सुविचार – भूख – 063

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बहुत वाकिफ़ हूँ मैं रोटियों की ताकत से, _

_ दो वक्त ना मिले तो मेरी औकात बतला देती हैँ..

भूख को समझने के लिए भूखा रहना पड़ता है – ” रहे _ हो _ कभी “
” खाने का स्वाद ” ज़ुबान नही भूख तय करती है.
रोटियां उन्हीं की थालियों से कूड़े तक जाती हैं, _

_ जिन्हें पता नहीं होता ” भूख क्या होती है “

जो कहता है कि जिंदगी बहुत हसीन है, _

_ शायद उसने कभी पेट की भूख नहीं देखी होगी.

छोटी – सी उम्र ने तजुर्बे बड़े दिखा दिए, _

_ पेट की भूख ने सैकड़ों हुनर मुझे सिखा दिए.

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