सुविचार – खुदकुशी – ख़ुदकुशी – आत्महत्या – Suicide – 118

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आत्महत्या, अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है.

Suicide is a permanent solution to a temporary problem.

_ Abigail Van Buren

आत्महत्या करके अपना जीवन बर्बाद मत करो…यह एक बकवास तरीका है.

Don’t piss your life away with suicide…it’s a bullshit way out.

-Gerard Way

जब जीने की इच्छा खत्म हो जाये और कोई चाहत ना बची हो तो..

_ अपनी ज़िंदगी उन लोगों के नाम कर दें, जिनको आपकी जरूरत है.

जीने की इच्छा खत्म होने पर भी जीते जाना बड़ी बहादुरी का काम है.

_ वे अनेक पल जब आपने मरना चाहा, से ज़्यादा काबिल है वह एक पल जब आपने जीना चाहा.!!
“सुसाइड की जरुरत नहीं, संन्यास लो !”

एक शिष्य ने ओशो से कहा की वह जिंदगी से तंग आ कर आत्महत्या करना चाहता है, इस पर ओशो बोले :-
तुम सूइसाइड क्यों करना चाहते हो ? शायद तुम जैसा चाहते थे, लाइफ वैसी नहीं चल रही है ? लेकिन तुम ज़िन्दगी पर अपना तरीका, अपनी इच्छा थोपने वाले होते कौन हो ? हो सकता है कि तुम्हारी इच्छाएं पूरी न हुई हों ? तो खुद को क्यों खत्म करते हो, अपनी इच्छाओं को खत्म करो। हो सकता है तुम्हारी उम्मीदें पूरी न हुई हों और तु परेशान महसूस कर रहे हो।
जब इंसान परेशानी में होता है तो वह सब कुछ बर्बाद करना चाहता है। ऐसे में सिर्फ दो संभावनाएं होती हैं, या तो किसी और को मारो या खुद को। किसी और को मारना खतरनाक है और कानून का डर भी है। इसलिए, लोग खुद को मारने का सोचने लगते हैं। लेकिन यह भी तो एक मर्डर है।तो क्यों न ज़िन्दगी को खत्म करने के बजाए उसे बदल दें।
संन्यास ले लो फिर तुम्हें आत्महत्या करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि संन्यास लेने से बढ़कर कोई आत्महत्या नहीं है और किसी को आत्महत्या क्यों करनी चाहिए? मौत तो खुद-ब-खुद आ रही है, तुम इतनी जल्दी में क्यों हो ?
मौत आएगी, वह हमेशा आती है। तुम्हारे न चाहते हुए भी वह आती है। तुम्हें उससे जाकर मिलने की जरूरत नहीं है, वह अपने आप आ जाती है, लेकिन विश्वास करो तुम अपने जीवन को बुरी तरह से मिस करोगे। तुम गुस्से या चिंता की वजह से सूइसाइड करना चाहते हो। मैं तुम्हे असली सूइसाइड सिखाऊंगा। बस संन्यासी बन जाओ। वैसे भी साधारण सूइसाइड करने से कुछ ख़ास होने वाला भी नहीं है।
आप फौरन ही किसी दूसरे की कोख में कहीं और पैदा हो जाएंगे। इस शरीर से निकलने से पहले ही तुम किसी और जाल में फंस जाओगे और एक बार फिर तुम्हें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी जाना पड़ेगा, जरा इसके बारे में सोचो। उन सभी कष्ट भरे अनुभवों के बारे में सोचो। यह सब तुम्हे सूइसाइड करने से रोकेगा।
दुनिया में बहुत से लोग सूइसाइड करते हैं और साइकोएनालिस्ट कहते हैं कि बहुत कम लोग होते हैं, जो ऐसा करने का नहीं सोचते। दरअसल, एक आदमी ने इन्वेस्टिगेट करके कुछ डाटा इकठ्ठा किया, जिसके अनुसार हर इंसान जीवन में कम से कम चार बार सूइसाइड करने की सोचता है, लेकिन यह पश्चिमी देशों की बात है, पूरब में चूंकि लोग पुनर्जन्म को मानते हैं, इसलिए कोई सुइसाइड नहीं करना चाहता है।
क्या फायदा, तुम एक दरवाज़े से निकलते हो और किसी दूसरे दरवाजे से फिर अंदर आ जाते हो। तुम इतनी आसानी से नहीं जा सकते। मैं तुम्हें असली आत्महत्या करना सिखाऊंगा, तुम हमेशा के लिए जा सकते हो। हमेशा के लिए जाना ही तो बुद्ध बन जाना है।
– ओशो
किसी की आत्महत्या की खबर मुझे विचलित करती है,

_ क्योंकि आत्महत्या गहरे सदमे का परिणाम होती है.

खुद को मार लेने से ज्यादा साहस, जिन्दा रहने के लिए चाहिए होता है.
हर मृत्यु जीवन की क्षति है किंतु ..आत्महत्या या खुदकुशी !

_ यह तो सभ्य समाज पर प्रश्नचिन्ह है..

_यह जानना ही चेतना को सुन्न कर देता है कि किसी ने स्वयं से मुंह मोड़ लिया..

_ मरने से पहले मरने वाला कितना बेबस और अकेला होता होगा, उस वक़्त वह क्या सोचता होगा ?

..इतना निराश कि _ एक संघर्षमय अतीत के बाद ..चमकता वर्तमान ..और लोगों को ईर्ष्या हो उठे ..ऐसा भविष्य.. _ जब सामने हो तो बन्दा उठे और चुपचाप दृश्य से ओझल हो जाये..!!

_ यह सोचते हुए कि रखो तुम अपनी ख़ूबसूरत दुनिया, यह मेरे काम की नहीं..

_ यूँ जाना नहीं चाहिए किसी को …पर उससे ज़रूरी है कि ..हमें ऐसा वातावरण, ऐसा समाज बनाना चाहिए.. _ कि हम ही न जाने दें किसी को..

.. पकड़ लें हाथ कि दोस्त, भाई …सुनो …तुम बेहद ज़रूरी हो ..सबके लिए..

… नहीं तो कम से कम मेरे लिए..मत जाओ न.. हम हर परेशानी से मिलकर निपट लेंगे..!!

_पर नहीं हम करते क्या हैं.. ?

_ जब कोई परेशान हो, अवसाद में हो, कभी आत्महत्या की बात करे तो ..उसे अपनी महानता, संघर्ष के क़िस्से सुनाते हैं, उस पर तंज करते हैं, कायर, कमज़ोर कहते हैं या उसे अवॉयड करते हैं..

.. हम उसे न सुनते हैं, न समझते हैं न गम्भीरता से लेते हैं..

_ हमारे समाज में वह ज़िन्दगी ज़्यादा कीमती, ज़्यादा तवज्जो [ attention ] पाती है.. जो जीवित नहीं..

_ हमने जितना प्यार गुज़र चुके लोगों को किया .. उसका शतांश भी ज़िंदा लोगों को किया होता तो…

_ वह यूँ चुपचाप असमय न चले जाते…

_ ज़िंदा लोगों के लिए क़ब्र खोदने वाला समाज .. मरे हुओं पर आंसू बहाते हुए ..असल में अपनी शर्मिंदगी को छुपाता है..

_ ज़िन्दगी तुझे तो हम समझ ही नहीं पाए … पर मौत तू कितनी दिलकश है ..

..जो यूँ सितारे तुझे गले लगा लेते हैं..!!

बुरे हालातों में जब हमारा ही धैर्य हमारा साथ छोड़ रहा होता है, जब हमारा ही मन कई तरह की आशंकाओं से भरा होता है.

_ उन मुश्किल हालातों में अक्सर हम यह मान लेते हैं कि समस्या हमारे और हमारे अपनो के बीच है.

_ जबकि असल सच्चाई यह होती है की वही हमारा अपना हमारी नजरों से कहीँ दूर एक लड़ाई और भी लड़ रहा होता है और शायद वह उस लड़ाई में खुद से हार भी रहा होता है.
_ इसका एक औऱ दुखद पहलू यह भी है की अपनी कुछ आशंकाओं के चलते या अपने किसी डर के चलते वह किसी भी दूसरे को अपनी इस लड़ाई में शामिल तक नही करना चाहता,
_ इसलिए वह किसी भी तरह की मदद लेने से इनकार करता रहता है और एक दिन इसी जद्दोजहद में वह अपने ही खिलाफ अपनी ही ज़िन्दगी की सबसे बड़ी लड़ाई हार जाता है.
_ एक इंसान होने के नाते, उसका क़रीबी होने के नाते हमारा यह फ़र्ज़ बनता है कि हम अपनी आंखें हमेशा खुली रखें और इस बात का ध्यान रखें की कहीं कोई हमारा अपना ऐसी ही कोई लड़ाई तो नही हार रहा है ?
_ कहीं ऐसा तो नही की उसे हमारी मदद की जरूरत है और हम अपने गुस्से के चलते हम यह सब कुछ अनदेखा कर रहे हैं ?
_ कहीं ऐसा तो नही की वह हमें पुकारना तो चाहता है लेकिन अपने ही किसी डर की वजह से वह हमें पुकार नही पा रहा है ?
_ कहीं ऐसा तो नही की हम अपने ही शिकवे शिकायतों में इतने उलझे हुए हैं की हम यह भी नही देख पा रहे की हमारा ही कोई अपना अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई हार रहा है ?

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