आज समूचा विश्व कई समस्याओं से जूझ रहा है.
_ अगर सभी समस्याओं के मूल में जाएं, तो अत्यधिक आबादी को पायेंगे.
_ पृथ्वी की छमता सीमित है और मनुष्य की आबादी असीमित.
_ इतने सुंदर ग्रह को हमने बर्बाद कर दिया और रहने लायक नहीं छोड़ा है.
_ हम ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण, बढ़ते समुद्री जल स्तर, ओजोन लेयर में छेद, भुखमरी, आतंकवाद, परमाणु खतरा इत्यादि समस्याओं से घिरे हैं.
_ इन सबकी जड़ में जनसंख्या है.
_ अगर हम अपना अस्तित्व बचाये रखना चाहते हैं, तो सोच समझकर इस दुनिया में बच्चे लाएं और उनके लिए अच्छी दुनिया छोड़ जाएँ.
_अगर जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही तो हमारे पास आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से भी ज्यादा बेहतर भविष्य नहीं है.
प्रकृति अपना संतुलन स्थापित स्वयं करती है और संभावना है कि प्रकृति आने वाले कुछ वर्षों में जनसंख्या संतुलन भी अपने दम पर कर लेगी.!!
आज आबादी का ये हाल है कि चाहे कितनी भी ट्रेनें, बसें और हवाई जहाज चला लें,
_ कहीं जगह नहीं है.
_ स्कूल और कालेज खोल दिए जाएं,- सीट नहीं है,
_ हर जगह भीड़ ही भीड़ और चारों ओर पसरी अव्यवस्था..!!
प्राइवेट जॉब में कब जॉब चली जाए, पता नहीं.!
_ दूसरी कब मिलेगी, मिलेगी भी या नहीं, पता नहीं..
_ सभी कुछ व्यवसाय कर पायें, संभव नहीं..
_ इसीलिए सारी मारामारी और समस्यायें..
_आबादी पर नियंत्रण, कानूनन और समुचित औद्योगिकीकरण ही राहत दे सकता है.!!
अगर एक नाव में जरुरत से ज्यादा लोगों को बैठाते हैं तो उसका डूबना तय है,
_ तो अत्यधिक जनसंख्या ले कर विकसित होना कैसे सोचा जा सकता है.
आप 100 रूपए 10 लोगों में बांटते हैं, और अगर वही 100 रूपए 100 लोगों में बांटते हैं तो एक के हिस्से कितने आएंगे,
_ बस यही है जनसंख्या का गरीबी से रिश्ता.