सुविचार – यात्रा – घुमक्कड़ी – घूमना – 065

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जीवन में यात्रा करना एक अलग ही सुंदर अनुभव होता है, यात्रा करने से हर किसी व्यक्ति को देश- दुनिया के विषय में बहुत कुछ सीखने को मिलता है,

इससे व्यक्ति एक सीमा के अंदर बंधे रहने से मुक्त होता है और जीवन में नई चीजों के बारे में जानता है.

-“यात्रायें मनुष्य जीवन को बहुत कुछ अवलोकन तथा मूल्यांकन करने में सहायक होती हैं.”

जो आपको थका दे, जिससे आपको मानसिक तनाव हो, जिससे आपकी सेहत का नुकसान हो, उसे यात्रा मानना ही नहीं चाहिए ;

_ हुल्लड़ बाजी टूर नहीं होता ; यात्रा वही है जिससे आप कुछ सीखते हैं, जिससे आपको सुकून का अनुभव होता है, जिससे आप तरोताजा अनुभव करते हैं ;

_दूसरी संस्कृति या सभ्यता को जानना, दूसरी भाषा वाले लोगों से मिलना और जहाँ गए हैं वहां का भोजन करना ;

_ यात्रा करने से पहले खुद से एक सवाल कीजिए कि आप यात्रा कर क्यों रहे हैं ? इसके बाद ही यात्रा कि जगह फाइनल कीजिए..!!

मैं घुम्मक्कड़ों को सबसे अमीर समझता हूं, ये तिजोरी में सिक्के नही बल्कि किस्से जमा करते हैं.

कभी कभी अंदर से मन करता है कि कहीं दूर घूमने का, इंसानी दुनियाँ से बिल्कुल अलग, कुछ मालूम नही होता है जाना कहाँ हैं, घूमने की तीव्र इच्छा _ घर की चार दिवारी से आज़ाद होने का विगुल फूंक देती हैं.

हम मनुष्य आनुवांशिकी तौर पर घुमंतू ही तो थे, लेकिन वर्षो पहले एक दिन मनुष्य ने आग जलाई, फिर अपनी कुटिया बनाई, खेत और खूंटा बांधा और स्थाई हो गया, घुमंतू मन पीछे छूट गया.

लेकिन वही जब कभी हमारा पुरातन मन वापस लौटता है तब कहता है” चल घूमने चलें …

जो लोग अधिक यात्रा करते हैं , _ वे समय को धन के बराबर होने के सभी तर्कों को झुठलाते हैं ; _ उनके लिए समय ही जीवन है और उनके समय में धन का कोई स्थान नहीं है.

_ वे न्यूनतमवादी जीवन जीते हैं, उनके पास लेने के लिए कम देने के लिए अधिक होता है ; अनुभव बताते हैं कि जो लोग अधिक यात्रा करते हैं _वे कम आलोचनात्मक, अधिक लचीले और महान सहानुभूति रखने वाले होते हैं;

_ वे सभी रूढ़ियों को तोड़ते हैं और दुनिया को बताते हैं कि दुनिया के लोगों में कोई अंतर नहीं है ; दिल की गहराई से हम सब एक जैसे हैं और हम सभी अच्छे लोग हैं ; हमारी मूल प्रवृत्ति दूसरों की सहायता करना है.

घुमक्कड़ी सिर्फ आनंद और विलास का माध्यम नही, बल्कि, घुमक्कड़ी आपका ज्ञानवर्धन भी करती है ; _ आपका सांसारिक और व्यवहारिक ज्ञान बढ़ता है ; _ नई जगहों पर जाना, नये लोगों से मिलना, कई चुनौतियाँ, कई अच्छे – बुरे अनुभव आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं, आपके निर्णय लेने की छमता बढ़ जाती है.

आप कई तरह के मौसम और अलग-अलग जलवायु मे रहते हैं, कई तरह से शारीरिक श्रम करते है ; _ ये सभी आपकी शारीरिक क्षमता का विकास करती है आप शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनते हैं, _ जिससे आप किसी भी तरह के मौसम और परिस्थिति को झेल सकते हैं.

तो घुमक्कड़ी, सिर्फ आमोद-प्रमोद और विलासिता का साधन ना होकर, हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है ; _ घुमक्कड़ी हमारे सुखी जीवन के लिए नितांत आवश्यक है.

मेरा मानना है कि थोड़ा घूमिए… It’s Never Too Late to Start Traveling

हाँ घूमते और लोगों से मिलते हुए आप सुख-दुःख दोनों का अनुभव करेंगे, आपने लाइफ़ में जो प्रिंसपल बनाए हैं जीने के _ वो कई बार टूटेगें, जिसको अकड़ और औक़ात समझते हैं, वो समझ आने लगेगा.

_ यात्राएँ सिर्फ़ खूबसूरत दृश्य नहीं दिखाती हैं, असल में आईना दिखाती हैं…

कई लोग यात्राओं को फिजूल मानते हैं, पर ये वो ही लोग होते हैं जो कहीं जाते नहीं हैं,

_ मेरे हिसाब से यात्राओं से इतना कुछ सिखने को मिल सकता हैं जितना और कहीं नहीं मिलेगा.

जीवन यात्रा है, यात्राएं जीवनभर चलती रहेंगी ; _ यात्राएं जीवन सिखाती हैं ; _यात्रा ही मंजिल हो जाए तो मंजिल की चिंता नहीं रह जाती ; _ यात्राएं मंजिल हो जानी चाहिए ; _ जीवन को यात्रा बना लेना ही जीवन ही..
यात्रा केवल एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के बारे में नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है, _ यह मैंने हमेशा महसूस किया और अनुभव किया है,

यहां तक ​​​​कि हम 100 किमी की यात्रा भी करते हैं, हम उन चीजों का अनुभव करते हैं जो सीखने और बढ़ने में मदद करती है.

Travel is not only about going from one place to another its much beyond that. This I always felt and had experienced,

even we travel for a 100km we experience things that helps to learn and grow.

घुमक्कड़ी पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि आप इसके माध्यम से बहुत कुछ सीख सकते हैं.

_ घुमक्कड़ी should be part of syllabus as you can learn so much through it.

यात्रा केवल जगह देख लेना नहीं, __ उस जगह से आपने क्या जाना, सीखा या महसूस किया इन सबसे मिलकर बनती है.
यात्रा सिर्फ जीना ही नहीं सिखाती, यात्राओं से जीने का नजरिया बदलता है !!
कभी – कभी आपको खुद को खोजने के लिए अकेले यात्रा करनी चाहिए.

_ अकेले घूमने का अपना ही मज़ा है,,,.. तो आप भी सभी घुमक्कड़ी करते रहिए,_

_सोलो ट्रेवलिंग ज़िंदगी ही नहीं बदलते ज़िंदगी जीने का नज़रिया बदलते हैं ..

_ क्यूँ कि घुमक्कड़ी की फ़क़ीरी जिसने जी ली, _ वो दुनिया का सबसे अमीर इंसान है. _ इस क्षणभंगुर संसार का और इस शरीर का कुछ कह नहीं सकते कौनसा दिन आख़िरी होगा ये भी पता नहीं,;

_ तो बस मौज करो, अपनी मस्ती में मस्त रहो _ बिंदास रहो..

यदि हम ग़ौर करें तो ऐसा मालूम होता है, कि मानव इस धरती पर घूमने निकला हुआ है_

_ उसकी जिज्ञासा उसे कहीं ठहरने ही नहीं देती..

घुमक्कड़ी आपको सिखाती है, हर वस्तु से मोहब्बत करना और अपने साथ अनेकों लोगों के सपनों को जिंदा करने का काम कर देती है ।।
हर मुसाफिर यहाँ मंज़िल का इंतज़ार नहीं कर रहा खुश होने के लिए _

_ कुछ सफर का मज़ा भी जी भर कर ले रहे हैं..

“यात्रा पर ध्यान केंद्रित करें, गंतव्य पर नहीं ; _ ख़ुशी किसी गतिविधि [ Activity ] को ख़त्म करने में नहीं _बल्कि उसे करने में मिलती है.”

यात्रायें सबसे अच्छे प्यार की तरह होती हैं, जिसका वास्तव में अंत नहीं है.

_ वो मंजिल ही क्या जिसके रास्ते में मजा न हो..!

हम उस राह के राही नहीं, जिसे मंजिल की तलाश है..

_ हम तो वो हैं जो बस सफर का मजा लेने आये हैं !!

कुछ तो है जो घर नहीं दे पाता ;

_वर्ना ऐसे तो यात्रा में कोई नहीं रहता..!!

कुछ राहों के सफर को भी जी लेना चाहिए, _

_ हर सफर मंजिल तक पहुंचने का इरादा नहीं रखते..

” यात्रा का असली आनंद मंजिल से अधिक रास्तों पर मिलता है..”

तू चलता चल, ऐ पथिक _

_ बस इतना समझ, कि रास्ता जीत, और मंज़िल हार है..

अपने किसी विशिष्ट दायरे से निकल कर यात्रा करना और घूमना बेहद जरुरी है.
हर यात्रा एक किताब की तरह होती है, हर यात्रा के साथ अलग पन्ना खुलता है.
मंजिल प्राप्त करने से अधिक महत्वपूर्ण है _ एक अच्छा मुसाफ़िर बनना…!!!
कोई बातों में ही उलझ जाता है, _ और कोई यात्रा पर निकल जाता है.
कुछ सफर ऐसे होते हैं, _ जिनमें सिर्फ रास्ता ही हमसफर हो सकता है.
यात्राएँ हमें बहोत कुछ सिखाती हैं, _ बस निर्भर करता है हम कैसे हैं..
पहुचने से ज़्यादा ज़रूरी है… _ ठीक से यात्रा करना…
एक घूमना ही तो है जो इन्सान को जिन्दा रखता है !
मुश्किल रास्ते खूबसूरत मंजिलों तक ले जाते हैं..
यात्रा सिखाता हूँ मैं, _ मंजिल तो बहाना है
यात्रायें हमें नये संसार से मिलाती हैं !!
सफर से बेहतर कोई मंज़िल नहीं..
” मजे से चलो – चलने में ही मजा है,” लोगों को पहुँचने की बड़ी जल्दी है ; क्यों आप को इस रास्ते पर मजा नहीं आ रहा है ?

आप को चारों तरफ खिले फूल दिखाई नहीं पड़ते ? ये पेड़ों की छाया, ये हरियाली, ये पछियों के गीत, यह कलरव – इसमें आप को मजा नहीं आता ?

आप कहते हो, हमें तो मंजिल पर पहुंचना है –_– ” मैं मानता हूँ, यात्रा ही मंजिल है “–

जो लोग घूमने के दौरान सिर्फ फोटो ही लेते हैं _उन्हें अपना घूमना याद नहीं रहेगा ; उन्हें केवल यही याद रहेगा कि _उन्होंने कौन सी फोटो खींची थीं.

सफ़र सिर्फ मंजिलों तक पहुंचने के लिए नहीं होते बल्कि_

_ उन तमाम जगहों से गुजरने के लिए भी होते हैं जो मंजिल के रास्ते में पड़ते है.

मंज़िल तो आ ही जाएगी एक न एक दिन जनाब, _

_ आज ज़रा रुक कर इन राहों के हालात जान लेते हैं ..!!

सदियों से मुसाफ़िर हूँ, कई मंज़िल मिलीं, पर कई मिलनी बाक़ी है,

_ हर युग में होता है कोई ना कोई मेरे जैसा, _ उसे ढूँढना बाक़ी है…

जूते उतार देना _ मेरी यात्राओं की समाप्ति की घोषणा नहीं थी,

जीवन ने कुछ यात्राएं मुझसे नंगे पांव करवाई.

भारत मे घूमना फिरना सिर्फ मौज मस्ती या फिर धार्मिक कारणों से ही accept किया गया है. _ घूमने को शिक्षा मे शामिल ही नहीं किया गया, _घूमना शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है.

आप मानिए या ना मानिए ; _ घूमना आपको शिक्षित भी करता है ; _किताबों से कहीं ज्यादा..!!

_कई बार आपके शिछक से भी ज्यादा शिक्षा घूमना देता है.

लेकिन जब आप विशेष जगहों पर घूमेंगे तो कम resources मे रहना, बिना स्वाद का खाना, पर्वतों, पठारों के अंतर, नदियों के उद्गम स्थल, तापमानों के अंतर और उनका प्रभाव, लोगों की और पेड़ों के बनावट के अंतर, समुंदर की विशालता, विभिन्न टाइम जोन तथा ऐसी अनेकों शिक्षाएं हमें मिलती हैं,

संभव हो तो घूमिए और हर बार कोई नई टोपोग्राफी चुनिये, _ इसके दूरगामी प्रभाव का फाइदा उठायें.
__ कभी कहीं सुना और पढ़ा था कि यात्राएं अनुभव की ऐसी पिटारा होती हैं _जो मानव जीवन को सदैव से समृद्ध करती रहीं हैं.
घूमना सिर्फ पागलपन नहीं है,; घूमना जीवन की सार्थकता को करीब से देखना और उसे महसूस कर पाने की कसौटी पर खरा उतरना भी है.
उस सभ्यता, संस्कृति और लोक को समझना है.
”पर्यटन स्थलों के व्यापारीकरण और वहां बढ़ती भीड़ ने सब जगह _ऐसी बदसूरती फैला दी है कि _अब प्राकृतिक सौंदर्य कहीं नहीं बचा, केवल प्रसिद्धि बच गई है _जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं.”
—इससे आगे की बात और भी ज़ोरदार है: सैलानियों को देखकर ऐसा लगता है _जैसे वे घर से ‘मार्केटिंग’ करने के लिए निकले हैं _या फिर खाने-पीने;__ प्रकृति का सौंदर्य देखने तो कतई नहीं.”

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