मस्त विचार 1928

उस चमकते हुए सूरज की धूप में जल जाते हैं सभी,

तुम उस आग में तप कर, एक बार फिर से जीना सीखो,

ऊँची उड़ान भर कर डर से लौट जाते हैं सभी,

तुम आसमां में उड़ कर उसमें गुम हो जाना सीखो,

बेशक है पैरों में बेड़ियां बंधी, जख्मी पैरों तुम दुबारा दौड़ जाना तो सीखो,

मजबूर सही पर वक़्त से हारना नहीं तुम,

एक बार इस वक़्त को तुम भी हराना तो सीखो,

उजालों में तो हर लम्हा साथ है ज़माना,

तुम अँधेरे से अकेले ही जूझ जाना तो सीखो,

ताउम्र आजमाती रही जिंदगी तुम्हें,

एक दफा तुम भी, जिंदगी को आजमाना तो सीखो.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected