मस्त विचार 1863

रिश्तों का एहसास अभी रहने दो,

थोड़ी सी तो प्यास अभी रहने दो.

चन्द चोटों से क्या घबराना,

मनुहार की आस अभी रहने दो.

तपते है कड़ी धूप में, झुलसते हैं,

तब डाल पर फूल कहीं खिलते हैं.

इन फूलों की खुशबु को,

फ़िजा में अभी तुम बिखरने दो.

बेशकीमती है ये आँसुओं के मोती,

अभी न इनको पलकों से बहने दो.

माना खुशी देती है, यादों की अविरल धारा,

क्या हासिल होता है, अतीत में डूबकर,

यादों के काफिलों को शहर से गुजरने दो.

खालीपन में अपनों से मिलकर,

प्रेम के मोती सजने दो.

कोरी आँखों मे ख्वाब भी नहीं आते,

इन आँखों की नमीं अभी रहने दो.

क्या पता कब आ जाये कोई थामने वाला,

काँधे पे सिर रख कर, फुट फुट कर,

गम का समन्दर बहने दो,

एहसास रहने दो, प्यास रहने दो ।।

।। पीके ।।

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