुविधाजनक है ..

_ किंतु अकेले अपना मत रखना बुरा..यह बात और है कि मैं भेंड़ नहीं हूं ..
_ न तब, न अब.._ गलत ही सही ..पर मेरा अपना मत है, विचार है, जीवनशैली है..
_ मैं किसी को खुश करने के लिए नहीं बोलता हूं ..न किसी के नाराज़ होने के डर से चुप होता हूं.
_ मैं तो बरसों से अकेला हूं..
_ बस मेरी सोच और मेरी अंतरात्मा ही मेरी साथी है..
_ और उसे तो मैं किसी दबाव में आकर नहीं छोड़ने वाला हूं..
अकेलेपन को बोझ समझने के बजाय, _ उसे अपनी रचनात्मकता व बौद्धिकता से जीवंत बनाएं.”

– जब आप अकेले में भी मुस्कुराने लगें तो, _ समझ लें कि आप वाकई बहुत खुश हैं -“

एकांत आपकी मजबूरी नहीं बल्कि आपकी पसंद होनी चाहिए ;

_ स्वीकारोक्ति के बिना आप एकांत के सुख का आनंद कभी नहीं पा सकते..!!

अकेलापन तब महसूस नहीं होता, जब आप अकेले होते हो._

_ बल्कि तब महसूस होता है, जब कोई आपकी परवाह नहीं करता !

ज़िंदगी में जितना जल्दी हो सके अकेले रहना सीख लीजिए..

_ क्योंकि लोग तो आपको निराश करेंगे ही करेंगे..!!

किसी ऐसे व्यक्ति से उलझने की भूल मत करना.. जो अकेले रहने से ना डरता हो,

_ वरना हार हर बार आपकी ही होगी..!!

जीवन का ये मर्म है, ए मेरे दोस्त..

_ किसी के साथ होकर भी अकेले जीना है..
_ बड़े शहरों और बड़ी ईमारतों के बीच एक दिन काम और नाम तो बेइंतहा कर लोगे तुम..
_ लेकिन अकेलेपन की इन दीवारों को नकली मुस्कुराहटों से ना तोड़ पाओगे..
_ फिर एक वक़्त ऐसा भी आएगा..
_ उन दीवारों से मोहब्बत कर बैठोगे ….”
– अकेले खड़े होने का साहस रखो,
_ लोग ज्ञान देते हैं साथ नहीं..”
एक समय तक ही आँसु देता हैं दुख, _ फिर परिपक्वता देता है और शब्द छिन लेता है

_ कर देता है मौन…और सीखा देता है एकांत में जीना..

एक उम्र पर आकर हम समझने लगते हैं,, __ कि लोग अकेले रहना _ क्यों पसंद करते हैं !!
अच्छी संगत अपनाइए, न मिले तो एकांत ही बेहतर है.!!
उस अकेलेपन से इंसान को कोई नहीं निकाल सकता..

_ जहां सबसे जुदा होकर भी उसे सुकूं का अहसास होने लगा हो…!

अकेले चलने वाले घमंडी नहीं होते, वो वास्तव में हर काम में अकेले काफी होते हैं..

–” तुम्हारा एकांत ही तुम्हें मनुष्य बना सकता है, _ भीड़ तुम्हें भेड़ बना देगी !!–“

उस से कहना हम बरसों से अकेले रहते हैं,

_ तुम ने छोड़ कर कोई कमाल नहीं किया !!

मैं अकेला हूँ और मैं सबकुछ नहीं कर सकता,

इसका मतलब ये थोड़ी की मैं कुछ भी नहीं कर सकता.

जब से सुना वो हर जगह साथ है,

न जाने क्यूँ मुझे अकेलेपन से मोहब्बत हो गई..

अकेले रहने वाले लोग अपने आप में ही सम्पूर्ण महसूस करते हैं,

ये लोग खुद को ही अपना सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं.

#एकांत अकेलापन नहीं है,

यह एक ऐसा एहसास है जिसकी कीमत हर किसी को नहीं पता है..

कुछ छण एकांत में रहना सीखो,

_आपको बहुत सारी महत्वपूर्ण बातों का आभास होगा.

कभी उदास मत रहो जिन्दगी से,

_अगर मिली है तो जीने के बहाने तलाशो !!
मनुष्य अपने एकांत में सबसे अधिक सुंदर है और सबसे अधिक सुखी भी..

.. किंतु साधारण मनुष्य यह देख नहीं पाता…. और यदि देखता है तो सह नहीं पाता..

अकेलापन कोई बुराई नहीं है. आप अकेले रह कर भी प्रसन्न, संतुष्ट, व सुखी रह सकते हैं, _ बशर्ते आप को अपने तरीके से जीने का साहस व आत्मविश्वाश हो.,!!
लोगों को आदत बना लेना ही तो सबसे बड़ी बीमारी है,

_ कभी अकेले रहना तो सीखो, फिर ये पूरी दुनिया तुम्हारी है.!!

एक वक्त के बाद हमे एहसास होता है कि अकेलापन इतना भी बुरा नहीं..

_ बस आपको स्वयं को अवसाद से बचाए रखने के तमाम तरीके सीखते रहने चाहिए..!

जब भी मन में अशांति उत्पन्न हो, आपका हृदय कहीं न लगता हो, हर तरफ चिंता, अवसाद आपको घेरता हो,

_ तब कुछ समय के लिये एकांत में जायें, मौन रहें, जो जैसा है.. उसे ठीक वैसे ही छोड़ दें, मात्र आप अपने में रहें…!

दुखी हुए बिना अकेले रहना एक जीवंतता है.

Being alone without feeling sad is a vibe.

अकेले रहना ___ इस्तेमाल होने से कहीं बेहतर है !!
लोग जुड़ें, आपस में !! ये संसार अकेलों से भरा पड़ा है !!
मानव मन ऐसा ही है _ जब एकांत में होता है तो भीड़ में आनंद देखता है _

_ और जब भीड़ में होता है तो एकांत की तरफ भागता है.

अकेले का जीवन जी कर भी उसका आनंद लिया जा सकता है.

_ किसी के साथ रहकर भी आनंदित हुआ जा सकता है.
_ _आनंद अकेले या साथ की बात नहीं है..
_ जैसी भी स्थिति हो, उसमें मगन रहने का संकल्प है.
एक ऐसी दुनिया जो लोगों से भरी हुई हो,

_ फिर भी एक बहुत ही अकेली जगह हो सकती है.
_ क्या आप कभी ऐसे कमरे से गुजरे हैं जो लोगों से खचाखच भरा हो..
_ और आपको इतना अकेलापन महसूस हुआ हो कि..
_ आप मुश्किल से अगला कदम उठा सकें ?
भीड़ में खोने से अच्छा है, एकांत में खो जाएं.

एकांत में भले कोई हमको न ढूंढे, हमारा रब तो हमें ढूंढ ही लेगा. _ वह कभी हमें अकेला नहीं रहने देगा.

इस दुनिया के लोगों को जो कोई जान जाता है, वो अकेला हो ही जाता है.!!
फूल हमेशा एकांत में खिलता है और व्यक्ति के अंतःकरण का फूल भी एकांत में खिलता है. _ हर व्यक्ति को अपना एकांत संभालना चाहिए.

कभी कभी अकेले रहना ही ठीक होता है..!! _ ताकि कोई आपका दिल न दुखा सके…!!!

इंसान जब खुद का हो जाता है, उसे एकांत में सबसे ज्यादा मज़ा आता है .!
जीवन अंततः हमे अकेले होने के लिए प्रशिक्षित करता है.

_ ज़िन्दगी जब मायूस होती है तभी महसूस होती है.

जो लोग एकांत पसंद करते हैं, _ उन्हें समझना आसान नहीं होता.
थोड़ा वक़्त लगेगा, पर यकीन मानो, अकेले बहुत सुकून मिलेगा.
अकेले रहने का आनंद लेना सीखें, क्योंकि कोई भी आपके साथ हमेशा के लिए नहीं रहेगा..!

सुंदर विचार जिनके साथ है, वे कभी एकांत में नहीं हैं !!

कितना ठहराव होता है उन लोगों में,

_ अकेले और चुप भी बैठे हों.. तो भी लगता है “कुछ कह रहे हों.!!”

मन उस छोटे से बच्चे की तरह होता है ..जो निराश होने पर दुलराया जाना चाहता है..

_जो उदास होने पर गुदगुदाया जाना चाहता है..
_ जो चाहता है कि वह रूठे तो ..कोई उसे दूध बताशे देकर मनाए..
_ जो वह रोए तो ..कोई उसे थपक कर ..चुप कराए..
_ पर मन नहीं जानता कि ..इतनी बड़ी दुनिया में ..लोगों के पास इतने बड़े बड़े काम हैं कि..
_ वह किसी की उदासी, मायूसी, अकेलेपन याकि दर्द की दवा ढूंढने में वक्त जाया क्योंकर करेंगे !!
जिंदगी में उदासीनता आती है.. कभी-कभी.. ये स्वाभाविक है.. लेकिन इसे जितनी जल्दी हो सके दूर कर देना ही बेहतर है.. ये जीने नहीं देती..
“अच्छी यादें असल में अकेलेपन की साथी होती हैं,

_ जो आपको अकेलेपन से बचाकर रखती हैं.”

सहारों की तलाश में खोए रहने से अच्छा है,

_ आप अकेले आगे बढ़ने की आदत डाल लो.!!

जीवन में खुश रहना सीखिए, _ उदास तो लोग कर ही देते हैं..!!
अकेलेपन को दूर करने के लिए हम अप्रभावी और अकुशल तरीकों का इस्तेमाल करते हैं.

We use ineffective and inefficient methods to overcome loneliness.

हमेशा अकेले रहने के लिए तैयार रहें ; _ कुछ लोग अचानक बदल जाते हैं.

_ आज आप उनके लिए महत्वपूर्ण हैं, कल आप उनके लिए कुछ भी नहीं हैं और यही वास्तविक जीवन है.

हम जिन बातों को सोचते हुए जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रोते हुए गवां देते है,

_ जिन बातों से अवसाद में चले जाते हैँ,
_ एक समय के बाद जिंदगी ..उन बातों को नजरअंदाज करके जीना सीखा देती है,
_ खैर !…अच्छे या बुरे जैसा कुछ नही होता,
_ बस कभी हम बेहद कमज़ोर होते हैं तो कभी मजबूती से सबकुछ स्वीकार कर लेते है…!
अगर कोई अकेला है तो इसका मतलब यह हरगिज़ नहीं कि उसको कोई पसंद नहीं करता_

_ बल्कि वो अकेला इसलिए है क्योंकि उसने दुनिया की औकात जान ली..

अकेला होना मनुष्य का स्वभाव है..जब तक अकेले होने को स्वीकार न करोगे, __ तब तक बेचैनी रहेगी.

— ” यदि आप अकेले सहज महसूस करते हैं, तो आप एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं ” —

हमेशा तैयार रहो, अकेले रहने के लिए, क्योंकि कुछ लोग अचानक बदल जाते हैं,

आज आप जिसके लिए इम्पोर्टेन्ट [ Important ] हो, कल उनके लिए आपकी कोई वैल्यू [ Value ] नहीं रहेगी !!

अगर कोई अच्छा साथी न मिले तो अकेले ही राह पर चल दो ;

_आपकी प्रगति में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ रहने से बेहतर है, अकेले रहना..

टूटने के बाद ख़ुद को समेट कर.. फिर से कोशिश करना..

_ बाद में अफ़सोस करने से तो बेहतर ही है..!!

अकेले रहना खूबसूरत है, _ अकेले रहने का मतलब अकेला होना नहीं है ; _

_ इसका अर्थ है कि मन समाज से प्रभावित और दूषित नहीं है..!!!

जो लोग अकेले रहने के आदी हैं वे अकेलेपन से नहीं डरते;

_ वे उस भीड़ का हिस्सा बनने से डरते हैं ..जो शायद उन्हें समझ नहीं पाती..!!

अब शौक़ नहीं किसी महफ़िल का..

_अब ये अकेलापन ही सुकून देता है..!!

जितनी चमक-दमक बढ़ी है, उतनी ही रिश्तों की दूरियां भी..!

_ सब कुछ होते हुए भी इंसान अकेला है.!!

_ अकेलापन कोई ऐसी चीज़ नहीं, जो इंसान पर थोपी गई हो.

_ ये एक सज़ा है, जिसे हमने खुद चुना है और सबसे अजीब बात ? हमें इसका एहसास भी नहीं है.!!

“कभी-कभी, आपको अकेले बैठने की जरूरत होती है,

_ दुनिया के बारे में भूल जाओ और अपने लिए थोड़ा समय निकालो..!!”

“एक दिन सब ठीक होगा, सब गुजर जाएगा !;”

_ हर सुबह ख़ुद को यही दिलासा देने का क्रम जिजीविषा [desire for survival] बनाएं रखता है ज़िंदगी में !!

आपको जीवन में अकेले ही पैदा करके भेजा गया है,

_ जिसका सीधा सा अर्थ है कि आपके ऊपर पहला उत्तरदायित्व स्वयं का ही है,
_ स्वयं प्रसन्न रह कर ही औरों को प्रसन्न रखा जा सकता है.!!
मेरा-तेरा का विचार ही सारे झगड़ों का कारण है.

_ मेरा घर, देश, पत्नी, पति, बेटा, बेटी, और आस्था ;हमारे पास बहुत सारे “मेरे” हैं,
_ और फिर भी लोग इतना अकेला महसूस करते हैं.
मुझे हमेशा ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई मेरे साथ है,

_और मैं खड़े होकर सीधे उसकी आँखों में देख रहा हूँ, और पूछ रहा हूँ.
._ “क्या यही वह शांति है, जिसके लिए मैंने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया ?”
_ लेकिन ये सवाल क्या है ?
_ मैंने कभी भी सब कुछ बलिदान नहीं किया;
_ मैंने सिर्फ अपने आप को और अपनी शांति को चुना,
_ लेकिन मैं वह हूं _जो अकेला रह गया हूं _जैसे कि मैंने कुछ गलत किया हो !!
_ क्या मैं खुद को चुन रहा था या अपने अकेलेपन को ?
मैं जितना लोगों को समझता गया, अकेलापन और भी अच्छा लगता गया..
जब हम मौन और एकांत के लिए समय निकालते हैं, तो हम खुद को आराम करने, तरोताजा होने और खुद से दोबारा जुड़ने का मौका देते हैं.

_ हम दुनिया को एक नई रोशनी में देखना शुरू कर सकते हैं और नए विचारों के साथ आ सकते हैं.
_ हम शांति और संतुष्टि की गहरी भावना भी विकसित कर सकते हैं.
_ हमारे व्यस्त जीवन में मौन और एकांत के लिए जगह बनाना आसान नहीं है ;
_ लेकिन ये इसके लायक है.
_ यह एकमात्र तरीका है जिससे हम वास्तव में शांति और खुशी पा सकते हैं.
मैं अकेला तो हूं..

_ परंतु एक सकारात्मक बात यह है कि मुझे किसी के छोड़ जाने का भय नहीं है,
_ और न ही किसी से कोई अनावश्यक उम्मीदें ,,
__ मेरा संपूर्ण समय मुझे ख़ुद के ग्रोथ, शारीरिक मजबूती, मानसिक शांति और लक्ष्यों को अर्जित करने में लगाना है,
_ यही मेरा वर्तमान जीवन का मुख्य उद्देश्य हैं…!!!
_ इस स्वकेंद्रित युग में अपनापन खोजना रेतीले मरुस्थल में पानी की खोज जैसा होते जा रहा है..!!
 
  • कोई नहीं साथ देता जब आप अकेले लड़ रहे होते हो, __ जहां तक कि लोग आपकी दयनीय स्थिति पर हँसते ही हैं_ ” यही सत्य है…!!!”
तुम सब संभाल सकते हो..

_ तुम सब ठीक कर सकते हो..
_ तुम सब कर लोगे..
_ तुम हो तो हमें कुछ सोचने की जरूरत नहीं..
_ तुम, तुम और तुम.
 
—- हमारे अपने ये कह कह के किसी इंसान पर इतना बोझ डाल देते हैं कि..
_ इंसान चाहकर भी कुछ कह नहीं सकता है.
_ उम्मीदों का बोझ इतना मत डालिए कि कोई टूट ही जाए.
_ किसी अपने से उम्मीद लगाने के साथ ज़रूरी है कि उसके कंधे पर हाथ रखे रहा जाए,
_ उससे कहा जाए कोई बात नहीं,
_ अगर कुछ ठीक नहीं भी हुआ _ तो भी हम साथ हैं.
_ एक शख्स रोना चाहता है लेकिन आपकी उम्मीदें उसे रोनें नहीं देती हैं,
_ ये उसके साथ ज़ुल्म है.
_ कोई बिखर जाना चाहता है लेकिन उसके पास कोई एक ऐसा इंसान नहीं होता है..
_जहां वो खुलकर चीखकर रो पाए.
_आपकी ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीदें किसी को तोड़ सकती हैं.
__ ऐसा ज़ुल्म न करें..!!
__ अकेले जूझते इंसान की तकलीफ, दर्द महसूस करें..
_ क्योंकि कुछ लोग कुछ कह नहीं पाते बस ख़ामोशी से ख़ाक होते रहते हैं.
आपको किसी की जरूरत नहीं है; आप अकेले ही बेहतर हैं.

_क्योंकि अकेले रहना कभी-कभी आपको हर चीज़ की सच्चाई दिखाता है, जिसमें आपके रिश्ते भी शामिल हैं.
_आप अपने सबसे बुरे डर का सामना करते हैं, और यह आपको निडर बना सकता है.
_अकेलापन आपको तभी खाता है जब आप उसे खुद को खाने देते हैं.
_ यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो कुछ भी आपके सामने नहीं आ सकता..
_क्योंकि आपके पास कोई नहीं है _जो आपको चोट पहुँचा सके _या आपका मन बदल सके.!!
– कभी-कभी अकेले रहना, यहां तक ​​कि सैकड़ों लोगों के बीच भी, _उन लोगों से घिरे रहने से बेहतर है ;
_जो किसी भी समय आपको चोट पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं.
_यहां आम तौर पर सभी लोग एक जैसे हैं, मैं और आप, हम सभी किसी न किसी तरह से टूटे हुए हैं, अकेले किसी चीज़ से गुजर रहे हैं ?
_ साथ ही, हम उन लोगों के लिए रोते हैं जो परवाह नहीं करते,
_ क्या प्यार पाने की भीख मांगने के बजाय अकेलेपन को चुनना बेहतर नहीं है ?
बहुत तकलीफ में भी हों तो हार मत मानिए.. खेलिए. “ज़िंदगी एक खेल है.”

_ जो हार जाते हैं, वो रह कर भी नहीं रहते
._ जो नहीं हारते, वो हार कर भी जीते हुए होते हैं.
_ तकलीफ सिर्फ मन का भाव है.
_ उदासी, एकाकीपन, अकेलापन सब सबके साथ लगे होते हैं, इन्हें लगे रहने दीजिए,
_खुद पर हावी मत होने दीजिए….लड़िए. “जीवन का खेल लड़ाई ही है.”
_ _ फिल्म मेरी जंग का गाना, “ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है… को अपने जीवन का फलसफा बनाइए.
_ यही सच भी है,
_ “ज़िंदगी हर कदम अगर नई जंग न हो तो जीवन में जंग लग जाए.
अपने अकेलेपन को आपको जहरीले लोगों से दोबारा जुड़ने न दें.

_ आप को प्यास लगने के कारण जहर नहीं पीना चाहिए.
_ कोई भी आपको खुश नहीं कर सकता, अगर आप अंदर से खुश नहीं हैं.

Don’t let your loneliness make you reconnect with toxic people.

You shouldn’t drink poison because you are thirsty.

Nobody can make you happy, If you aren’t happy inside.

चाहे आपका सफर कितना भी अकेला क्यों न हो जाए,

_ कभी भी टॉक्सिक लोगों को अपने जीवन में वापस न बुलाएँ !!

अब बड़े-बड़े आलीशान मकान होंगे _ और मन छोटा हो जाएगा,

_ रुतबा तो होगा आपका _ लेकिन आप मुस्कुराने के बहाने ढूंढते रहोगे,
_ महँगे से महँगे कपड़े पहनोगे _ फिर भी आईने में कुछ सूनापन दिखेगा,
_ जिसके लिए आप सब कुछ छोड़ देंगे _ उसके पास आपके लिए समय नहीं होगा.
_ आपकी समझ के चर्चे तो सारी दुनिया में होंगे, पर जो अपना होगा, वह आपको रत्ती भर भी न समझेगा,
_ मैं जानता हूं कि _ये पंक्तियां आपको निराश करती हैं..
_ लेकिन सच्चाई जानने के बाद ही आप ये समझ पाएंगे..!!
_ ” खुद की तलाश क्यों जरुरी है “
_” जीवन सहज क्यों बनाना है “
_ ” कुछ चीजों तक वापिस क्यों लौटना है “
 
यह भी जिंदगी का विस्तार है..
_जो लोगों के बीच से निकलकर एकाकी हो जाता है,
_दुनिया के आवरण को छोड़ता अपने आवरण को ठकता.. अपनी जड़ों में बंधता.. अपनी सांसे मज़बूत करता..
_ धैर्य फिर भी रखना ही होता है _ हर बदलाव को स्वीकार करते तत्परता से डटे रहना होगा..
_ फिर कौन आया कौन गया के सवाल भी ख़त्म
 
आने वाले समय में आदमी के पास सब कुछ होगा, सारी भौतिक सुविधाएं होंगी,
_लेकिन उसकी ज़िंदगी उदास होगी और वो अकेला होगा,
_ लगता है कि बदले मे मन की शांति गिरवी रखनी होगी.
_ बेशक पहले से बेहतर सुविधाओं के साथ जी रहे है,
_ पर कुछ साल बाद उसी पुराने दौर में जानें के लिए प्रार्थना करेंगे.
_अकेलापन बहुत तेजी से महामारी का रूप लेने जा रहा है.
_ क्या महानगर, क्या छोटे नगर, हर घर की यही कहानी होने जा रही है.
_ ये एक बुरी भविष्यवाणी है, लेकिन जो भी इसे समझते हैं, रिश्तों की भाषा जानते हैं _तो ये देख पा रहे हैं कि आदमी न सिर्फ अकेला है, बल्कि उदास भी है.
_ इंगलिश में कहें, मेडिकल भाषा में कहें तो दस साल के बच्चों से लेकर जवान और बुजुर्ग तक अब डिप्रेशन के मरीज बन रहे हैं..
_और दुख का विषय ये है कि हम डिप्रेशन या अवसाद को बीमारी नहीं मानते.
_ बिखरते परिवार, टूटते रिश्ते, सोशल साइट के बढ़ते दबाव से अब ऐसे अनजान मानसिक वायरस सीधे दिमाग में घुस रहे हैं कि आदमी को पता भी नहीं चल रहा कि..
_कब वो सबके बीच रहता हुआ _अकेला हो गया..
Loneliness ( अकेलापन ) एक नया गंभीर रोग :

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घर के बाहर शोभा यात्रा निकल रहा रोज, बेंड बाजा बज रहा, भजन हो रहा, आप दिन भर भीड़ में शामिल है, घर में 10 -12 लोग रहते है इसका इस बात से कोई सम्ब्नध नही है की आप अकेले नही है. ‘अकेलापन या लोनलीनेस’ एक गंभीर बीमारी है जिसका सम्ब्नध कई और घातक बीमारियो से है.
 
वर्तमान में चाहकर भी, जिस सिस्टम में हम रहते और जीते है उसपे हमारा कोई नियंत्रण नही है. अब कारण चाहे इंटरनेट हो, पूँजीवाद हो या कोई और, लेकिन इंसानी इतिहास में इंसान इससे ज्यादा आइसोलेटेड ( एकांकी रूप से जुदा /अकेले ) कभी नही रहा है.
 
यही बात रोमेंटिक रिश्ते में भी हावी हो चूका है, आधा लड़ाई इस बात के लिए है की कोई किसी एक को बराबर समय नही दे पा रहा, और दुर्भाग्य से ये घर घर की कहानी है.
 
चूँकि इस तरह का रिसर्च भारत में नही हो रहा _लेकिन ये मैंने बहुत करीब से अनुभव किया है कि _मै जितने लोगो को मिला -देखा हू _लगभग सब अकेले है, _बस इसके लिए कोई शब्दावली नही है या इसको जाहिर करने का कोई स्पेस नही है.
 
शादीशुदा है, रिश्ते में, बच्चे है इस सबसे भी इस अकेलेपन का कोई संबंध नही है. -कारण क्या है ?
 
‘कोर्टिसोल’ एक हारमोन है जिसे हमारा शरीर किसी भी तनाव की स्थिति में निकालता है, और लम्बे समय तक इस हार्मोन के शरीर में बने रहने के कारण – मतलब chronic loneliness ( लम्बे समय तक का अकेलापन ) के कारण चार गंभीर चीजे इससे जुड़ जाती है :
 
हार्ट की बीमारी
स्ट्रोक
एंक्जाइटी
गंभीर डिप्रेशन
 
अब ये जो चार चीजे है _वो दिमाग को कई परतो में गंभीर रूप से ऐसे प्रभावित करती कि _हमारी सोचने और समझने की क्षमता भी धीरे धीरे ख़तम होने लगती है,
हम जिन्दा तो रहते है, सब काम करते है, घर की जिम्मेदारी भी निभाते है _लेकिन एक मशीन सा बन गए होते है.
 
इस बढ़ रहे कोर्टिसोल के कारण भयंकर वजन भी बढ़ने लगता है, मसल कमजोर हो जाता है, और किसी भी चीज में एकाग्र भी नही हो सकते.
अब भले कहने में छोटा लगे की अकेलापन का क्या ? जाके कुछ मस्ती कर लो , या कुछ और चीज में बीजी [ Busy ] हो जाओ तो अकेलापन नही लगेगा —लेकिन ये सतही समाधान है.
 
मै नही जानता किसी को भी जो आज के इस समय में इस गंभीर रोग ‘ अकेलेपन ‘ का शिकार नही,
to be honest , सबके अकेलेपन का सोच सोच के ही मेरे को अजीब सा आइसोलेशन महसूस होता.
 
बाकी क्या –जो चल रहा सो चल रहा। सब चीज कथित रूप से “नार्मल’ है या नार्मल होने के लिए प्रिटेंड ( दिखावा ) कर रहे है.
 
इसके शायद कुछ समाधान/कारक ( मेरे अपने अनुभव से ) के बारे में लिखूंगा…
– मनोज ठगिया
 
एक बार जब आप उस चीज़ पर ध्यान केंद्रित कर लेते हैं जिसे आप नियंत्रित कर सकते हैं तो चिंता [Anxiety] गायब हो जाती है.
[Anxiety disappears once you focus on what you can control.]
 
हाँ, मैं समझता हूं कि जीवन गुलाबों और विलासिता का बिस्तर नहीं है, जहां बिना प्रयास किए सब कुछ अपने आप में मिल जाता है.
_ लेकिन यह हार्ट अटैक, या काम के दबाव, कभी न खत्म होने वाले तनाव, एक प्रतिस्पर्धी दुनिया, सफलता, विफलता, नौकरी असुरक्षा, मानसिक शांति की कमी, किसी भी तरह के उत्पीड़न, या जो कुछ भी “होने की कीमत पर नहीं होना चाहिए.’
–हम सभी के भीतर समाधान है, लेकिन इसे अनुकूलित करना सबसे कठिन है
_एक स्वस्थ, संतुलित जीवन शैली को अपनाते हुए,
मेरा समय, परिवार और दोस्तों के साथ, और शारीरिक कल्याण, ध्यान, योग आदि के लिए हो..,
_और अनावश्यक तनाव, झगड़े, तर्कों से बचना, अति महत्वाकांक्षी होना, राजनीतिक मानसिकता होना (विशेष रूप से अपने प्रियजनों के साथ), तकनीकी, मोबाइल और सोशल मीडिया पर कम निर्भर होना, वर्तमान में रहना, कम उम्मीद करना,
_जो है उसका आनंद लेना, और भविष्य के बारे में जोर देने के बजाय आगे के रास्ते के लिए अच्छी योजना बनाना,,
__आपकी जो भी भूमिका है, आपको अपना समय और कौशल बढ़ाना चाहिए,
_स्वस्थ आदतों को अनुकूलित करना चाहिए, कुछ चंचलता जोड़ना चाहिए,
_और कुछ ऐसा करना चाहिए जो आपके दैनिक दिनचर्या और नियमित कार्य दिवस से पूरी तरह से अलग हो.
_यह जीवन में हार्ट की बीमारी, स्ट्रोक, एंक्जाइटी, गंभीर डिप्रेशन में मदद करता है..!!
 
जैसे-जैसे हम समझदार होते जाते हैं..तब हमें एहसास हो जाता है कि यह दुनिया इमोशन से नही परन्तु प्रैक्टिकल आधार पर चलती है.
_यहां इमोशनल होकर फैसले नही लिए जाते..ये जिंदगी व्यवहारिक एवम समायोजित होकर जीने के लिए ही मिला है… इमोशन के सागर में हम केवल अश्रु रूपी मोती ही पाते हैं.
 
_यदि आप जीवन में किसी को खुद से भी अधिक महत्व देना शुरू कर दिए हैं… तो सम्भल जाईए..
_.. क्योंकि बदले में दर्द, नाउम्मीदी एवमं निराशा के सिवा कुछ नहीं मिलने वाला और अवसाद के गिरफ्त में जाएंगे सो अलग….!!!
 
…अब किसी का साथ नहीं भाता, दरअसल जब कोई साथ होता है तो..जिंदगी बहुत आसान लगने लगती है और जब वो छोड़ जाते हैं, तो हम जीवन की सबसे निचली पायदान पे पहुंच जाते हैं,
 
_जहां सिवाय दर्द, बेबसी, अवसाद के कुछ नहीं मिलता…_ इसलिए अब एकांत ही अच्छा है.
 
“”जो लोग अकेले रहना नहीं जानते, वे हर समय दूसरों से अनुमोदन [ Approval ] और अटेंशन [ Attention ] की भीख मांगते रहते हैं.”
_ आपको अकेले रहना सीखना होगा, चुप रहना सीखना होगा, दूसरे के साथ घुलने-मिलने में सक्षम होना होगा,
_ क्योंकि हर एक के अंदर एक बड़ा अकेलापन रहता है.
_हमारे अंदर एक ऐसी जगह है, जहां हमारे अलावा कोई नहीं जाता.
_ और हमें यह भी नहीं पता कि _यह जगह कैसी है.
_इसलिए हमें एक-दूसरे के अकेलेपन का और एकांत… का सम्मान करना सीखना होगा..!!
 
हर शख्स के दिल में एक खामोशी है. [There is a silence in the hearts of each person.]
 
_एक ऐसा स्थान मौजूद है जहां आंतरिक आवाज अंकुरित होने के लिए स्वतंत्र होती है. [A space exists where the inner voice grows free to sprout.]
 
वह स्थान एकान्त में विस्तृत हो जाता है. [That space expands in solitude.]
 
कुछ भी बनाने के लिए – एक कविता, एक पेंटिंग, एक व्यावसायिक विचार या गीत. [To create anything – a poem, a painting, a business idea or song.]
 
इस ख़ामोशी में उस आवाज़ को ढूंढना है जिसके पास दुनिया से कहने के लिए कुछ है. [It is to find the voice in the silence that has something to say the world.]
 
एकांत में, हम मौन में अपने जीवन का गीत सुनना शुरू कर सकते हैं. [In solitude, we may begin to hear in the silence the song of our own lives.]
 
अपनी सारी ऊर्जा और समय उस दीवार को तोड़ने के लिए बचाएं जो आपके दिमाग ने आपके चारों ओर बनाई है.
[ Save all your energies and time for breaking the wall your mind has built around you.]
 
Question : अकेलेपन से कैसे उबरा जाए ?
How to overcome loneliness ?
 
Answer : सबको एक न एक दिन अकेला होना है.
_ इस दुनिया में इंसान अकेला आता है, अकेला जाता है.
_ इस जीवन यात्रा में कुछ लोग राह में मिलते हैं, अपना गंतव्य [ Destination ] आने पर साथ छोड़ देते हैं.
_ यही जीवन का सत्य है _जिसे स्वीकार करना होता है.
_ किसी का साथ होना मात्र संयोग होता है और किसी का बिछड़ना भी..!
_ इसके लिए मनुष्य को मानसिक रूप से हर समय तैयार रहना चाहिए..!!
_ खुश रहने के अनेक उपाय हैं.
_ वे उपाय आपके पास नहीं आएंगे, आप को उनके पास जाना होगा..!!
 
Question : जब आप अकेलापन महसूस करते हैं तो क्या करते हैं ?
Question : जब आप अकेलापन महसूस करते हैं तो क्या करते हैं ?

Answer : मैं किताब, संगीत और हर खूबसूरत चीज़ [ Meditation ] के साथ _खुद की एक छोटी सी दुनिया में _खुद को बंद करने के आनंद को _बहुत तीव्रता से महसूस करता हूं.
_ मुझे याद है कि मैं कैसे जीना चाहता हूं और इसके लिए एक ईमानदार प्रयास करता हूँ,
_ मैं अपना सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए अपना सब कुछ दे रहा हूं.!!
-मैं हवा को, संगीत को सुनता हूं, आकाश, नदियों, पक्षियों को देखता हूं और खूब नाचता हूं.
– मेरी सबसे अच्छी बात यह है कि मेरे बाहर और मेरे अंदर कोई अंतर नहीं है.
– बाहर और भीतर दोनों जगह एक ही चीज महसूस करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है.
_मैं इसका भरपूर आनंद उठाता हूं और अंदर से सुंदर महसूस करता हूँ.
_ जब हम अंदर से सुंदर महसूस करते हैं तो हर कोई नोटिस करता है.
_ हर कोई हमारे साथ चलना चाहता है.
_ और तब आपको एहसास होता है कि जीवन को सहज बनाना कितना आसान है.
_ दुनिया को सहज बनाना कितना आसान है.
_ हमारे पास साफ करने के लिए चीजें हैं,
_ लेकिन उससे पहले _हमें अपने दिमाग को अनावश्यक विचारों से साफ करना होगा.
_और अपने ऊपर उन चीज़ों का बोझ नहीं डाल सकते,
_ जिनका हमारे लिए कोई उपयोग नहीं है.
_ अब हमें कोई खुरदरापन [ roughness ] महसूस नहीं होता.
_ अतीत की हर चीज़ इस क्षण में विलीन [ merged ] हो जाती है.
_ हम स्वतंत्र महसूस करते हैं.
_ हम निडर महसूस करते हैं.
_हमें प्यार महसूस होता है.
_ मुझको चलने दो अकेला, रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा !!
जब लगे कोई नही सुनता, जब लगे कोई आपको सुना रहा है,

_जब लगे आपकी बातों का किसी पर असर नहीं पड़ता,
_जब लगे कोई बात का बतंगड़ बना रहा है।
_जब लगे वह आपको हल्के में ले रहा है ..तो उसे उसके हवाले छोड़ दीजिए,
_ क्योंकि जब उन्हें अपनी बात कहने में या रखने में नही है कोई झिझक ..तो उनको समझाना या समझना भैंस के सामने बिन बजाना है..
_ क़भी ख़ुद से सब बातें करके देखें.
_ क्या क़भी ख़ुद को आपने सुना है ?
_ ‘नही न’ तो आज खुद से बात करके देखिए, मज़ा न आए तो कहना..
_ वो क्या है न हम दूसरों को तवज़्ज़ो देते देते, अपनी तवज़्ज़ो भुल गए हैं..
_ रूठने दीजिए सभी को, ख़ुद को मनाना सीखें..
_ कोई आपसे बात न करे तो ..ख़ुद से बात कीजिए,
_ आप किसी को अच्छे भले न लगते हों, ख़ुद को अच्छा लगें.
_ और क़भी भी किसी को भी आपको हल्के में लेने की हिमाक़त करने न दें.
_ अकेलापन डराता नही है, आपको बहुत कुछ सोचने का मौका देता है.
_ इस एकांत को जितना हो सके उतना जीना सीखें..
_ अपने मस्तिष्क से जुड़ियेगा और ख़ुद को सुनिए ..क्योंकि इससे मधुर संगीत कोई है ही नही.
_ जब ज़िन्दगी और ज़ेहन में विषय, वस्तु, वक़्त, व्यक्ति आपको कमज़ोर करने लगें,
_ तो बेहत्तर यही है कि इन सभी को तिलांजलि दी जाए, ख़ुद को ब्रेक देना सबसे ज्यादा जरूरी..!!
अकेले रहने की क्षमता ही प्रेम करने की क्षमता है.

_यह आपको विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है.
_ यह एक अस्तित्वगत सत्य है: केवल वे लोग जो अकेले रहने में सक्षम हैं,
_ वे ही प्रेम करने, साझा करने, और दूसरे व्यक्ति के सबसे गहरे केंद्र तक जाने में सक्षम होते हैं,
—बिना दूसरे को अपना बनाए, बिना दूसरे पर निर्भर हुए, बिना दूसरे को एक वस्तु में बदलते हुए, और बिना दूसरे के प्रति आसक्त हुए..
_ वे दूसरे को पूर्ण स्वतंत्रता देते हैं,
_क्योंकि वे जानते हैं कि यदि दूसरा व्यक्ति उन्हें छोड़कर चला भी जाए, तो वे उतने ही खुश रहेंगे जितने अभी हैं.
_ उनकी खुशी को दूसरा छीन नहीं सकता, क्योंकि उनकी खुशी दूसरे द्वारा दी गई नहीं है.
ऐसी दुनिया में, जहाँ हर कोई दूसरों में अपना घर तलाश कर रहा है,

_ खुद से संबंध स्थापित करना सीखना एक कला है.
[Learning to relate to yourself is an art.]
_ आप को थोड़ा बुरा लग सकता है, लेकिन जीवन की एक सच्चाई यह है : “यहां कुछ भी सदा के लिए नहीं रहता !!”
_ आज आप जिनसे प्रेम करते हैं या तो वे आप को छोड़ देंगे या आप को उन्हें छोड़ना पड़ सकता है या वे बदल जाएंगे !!
_ लोग चौबीस घंटे आप के साथ नहीं रह सकते..
_ हमनें एक ऐसी दुनिया बनाई है, जहाँ सफलता पाने के लिए अपनों से दूर जाना पड़ता है..
_ नये जॉब के लिए या कॉलेज के लिए घर छोड़ना पड़ता है..
_ ज़िन्दगी और लोग बदल जाते हैं, हमारी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं..
— ऐसी स्थिति में, यदि आप ने यह नहीं सीखा कि ” खुद से संबंध कैसे जोड़ें”, [How to connect with yourself] _ तो जब भी कोई आप को छोड़ कर जाएगा,
.. हर बार आप को अकेलापन महसूस होगा !!
— आप को अपने प्रियजनों के लिए ह्रदय के द्वार खुले रखने चाहिए, ताकि वे आप के पास आ सकें और प्रेम का एहसास करा सकें.
_ आप को उनकी संगति का सुख लेना चाहिए, जिनसे आप प्रेम करते हैं, लेकिन आप को यह भी सीखना है कि “अपनी संगति का आनंद कैसे लें”
” अपने जीवन को एक निजी छोटा-सा बगीचा बना लें, जिसमें सभी प्रकार के फूल हों”
_ जैसे कि अपने कुछ शौक़..
_ मैंने एक वीडियो देखा है जिसमें कहा गया है,
_ “तितलियों का पीछा करना बंद करो, _क्योंकि वे उड़ जाएंगी.
_ “इसके बजाय एक सुंदर बगीचा बनाएं, तो तितलियाँ आपके पास आएँगी,
_ और यदि वे न भी आएं, तो भी आपके पास एक सुंदर बगीचा होगा..!!”
_ हां, भले ही आप दुखी हो जाएं या टूट जाएं, कम से कम आपने ऐसे काम किए हैं,
_ जो आप को संतुष्ट कर सकते हैं या आप को खुश कर सकते हैं,
_जो आखिरकार, आप को अपने जीवन में हमेशा के लिए संतुष्ट रखेंगे.
_हमेशा व्यावहारिक रूप से सोचें और खुला दिमाग रखें.
 
हम में से अधिकांश को एक अच्छे दोस्त की जरूरत होती है,
_ एक ऐसे व्यक्ति की जो हमें सुन सके ..और सही विकल्प चुनने में सलाह और हिम्मत दे,
_ बड़े शहरों में दिमागी घुटन, अकेलापन, मानसिक अवसाद बहुत लोगो में है,
_ पर अधिकांश लोग इसको समझते नहीं हैं ..और समझ भी लें तो ..इन भीड़ से भरे शहरों में सब अकेले ही हैं,
_ हेल्थी [healthy] बातचीत करने वालो की बहुत कमी है,
_ एकांत और शांत जगह नहीं मिलती ..कहीं आधा घंटा बैठने के लिये,
_ जॉब, कम वेतन, परिवारिक जिम्मेदारियां, अपने मूल निवास को छोड़कर दूसरे शहरों में बिना अपनो के रहना, ऐसे बहुत से कारण हैं,
_ जिनके चलते ना जाने कितने व्यक्ति तनाव और डिप्रेशन का शिकार हैं,
_ कभी कभी लगता है ..बड़े शहरों में जहाँ इतने कैफे और रेस्टोरेंट खुले हैं,
_ वहां शांत बैठने के लिए या बात करने के लिये भी कोई व्यवस्था होनी चाहिए,
_ जहां कोई अकेला या दो व्यक्ति शांति से बैठ सके बात कर सके, कोई शोर ना हो भीड़ ना हो.
_ दूसरे हम सबको अपने अंदर दूसरों को सुनने की क्षमता जरूर बनानी चाहिए,
_ हमें लोगों से सभ्य और हेल्थी [healthy] बातचीत करते रहना चाहिए.
 
कभी-कभी खुद की तलाश करना भी बेहद जरूरी होता है,
_ क्योंकि आस-पास इतना कुछ घटित हो रहा होता है कि समझ ही नहीं आता कि..
_ करें क्या ?…
_ कुछ पल ऐसा महसूस होता है कि ..लगता ही नहीं कि ज़िन्दगी को जी रहे हैं.
_ मन एकदम भारी भारी सा लगने लगता है.
_ सोशल मीडिया या फेसबुक खोलो तो न कुछ लिखने को दिल चाहता और ना ही कुछ पढ़ने को.
_ बैठे-बैठे या लेटे-लेटे कहीं खो जाना और घण्टों इसी मुद्रा में रहना, ना ही खाने का होश और ना ही नींद का होना.
_ ऐसा प्रतीत होता कि कोई पॉजिटिव एनर्जी बची ही नहीं है.
_ ऐसा महसूस होता कि चारों तरफ एक नेगेटिव एनर्जी का आवरण है.
_ किसी से बात करने की भी इच्छा नहीं होती.
_ कुछ घटनाक्रम भी ऐसे घटित होते कि हमें सोचने पर बहुत कुछ मजबूर कर जाते,
_ हम अनिश्चितताओं की दुनिया में निवास कर रहे हैं,
_ हर कोई अपने सोच के अनुसार एक दुसरे को जज कर रहा हैं,
_ जहां रिश्तों की कोई कीमत नहीं है, ना ही सामने वाले के विचारों से कोई लेना देना.
_हर एक इंसान एक भ्रम में जी रहा है.
_ जहां वो खुद से सवाल कर रहा है और खुद ही जवाब दे रहा है.
_ मायूसियां किस कदर हावी है कि बिल्कुल खामोश सी ज़िन्दगी हो गई है.
_ नाउम्मीद तो नहीं लेकिन बेफ़िक्र भी नहीं हूँ, शायद ये कुछ पलों की अशांति कुछ अच्छा होने की आमद हो.
_ ज़िन्दगी बिल्कुल भी सहज व सरल नहीं है,
_ हर कोई अपनी मुश्किलात से दो-चार है.
_ हम किसी के समस्या को न पूरी तरह जान सकते हैं और ना ही समझ सकते हैं.
_इसलिए हमेशा ये महसूस होता है कि मैं ही क्यों इतना परेशान हूँ,
_ लेकिन जब बाहर निकल कर दुनियां देखते हैं तो ..ये भ्रम टूट जाता है..!!
–हेसाम
 
कभी कभी जिंदगी कितनी आसान लगती है..
_ तो कभी कभी इतनी मुश्किल लगती है कि जीना ही दुश्वार हो जाए…
_ जिंदगी अपने साथ कई रंग लिए फिरती हैं..
_ न जाने कब कौन सा रंग हमारे ऊपर चढ़ जाए….
_ लेकिन कुछ पल या कुछ दिन ऐसे गुजरते हैं.. जब जिंदगी में कोई उथल पुथल ना हो रहा है, एक ढर्रे पर जिंदगी चल रही हो,
_ इसके बावजूद भी उदासीनता हावी हो जाती है,
_ कोई शारीरिक बीमारी या तकलीफ ना होने के बावजूद भी मानसिक रूप से बीमार लगते हैं,
_ अपने चारों तरफ उदासी ही दिखती है क्योंकि खुद भी उदास होते हैं, बिल्कुल अकेला अकेला महसूस होता है….
_ दिल करता है कि यहां से कहीं दूर भागकर चले जाए…
_ ये उदासी इस कदर हावी हो जाती है कि बर्दाश्त के बाहर होने लगता है….
_ कहीं न कहीं ये जीवन के एकरसता के वजह से भी हो सकता है,
_ एक बोझिल और रूटीन सी जिंदगी, जिसमें खुद के लिए वक्त ही नहीं होता और रोजाना एक ही काम से उबने लगते हैं….
_ बस यही जिंदगी है.. जहां ज्यादातर वही होता है जो अपने सोच के विपरीत होता है… जब नकारात्मकता हावी होती है….
_ इसलिए कुछ सकारात्मक लोग हमेशा ही हमारे चारों तरफ होने चाहिए जिनसे हम दिल की हर बात कह सके…..
– हेसाम
आख़िरकार आपको अपनी ज़िम्मेदारी ख़ुद ही लेनी होगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

_ आप जो कुछ भी महसूस करते हैं उसके लिए आपको जिम्मेदार होना होगा.

— अकेला रहना जीवन का एक सत्य है.

_ जितनी जल्दी आप इसे स्वीकार कर लेंगे, जीवन उतना ही आसान हो जाता है.

Eventually you have to take your own responsibility.You have to be responsible for everything you feel.Being alone is a fact of life.The earlier you accept it, the easier the life gets.

कुछ लोगों के लिए अकेलापन एक मिथक है, कुछ लोगों के लिए जीने का तरीका है.

For some people loneliness is a myth, for some that’s the way of living.

अकेला कैसे बनें ?

_ बस कोई भी जो कुछ भी मांगे, उसे अस्वीकार करना शुरू कर दें,

_ आप उनके लिए किसी काम के नहीं रहेंगे और अंततः वे आपसे बिना सवाल पूछे ही चले जाएंगे.

_ आप उन्हें बेवजह जवाब देने या झूठ बोलने से बच जायेंगे. चुनना…

How to become lonely ?

Just start denying for everything anyone ask for, you will be no use for them and eventually they will leave you without asking questions.

You will get saved from giving them unnecessary answers or telling lies. Choose…

अपने मन और भावनाओं को संसाधित करने में अपना समय लें.

[ Take your time on processing your mind and feelings.]
_ जब चीजें डरावनी, कठिन और अनिश्चित हो जाती हैं, तो आप कुछ ऐसा कर सकते हैं या बना सकते हैं ..जो आपको इसे सहने में मदद करेगा.
_ ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं ..जो आप कर सकते हैं,
_ जैसे अपना पसंदीदा खेल खेलना, सैर करना, कहीं से अकेले खाना खाना, मूवी देखना, लंबी नींद लेना और भी बहुत कुछ..
_ किसी तरह, यह आपको शांत महसूस करने और पहले की तुलना में हल्का महसूस करने में मदद करता है.
_ भले ही आप इससे आसानी से बच नहीं सकते, लेकिन आप इसे रोकने का कोई तरीका जरूर बना सकते हैं.
_ मुझे उम्मीद है कि चीजें आपके साथ ठीक हो जाएंगी.
 
 
 

 

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