कुछ बातों की गोपनीयता बना कर रखें. सहानुभूति पाने और अपना मन हलका करने के लिए हम अपने मन की बात दूसरों से करते तो हैं, लेकिन दूसरों की नजर में गिर भी जाते हैं. जगहंसाई भी इसी से मिलती है. बात मुंह बदलते देर नहीं करती. दूसरों को दोष देने से पहले यह तो सोचें, जो बात आप अपने पेट में नहीं रख सके, दूसरा क्यों रखेगा.