मस्त विचार – है खामोश मगर सब कुछ कह जाता है – 288

है खामोश मगर सब कुछ कह जाता है.

है रंगीन मगर दुनिया को बेरंग नजर आता है.

कठोरता उसकी फ़ितरत नहीं.

लोगों की फ़ितरत है उसे कठोर समझना.

ख़ामोशी उसकी आदत नहीं.

लोगों की गलतफहमी है उसे खामोश समझना.

है रास्ते में पड़ा पर कुछ नहीं कह पाता है.

है सोचता कहने को बहुत कुछ.

पर जब किसी के पैरों तले आ जाता है.

खुद चलते नहीं संभल कर, दुनिया वाले.

सौ गालियां देने से चूकते नहीं, दुनिया वाले.

रहते हो पत्थर की नीवं में तुम.

पूजते हो पत्थर की ही मूरत तुम.

समझना हो तो पत्थर के दिल को समझ लो.

पत्थर के जैसा अडिग बन कर.

दुनिया में अपनी भी जीत हासिल कर लो.

बस यही पत्थर की जुबानी है.

पत्थर की छोटी- सी यही कहानी है.

है खामोश मगर सब कुछ कह जाता है.

है रंगीन मगर दुनिया को बेरंग नजर आता है.

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