उपकार न भूलें

जीवन में हमें जिन वस्तुओं के कारण लाभ प्राप्त होता है अकसर हम उन के प्रति अच्छे भाव रख कर उन्हें बारबार इस्तेमाल करना पसन्द करते हैं, जैसे फलां रंग या कपडे पहनने से मेरा काम बनता है या अमुक रास्ते या गाडी से जाने पर सफलता मिली थी, सँभवतः ऎसी बातों और किस्सों को हम जीवनपर्यन्त याद रखते हैं, लेकिन हम तब चूक जाते हैं जब हम उन व्यक्तियों, जिन्होंने हमारी सफलताओं व उन्नति में हमारा साथ निभाया था, को भूल जाते हैं.
जिस व्यक्ति के कारण हमारा काम बनता है उस समय हम उस का धन्यवाद व आभार देना नहीं भूलते. बहुत ऊँचे ऊँचे उपनामों से उस के सम्मान में कृतज्ञता के भाव भी प्रकट करते हैं, लेकिन फिर ” रात गई बात गयी ” की तर्ज पर कुछ समय के बाद ही हम उस व्यक्ति को क्यों भूल जाते हैं ? जब हम सफलता में रंग का, रास्तों का व अन्य वस्तुओं की भूमिकाओं को याद रखते हैं तो ऐसे व्यक्तियों को जीवनपर्यन्त य़ाद न रख कर हम अपनी स्वार्थी प्रवृति दर्शाते हैं, जबकि हमें ऐसे व्यक्ति को कभी भी नहीं भूलना चाहिए, जिस की वजह से हमारा काम बना हो या हमारी सफलता में उस के योगदान का मात्र अंश भर ही हो. किसी भी हाल में किसी के उपकारों को कभी न भूलें.

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