सुविचार 2956

दुख – सुख ….

जब तक हम दूसरों के दुख-सुख में हाथ नहीं बंटाएंगे तब तक जीवन की सार्थकता साबित नहीं होगी.

जब हम दया, सेवा और कर्तव्य-पारायणता से भरे होते हैं तो अपने आप में आनंद अनुभव करते हैं.

सभी के बीच अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीना ही जीवन है.

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