सुविचार – समस्या – समस्याएं – समस्याएँ – विषमताएँ – विषमताएं – 095

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आप जितना अपने भीतर की ऊर्जाओं को, शक्तियों को जानते जायेंगे, उतना ही उन्हें सकारात्मक और सृजनात्मक मार्ग की ओर मोड़ना आपके लिए सरल हो जाएगा.
अपनी ऊर्जा को चिंता करने में ख़त्म करने से बेहतर है,

_इसका उपयोग समाधान ढूंढ़ने में किया जाये.

_ हर समस्या का हल है, बस हल करना आना चाहिए..!!

किसी भी समस्या को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए, कई समस्याएं कुछ समय लेकर स्वयं सुलझ जाती हैं.
आप किसी समस्या का समाधान तब तक नहीं कर सकते _जब तक आप स्वीकार नहीं करते कि समस्या आपके पास है और उसे हल करने की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करते..!!
परिस्थितियां हमारे लिए समस्या नहीं बनती हैं ; समस्या तो तब बनती है, जब हमें परिस्थितियों से निपटना नहीं आता.
यदि आप समस्या को देख नहीं पाते हैं तो _आप समस्या का समाधान नहीं कर सकते;

_यहीं पर हममें से कई लोग फंस जाते हैं.
_हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि _कोई समस्या है,
_इसलिए हम इसमें गहरे फंसे रहते हैं..!!
_परिवर्तन का द्वार उस क्षण खुल जाता है _जब हम स्वीकार करते हैं कि _किसी चीज़ को हल करने की आवश्यकता है..!!
_समस्या को समझते ही स्थिति बदल जाती है..!!
_और ये मस्तिष्क के बंद पड़ चुके जर्जर द्वार को _आहिस्ते से खोलने का कार्य करेगी और _हमें नव ऊर्जा से भर देगी..!!
जब तक आपसी विचार-विमर्श और अभिव्यक्ति का खुला माहौल नहीं होगा,

_तब तक समस्याओं के किसी समाधान पर पहुंचना संभव नहीं है.!!

ऐसा नहीं है कि समस्याएँ या अमानवीय स्थितियाँ नहीं हैं, लेकिन समस्याओं पर शोर मचाने से बेहतर है कि समाधान की दिशा में एक छोटा सा कदम उठाया जाए.
समस्या यह है कि समस्या कि जड़ में न जाकर इसकी पत्तियों को छांटा जाता है कि इसमें कीड़े क्यों लग रहे हैं.
वादविवाद करना और विचारविमर्श करना, इन दोनों में अंतर है.

_वादविवाद का मंतव्य होता है इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि सही मैं हूँ,
_जबकि विचारविमर्श हमें इस निष्कर्ष पर पहुंचाता है कि सही क्या है.
समस्याएँ और विषमताएँ अब हमारे जीवन का अंग बन चुकी हैं,

_इनके साथ जीना सीख लें, इससे अवसाद नहीं रहेगा..!!
हम जितना ज्यादा गहराई से सोचते हैँ, समस्या उतनी ही ज्यादा नज़र आती है ;
_ वहीं अगर सामान्य रहकर हर समस्या को स्वतंत्र छोड़ दिया जाय तो..
_ हर समस्या का समाधान स्वयं ही निकल आता हैं, और मुश्किलें आसान होने लगती हैं..!!
जब आप समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो आपको और अधिक समस्याएं होंगी.

जब आप संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो आपके पास अधिक अवसर होंगे.

When you focus on problems you’ll have more problems.

When you focus on possibilities you’ll have more opportunities.

दूसरे लोगों की समस्याएँ तभी आपकी समस्या बनती हैं जब आप उन्हें समझते हैं.

Other people’s problems become your problem only if you pick up.

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