सुविचार – भूख – 063 | Mar 15, 2014 | सुविचार | 0 comments बहुत वाकिफ़ हूँ मैं रोटियों की ताकत से, _ _ दो वक्त ना मिले तो मेरी औकात बतला देती हैँ.. भूख को समझने के लिए भूखा रहना पड़ता है – ” रहे _ हो _ कभी “ ” खाने का स्वाद ” ज़ुबान नही भूख तय करती है. रोटियां उन्हीं की थालियों से कूड़े तक जाती हैं, _ _ जिन्हें पता नहीं होता ” भूख क्या होती है “ जो कहता है कि जिंदगी बहुत हसीन है, _ _ शायद उसने कभी पेट की भूख नहीं देखी होगी. छोटी – सी उम्र ने तजुर्बे बड़े दिखा दिए, _ _ पेट की भूख ने सैकड़ों हुनर मुझे सिखा दिए. Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ