मस्त विचार 548

शहर की सड़को को गौर से देखा जाए

कोई रिश्ता सा इनसे भी नज़र आए,

मेरा कुछ था, मगर वो कुछ भी न था

रास्ता, वो जो रोज़ मेरे घर को जाए….

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