मस्त विचार 309

गीता हूँ कुरआन हूँ मैं ; मुझको पढ़ इंसान हूँ मैं

ज़िन्दा हूँ सच बोल के भी ; देख के ख़ुद हैरान हूँ मैं

इतनी मुश्किल दुनिया में ; क्यूँ इतना आसान हूँ मैं

चेहरों के इस जंगल में ; खोई हुई पहचान हूँ मैं

खूब हूँ वाकिफ़ दुनिया से ; बस खुद से अनजान हूँ मैं

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