झाँक रहे है इधर उधर सब, अपने अंदर झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां, अपने मन में ताके कौन ?
सबके भीतर दर्द छुपा है, उसको अब ललकारे कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते, खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे,खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा, यह सीधी बात उतारे कौन ?