सुविचार – राय – सलाह – 070

जब तक कोई सलाह मांगे नहीं, तब तक देना मत ; _

_और जब कोई सलाह मांगे, तो तभी देना, जब तुम्हारे जीवंत अनुभव से निकलती हो..

एक व्यक्ति जो लगातार आपकी सलाह मांगता है, फिर भी हमेशा आपके कहे के विपरीत काम करता है.

A person who constantly asks for your advice, yet always does the opposite of what you told them.

जिस व्यक्ति की सलाह का कोई मूल्य है, _ वह कभी बिना मांगे सलाह देता ही नहीं है..
सलाह देने वाले लोग होते हुए भी, _ अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है !!
समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा सलाहकार कौन है.
किसी की सलाह से रास्ते जरूर मिलते हैं, पर मंजिल तो खुद की मेहनत से मिलती है.
सलाह देने सब आ जाते हैं, साथ देने के लिए कोई नहीं आता.
जब आप खुद को अपनाते हैं, तब दुनिया की राय की कोई चिंता नहीं रहती.!!
लोग अक्सर अपनी राय, सलाह या जवाब देने में जल्दबाजी करते हैं,

_ लेकिन दूसरों के सवालों को सुनने या समझने में समय नहीं लगाते.!!

आपको ऐसी सलाह देने वाले बहुत कम मिलेंगे, जिससे आपका फायदा हो.

परंतु ऐसी सलाह देने वाले बहुत मिल जाएंगे, जिससे उनका अपना फायदा हो.

मानसिकता ऐसी हो गयी है कि अगर किसी को अच्छी सलाह दी जाए, तब भी सामने वाला समझता है कि उन पर अपनी बातें थोपना चाहता है.!
सलाह उसकी मानो _ जो सहयोग भी करता हो ;

_ क्योंकि सलाह के बिना सहयोग का कोई मूल्य नहीं..

बुद्धिमान व्यक्ति को सलाह की जरुरत नहीं होती, _

_ और मूर्ख व्यक्ति आपकी सलाह मानेगा नहीं.

जिंदगी में सिर्फ दो लोगों की सलाह लेना :-

– पहला ऐसे लोग खुद कामयाब हुए हैं, ऐसे लोगों से आप सीख सकते हो कि क्या करना चाहिए,

– दूसरा ऐसे लोग जो बहुत नाकामयाब हुए है, ऐसे लोग से आप सीख सकते हो कि क्या नहीं करना चाहिए,

– ऐसे लोगों की कभी सलाह मत लेना जो Normal Life जीते हैं, जो कामयाब भी नहीं हैं और नाकामयाब भी नहीं हैं,

मतलब कुछ बड़ा करने की कोशिश ही नहीं की.

खुद को प्रेरणा देना, खुद को सलाह देना बहुत सुंदर परिकल्पना है. कैसी भी स्थिति आ जाए खुद को राय देना और अपनेआप से मशविरा करना बहुत सकारात्मक रिजल्ट दिलवा देता है.

पराजित वह होता है जो स्वयं से संवाद करना बंद कर देता है. माना कि जीवन की जद्दोजेहद बहुत सारी हैं और उन का कोई रूप हमें दिखाई भी नहीं दे रहा है पर अपने अंतर्मन से राय ले कर देखें, तमाम जटिलताएं सुलझ जाएंगी.

शुरुआत से जीवन के अन्त तक हमें क्या हासिल होगा, हमारा जीवन कैसा होगा, यह सब समय समय पर लिए जाने वाले हमारे निर्णयों पर निर्भर करता है. कोई भी निर्णय लेने से पहले आत्मविष्लेशण जरुर करें, जहाँ एक सही निर्णय ज़िन्दगी बना सकता है, वहीँ गलत फैसला ज़िन्दगी बिगाड़  भी सकता है.

कभी- कभी हम कुछ फैसले अपने बड़ों या आस पास के लोगों के दबाव में ले लेते हैं, जो भविष्य में हमारे लिए मुसीबत बन जाते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि हमें किसी की सलाह पर अमल नहीं करना चाहिए, पर हमें सलाह और दबाव में अन्तर करना आना चाहिए.

लोगों की मानसिकता ऐसी हो गयी है या फिर लोगों में आधुनिकता घर कर गयी है,

_ उन्हें यदि अच्छी सलाह दी जाए, तब भी वे सिर्फ वहीं तक समझ पाते हैं कि सामने वाला उन पर अपनी बातें थोपना चाहता है…!

हम जीवन के हर मोड़ पर औरों की राय लेते हैं, हमारे हर चुनाव पर उनकी छाप होती है.

_ हम चलते हैं के हिसाब से… सोचिए ! क्या हम वास्तव में आगे बढ़ रहे हैं या और पीछे जा रहे हैं ?
_ हम उनसे सलाह इसलिए लेते हैं, क्योंकि उनके पास जीवन का अनुभव ज़्यादा है, ‘नहीं’ केवल उम्र बढ़ जाने से अनुभव नहीं बढ़ते.
_ केवल बाल सफेद हो जाने से जीवन की समझ नहीं आ जाती.
_ बाल तो उम्र भर चार दिवारी में कैद रहने वाले व्यक्ति के भी पक जाते हैं.
_ ग़ौर से देखिए, आप जिनसे सलाह लेते हैं उन्होंने कितनी किताबें पढ़ी है, अपने कदमों से कितनी दुनिया नापी है, कितने दार्शनिकों, चिंतकों, विचारकों, वैज्ञानिकों को जाना-समझा है.
_ क्या वे नये अनुभवों के प्रति खुले रहते हैं ? क्या उनमें तर्क करने की क्षमता है ? क्या वे पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर स्वतंत्र चिंतन कर सकते हैं ?
_ क्या उनमें सच सुनने की हिम्मत है ? सच बोलने में उनकी ज़बान काँपती है या नहीं ?
_ केवल परम्परा को ढोने और भीड़ के पिछलग्गू होने से अनुभव नहीं आ जाते.
_आप सोच के स्तर पर आगे नहीं, पीछे, पीछे और पीछे… जा रहे हैं.
_ आपका मानसिक विकास नहीं, पतन, पतन और पतन… हो रहा है.
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— आदमी बड़ी उत्सुकता से दुनिया-जहान की बात करता है – वह दूसरे लोगों की बात करेगा, आस-पड़ोस की बात करेगा, राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म, संस्कृति, सभ्यता की बात करेगा.
_ लेकिन जैसे ही बात के केन्द्र में उसकी अपनी ज़िन्दगी को लेकर आओ – पूछो कि तुम जैसे जी रहे हो, क्या यह जीने का उत्कृष्ट तरीका है ?
_ तुम जो कर रहे हो, क्या यह करना सर्वथा उचित है ?
_ क्या तुम जो मानते हो, उसकी बुनियाद मजबूत है ?
_ क्या तुम जो सोचते हो, उसे ईमानदारी से परखा है ?
_ कभी सोचा है कि तुम इतना डरे हुए से, दबे हुए से क्यों रहते हो ?
_ क्या तुम्हें सच में लगता है कि तुम्हारा जीवन सार्थक है ?…
– वह इस कदर झुंझला जाता है, मानो दुनिया का सबसे खतरनाक मिसाइल उसकी ओर छोड़ दिया गया हो..
_ और आसपास उसकी पकड़ में जो भी चीज़ आती है, वह उससे अपनी सुरक्षा करने की भरपूर कोशिश करता है.
_ लेकिन उसे गहराई से यह पता होता है कि वह कितना भी हाथ-पाँव मार ले, वह अपने आप को नहीं बचा पाएगा.
_ अजीब स्थिति है उसकी – वह दुनिया-जहान के बारे में बहुत-कुछ जानता है,
_ लेकिन अपने बारे में कुछ भी नहीं जानता.
— Chhitij

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