सुविचार – छोड़ दीजिए – 1060

 

*छोड़ दीजिए*

एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, _*छोड़ दीजिए*

बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, _ *छोड़ दीजिए।*

गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें, _*छोड़ दीजिए।*

एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, _  *छोड़ दीजिए।*

अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, _ *छोड़ दीजिए।*

यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, _ *छोड़ दीजिए।*

हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, _ *छोड़ दीजिए।*

बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, _ *छोड़ दीजिए।*

उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, _ *छोड़ दीजिए।* 

 

 

 

 

 

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