सुविचार – स्मृति, स्मृतियाँ, स्मृतियां, स्मृतिया, यादें, यादों, याद, फोटो, तस्वीर – 130

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स्मृतिया….यादें…..

स्मृतियों का नियंत्रण यदि आपके पास है तो जीवन में काफी कुछ आसान हो जाता है, क्यूंकि ज्यादातर हम विगत की अच्छी और बुरी यादों और बातों में उलझे रहते है ! और उनके अनुसार अपना वर्तमान बनाते है या प्रभावित कर लेते है !
अतः ऐसी चीज़ों पर नियंत्रण रखिये _क्युकी जो बीत गया वो कितना ही अच्छा या बुरा हो वर्तमान काल सर्वश्रेष्ठ होता है !!
हम कुछ भी कर लें, सफ़ल हो जाएं पर मन में छिपी कुछ शून्यताओं को कभी नहीं भर पाते …

_ वो स्मृतियों के दंश के रूप में वर्तमान रहकर हमेशा चुभती रहती हैं..!
खोए हुए पल और लम्हें कहाँ मिलते हैं ?
_ अगर मिलते हैं किसी की यादों से, किसी की बातों से, किसी की मुलाकातों से और सबसे बढ़कर किसी की संजोई हुई किसी वस्तु या कहानियों के माध्यम से तो जीवन का महत्व समझ में आता है कि हम उसे पल पल कितना क्षीण कर रहे हैं..!!
इंसान इस दुनिया में आने के बाद अकेला नहीं चलता, उसके साथ बहुत लोग होते हैं.

_ सारे अंत तक साथ नहीं जाते, कुछ बीच रास्ते में छूट जाते हैं.
_ ये बीच रास्ते में छूटे हुए लोग चाहे बाद के जीवन में ज़रूरी नहीं रह जाते,
_ हम उनके बिना जीना भी सीख जाते हैं लेकिन वे हमारी यादों में जीवित रहते हैं..!!
कुछ पुरानी तस्वीर हाथ लगी आज — धुंधली सी, लेकिन उसमें सब कुछ साफ़ था.

_ चेहरों पर वो मुस्कानें थीं, जो अब यादों में रहती हैं.
_ वक़्त जैसे थम गया हो उस एक फ्रेम में..
_ कोई आवाज़ नहीं, कोई हलचल नहीं — बस एक ख़ामोश एहसास, जो सीधा दिल में उतर गया.
_ तस्वीरें कभी बूढ़ी नहीं होतीं..
_ लोग बदल जाते हैं, रिश्ते छूट जाते हैं, लेकिन तस्वीरें वही रहती हैं — एक ठहरी हुई दुनिया में साँस लेती हुई.
_ यादें जब तस्वीर बन जाएँ, तो वो सिर्फ देखी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं..
_ जैसे किसी ने वक्त की धड़कनों को कागज़ पर छाप दिया हो.
_ कुछ तस्वीरें मुस्कुरा देती हैं, और कुछ… आँखें नम कर जाती हैं.!!
कुछ लोग, जिंदगी भर साथ निभाने का वादा करके, एक दिन अचानक आख़िरी “सीन” के साथ गुम हो जाते हैं,

_ जैसे हम कभी थे ही नहीं, जैसे वो कभी थे ही नहीं, छोड़ जाते हैं बस कुछ यादें अधूरी बातें, अधूरे सपने, और वो खामोशी.. जो अब कभी-कभार याद आती है.!!
वक़्त के साथ यादों का बक्सा हल्का होता जाता है,

_ कुछ यादें खो जाती हैं, कुछ धुंधली हो जाती हैं और हम खुद भी महसूसों में, जज़्बातों में थोड़े-थोड़े खर्च हो जाते हैं,
_ जैसे पुराने सिक्के, जो चलते-चलते घिस जाते हैं.!!
हम हमेशा उन्हें क्यों याद करते हैं जो हमारे नहीं हो सकते ?
Why do we always miss those who can’t be ours ?
खुशमिज़ाज इंसान से वह मेरी पहली और अंतिम मुलाकात साबित हुई.
_ अब याद ही याद.
कदर तब कीजिए जब कोई आपके पास है,

_ बाद में तो बस यादें और पछतावा रह जाता है.!!
यह अजीब है कि लोग कैसे कहते हैं कि वे आपको याद करते हैं,

_ लेकिन आपसे मिलने का प्रयास भी नहीं करते..!!
किसी को भूलने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे बिल्कुल भी याद ही न करो.!!
गुजरे हुए लोगों को याद करके रो लेना,
_ मगर ‘गए-गुजरों’ को याद करके.. अपनी यादों को मलिन और खराब मत करना.!!
कुछ यादें गहरी नींद में हैं.. उन्हें गहरी नींद में सोने दो !

_ हम उन्हें बेवजह क्यों जगाएँ और परेशान करें ?
_ अगर हम उन्हें जगा भी दें तो परेशानी उन जगाने वालों को ही होगी.!!
“यादें असल में अकेलेपन की साथी होती हैं,
_ जो आपको अकेलेपन से बचाकर रखती हैं.”
फोटो और तस्वीरों का होना ज़रूरी हैं..
_ जो आपको बाद में आपके सभी रस्मों-अनुष्ठानों की एक झलक दिखाए..!!
कुछ यादें हम इसीलिए सहेज कर रखते हैं..

_ क्योंकि वे जीवन भर हमारे मुस्कुराते रहने की वजह बनती हैं.!!
समय के साथ बहुत कुछ भूल जाते हैं…
_ लेकिन कुछ खास यादें बहुत याद आती हैं !!
तस्वीरों और यादों में रह जाते हैं कुछ लोग..
_ जिनके साथ हम पूरी जिंदगी रहना चाहते हैं.!!
कुछ यादों से झूझना ज़िन्दगी के सबसे कठिन पहलुओं में से हैं,
_ जहाँ इंसान पल-पल मरकर भी नही मरता…!
लोग सिर्फ काम पड़ने पर याद करते है, बाद में पहचानना भी भूल जाते हैं.
यादें भी कुछ कहती हैँ, अतीत में जो मिला उसको फिर से पाना चाहती हैँ.
यादें क्यों नहीं बिछड़ जाती है, लोग तो पल भर में बिछड़ जाते हैं.!!
अजीब लोगों का बसेरा हैं यहाँ, गुरुर में मिट जाते हैं मगर याद नहीं करते..
कुछ यादें फूलों जैसी होती हैं, लेकिन चुभती कांटों जैसी हैं..!!
बातें भूल जाती हैं, यादें याद आती हैं.!!
छोटी छोटी यादें ही जिंदगी का सरमाया होती हैं..

_जिन्हे याद करते जिंदगीभर कुछ खुशी तो कुछ गम दामन को बार-बार भिगोते रहते हैँ !!

याद रखना कि आज जो स्मृति में जगह बनाए हुए है, कल वह विस्मृत होगा.

_ और जो विस्मृत हो चुका है वह ज़रूर कभी न कभी स्मृति में लौटेगा.. “क्योंकि यही जीवन है..”

समय के साथ यादों का पिटारा हल्का होता जाता है, कुछ यादें कहीं सिमट जाती हैं,

_ कुछ धुंधली होकर भी अंदर ही अंदर झिलमिलाती रहती हैं और हम धीरे-धीरे एहसासों और संवेदनाओं में खो जाते हैं,
_ पुराने सिक्कों की तरह, जो प्रचलन में रहते हुए अपनी पहचान खो देते हैं.!!
अपनी यादें बनाएं … कहीं भी कैसे भी बनाएं..

_ ये वक्त जो बीत रहा है, लौट कर नहीं आएगा.
_ इससे बेहतर होगा, पर यह नहीं होगा.. इस वक्त की मासूमियत नहीं होगी..!!

_ ज़िंदगी यादों का पिटारा है, _ यादें हैं तो ज़िंदगी है.

_ हर आदमी की ज़िंदगी सिवाय यादों के कुछ भी नहीं..
_ कई यादें संयोग भी होती है.
_ ज़िंदगी के डॉट्स जोड़ेंगे तो कई कहानियां उभरेंगी.
_ सारी यादें बहुत सुखद हैं.
_ सुखद यादों को संजो कर रखना चाहिए..
_ मुश्किल घड़ी में ये यादें बड़ा सहारा बन जाती हैं..!!
अतीत कि अच्छी यादें प्रायः ही दोहराई जाने के कारण हमारे मस्तिष्क में रह जाती हैं..

_जब कि उस जीवन की कठिनाइयाँ हम भूल जाते हैं.
_ उस काल का जीवन भी कुछ अच्छा रहता था कुछ कठिन..
_ पर हमें उसके चुनिंदा पल ही याद रह जाते हैं..
_ और सोचा जाए तो यह हमारे लिए, हमारे स्वास्थ के लिए बहुत अच्छी बात भी है.
_ निःसंदेह आज की तरह उस समय भागदौड़ नहीं होती थी, प्रकृति से सामंजस्य था.
_ लोग शारिरिक श्रम करते थे ..अतः स्वस्थ्य रहते थे.
_ बड़े बड़े परिवार एक संग रहते थे और इसलिए परिवार के छोटे बड़े सब स्वयं को संरक्षित महसूस करते थे.
हमें केवल वही याद रहता है.. जो हमें वास्तव में पसंद या नापसंद था, बाकी सब कुछ समय की धुंध में खो जाता है.

_ कुछ लम्हे मुस्कान बनकर रह जाते हैं, कुछ ज़ख्म बनकर..
_ आखिर यादों को दिल ही चुनता है, दिमाग नहीं… कि कौन-सी यादें रहनी चाहिए.!!
मुझे सहेजना पसंद है, फिर चाहे वस्तुएं हों, गीत हों, मित्र हों, या किसी पसंदीदा शख्स की स्मृतियां हों..

_ यह सब छोड़कर मैं आगे नहीं बढ़ पाता..
_ अतीत में घटी कुछ अप्रिय घटनाओं ने जरूर निराश किया,
_ परंतु कुछ अच्छे लम्हों को भी मैं भूला नहीं हूं,
_ ज़िन्दगी अनन्त दुःखों और उम्मीदों से भरी है…!!

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