सुविचार – *उठियें* जल्दी घर के सारें – 1009

*उठियें* जल्दी घर के सारें, घर में होंगे पौबारें.

*लगाइये* सवेरे मंजन, रात को अंजन.

*कीजियें* मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार.

*नहाइए* पहले सिर, हाथ पाँव फिर.

*खाइयें* दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी.

*पीजिये* दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर.

*खिलाइये* आयें को रोटी, चाहें पतली हो या मोटी.

*पिलाइए* प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि.

*छोडियें* अमचूर की खटाई, रोज की मिठाई.

*करियें* आयें का मान, जाते का सम्मान.

*सीखियें* बड़ो की सीख और बुजुर्गों की रीत.

*जाईये* दुःख में पहले, सुख में पीछे.

*ब्याहियें* ऐसी नार से, जो घर में रहे प्यार से.

*परखिये* चाहे सबको, छोड़ देना माता को.

*धोइये* दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को.

*सोचिएं* एकांत में, करो सबके सामने.

*बोलिएं* कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा.

*चलियें* तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी.

*सुनियें* सबो की, करियें मन की.

*बोलियें* जबाब संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर.

*सुनियें* पहले पराएं की, पीछे अपने की.

*रखियें* याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की.

*भुलियें* अपनी बडाई को और दूसरों की भलाई को.

*छिपाइएं* उमर और कमाई चाहे पूछे सगा भाई.

*लिजियें* जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी.

*धरियें* चीज जगह पर, जो मिल जावें वक्त पर.

*उठाइये* सोते हुए को नहीं गिरकर गिरे हुयें को.

*लाइयें* घर में चीज उतनी काम आवे जितनी.

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