मस्त विचार – अँधेरे में दिया जला दो मेरा – 162

– अँधेरे में दिया जला दो मेरा –

अँधेरे में दिया जला दो जरा , मुझे कोई रास्ता सूझता नहीं.

जिंदगी पहेली बन गई है मेरी, मगर कोई उसको बुझता नहीं.

उठते हुए को पूजते हैं लोग , गिरते को कोई पूछता नहीं.

मन में पड़ी जो ऐसी दरार,लाख कोशिश से भी वो जुड़ता नहीं.

मोम-सा मन पत्थर बना,जो पिघलाने से भी पिघलता नहीं.

मन पर जख्म इतने गहरे हुए,जो मलहम लगाने से सूखते नहीं.

बता दो जहाँ में इंसान कोई , जो मुश्किलों से उबारे जरा.

– अँधेरे में दिया जला दो मेरा –

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected