कैसे मान लूँ कि तुझे मेरी परवाह नहीं…….. कैसे मान लूँ कि तू दूर है पास नहीं………. देर मैंने ही लगाई पहचानने में…..मेरे यार वरना तू ने जो दिया उस का तो कोई हिसाब नहीं. जैसे जैसे मैं सर को झुकाता चला गया वैसे वैसे तू मुझे उठाता चला गया.
कैसे मान लूँ कि तू पल पल में साथ नहीं……