*लगाइये* सवेरे मंजन, रात को अंजन.
*कीजियें* मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार.
*नहाइए* पहले सिर, हाथ पाँव फिर.
*खाइयें* दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी.
*पीजिये* दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर.
*खिलाइये* आयें को रोटी, चाहें पतली हो या मोटी.
*पिलाइए* प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि.
*छोडियें* अमचूर की खटाई, रोज की मिठाई.
*करियें* आयें का मान, जाते का सम्मान.
*सीखियें* बड़ो की सीख और बुजुर्गों की रीत.
*जाईये* दुःख में पहले, सुख में पीछे.
*ब्याहियें* ऐसी नार से, जो घर में रहे प्यार से.
*परखिये* चाहे सबको, छोड़ देना माता को.
*धोइये* दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को.
*सोचिएं* एकांत में, करो सबके सामने.
*बोलिएं* कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा.
*चलियें* तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी.
*सुनियें* सबो की, करियें मन की.
*बोलियें* जबाब संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर.
*सुनियें* पहले पराएं की, पीछे अपने की.
*रखियें* याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की.
*भुलियें* अपनी बडाई को और दूसरों की भलाई को.
*छिपाइएं* उमर और कमाई चाहे पूछे सगा भाई.
*लिजियें* जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी.
*धरियें* चीज जगह पर, जो मिल जावें वक्त पर.
*उठाइये* सोते हुए को नहीं गिरकर गिरे हुयें को.
*लाइयें* घर में चीज उतनी काम आवे जितनी.