_ इसके बजाय, बचत के साथ खुशी को जोड़ें.
*तथा**व्यर्थ की चर्चा**मन की अवस्था को**प्रभावित करते हैं*
_हमारी निगाह इतनी पैनी नहीं है कि सच्चाई को ठीक से देख सकें..
_हमें कहीं और देखना होगा.. केवल वही खरीदें, _जो हमें चाहिए.!!
_ भीड़ भरा रास्ता हमें अपने रास्ते पर नहीं ले जा सकता.!!
जिसने समय रहते बचत की जरुरत को समझा हो.
_या फिर जितना खर्च करने कि इच्छा हो, _उतना कमाने की ताकत रखो..
आपके द्वारा निवेश किया गया पैसा आने वाले सालों में बढ़ता जायेगा और आकस्मिक समय आपके ही काम आएगा.
ऐसे में बेकार की चीजों पर पैसे खर्च हो जाते हैं.
इसी के सदुपयोग से जीवन सरस बनता है, समाज में आदर और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है.
यह तब एक समस्या बन जाता है, जब हमें कोई बड़ा खर्च उठाना पड़ता है.
यदि खर्च आमदनी से अधिक हुआ तो बड़ी आय से क्या लाभ?
मगर ध्यान रखिए कि जितनी बचत होगी उससे ज़्यादा खर्चा आने-जाने में न हो जाए.
खुद से ये सवाल पूछने की आदत डालिए: ‘क्या मुझे सचमुच इसकी ज़रूरत है? क्या पुराना सामान वाकई खराब हो गया है या मैं बस नयी चीज़ चाहता हूँ?’ अगर आप किसी चीज़ को बहुत कम इस्तेमाल करेंगे तो क्या उसे किराए पर लेना काफी होगा? या फिर अगर आपको लगता है कि आपको उसकी अकसर ज़रूरत पड़ेगी तो क्या पुराने (सेकंड हैंड) सामान से आपका काम चल सकता है?
दरअसल बात यह है कि अगर आप छोटी-छोटी चीज़ों में बचत करने की आदत डालें, तो आप बड़े-बड़े खर्चों में भी बचत करने की सोचेंगे।
क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन लेकर केवल दिखावे के लिए खर्चा करना बेवकूफी है.
(1) महीने के ज़रूरी खर्चों को लिख लीजिए। एक महीने में खाने, मकान (किराया या किश्त), बिजली, पानी, गैस, गाड़ी और ऐसी ही दूसरी ज़रूरी चीज़ों पर कितना खर्चा होता है, उसका पूरा हिसाब रखिए। जो पैसे आपको साल में एक बार चुकाने पड़ते हैं, उन्हें 12 से भाग कीजिए ताकि यह पता चले कि हर महीने उनके लिए कितना पैसा अलग रखना चाहिए।
(2) खर्च को अलग-अलग वर्गों में बाँटिए। जैसे कि खाने, घर, गाड़ी, आने-जाने और बाकी चीज़ों का खर्च।
(3) देखिए कि आपकी जमा-पूँजी में से हर महीने, हर वर्ग में कितने पैसे खर्च होंगे। “हिसाब” लगाइए कि जिन बिलों का भुगतान साल में एक बार किया जाता है, उनके लिए आपको हर महीने कितने पैसे अलग रखने चाहिए।
(4) घर के सभी सदस्यों की कुल आमदनी लिख लीजिए। उसमें से टैक्स वगैरह के पैसे घटा दीजिए, फिर उसकी तुलना कुल खर्च से कीजिए।
(5) एक महीने में हर वर्ग में कितना खर्चा होगा उसके पैसे अलग रखिए। अगर आप नकद रुपए इस्तेमाल करते हैं, तो एक आसान तरीका है कि आप हर वर्ग के लिए एक अलग लिफाफा बनाएँ। फिर समय-समय पर लिफाफे में तय खर्च के हिसाब से पैसे रख दीजिए।
सावधानी: अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके इस्तेमाल में एहतियात बरतिए! कई लोगों का बजट गड़बड़ा जाता है, क्योंकि उनके सामने ‘अभी खरीदो, बाद में चुकाओ’ का लालच रहता है।
कोई भी खरीदारी मनमाने ढंग से न करें,_कई लोगों के लिए, खरीदारी महज़ एक आदत है – _ और आदत हमेशा _असावधानी पर हावी हो जाती है.