मस्त विचार – चलो फिर घुल मिल जाते हैं – 1649

जीवन की इस आपा धापी में, मुश्किलें यूँ ही आयेंगी,

कुछ उलझेंगी, कुछ सुलझेंगी,

चलो एक दूसरे को हाथ बढ़ाकर, इनको हल्का कर जाते हैं,

एक बार फिर सब घुल मिल जाते हैं.

चाहे बड़ों ने कुछ गलत कह दिया, या मुँह से अपने कुछ फिसल गया,

चलो माँग कर माफी, बड़े बन जाते हैं.

हुई जो गलती कोई, छोटे से, माफ़ कर सीने से लगाते हैं,

बिना वजह न बात बढ़ाते हैं,

चलो एक बार फिर सब, घुल मिल जाते हैं,

करीब होकर भी ना दूर हो जायें, छोटी छोटी बातों से ना मन में भेद हो जाये,

चलो मिल बैठ कर मतभेद मिटाते हैं, चलो फिर पास आ जाते हैं.

कुछ हाथ न आयेगा, सब यहीं धरा रह जायेगा,

जरूरतों के लिये कुछ पाना है, पाने के लिये कुछ करना है,

चलों अपने लिये करते करते , कुछ अपनों को भी थोड़ा खींच लाते हैं,

अपने सुख से सुखी है दुनिया,

अपनों के ग़मों को चलो अपनाते हैं, अपनी खुशी में सबको मिलाते हैं,

चलो घुल मिल जाते हैं,

खाई की बातों को छोटा कर दो, दूरी नहीं अपनेपन की बात करो,

सबको बुलाते हैं, चलो पार्टी मनाते हैं,

दिनों को चलो उत्सव बनाते हैं,

दो धड़ों को मिलाने की, चलो पुलिया बन जाते हैं,

पुरखों को देखो फिर कैसे मुस्कराते हैं,

चलो फिर घुल मिल जाते हैं.।।

।। पीके ।।

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