सुविचार 597

मनुष्य जिस तरह की बातें सोचने लगता है, उसी तरह की उसकी विचार धारा बन जाती है और जिस तरह की विचार धारा बन जाती है, उसी तरह का वह जीवन जीने लगता है.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected