सुविचार – दुख – दुःख – 137

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साइकोलॉजी के अनुसार : आपको दुःख तभी होता है, जब आप किसी व्यक्ति या किसी बात को अपने मन में महत्व देते हैं,

_ अगर आप उस व्यक्ति या उस बात को महत्व देना बंद कर दें, तो दुख भी अपने आप कम हो जाएगा !
_ जब भी आप को दुखी होने का ख्याल आए, ख़ुद से कहें कि इस व्यक्ति या इस बात को महत्व देने से कोई फायदा नहीं है.
_ यही एक मानसिक तरकीब है, जिससे आप चैन से जी सकते हैं,
_ वरना, आप ज़िन्दगी भर किसी न किसी बात को लेकर दुखी होते रहेंगे..!!
दुख ही जगाता है, सुख तो सुलाता है.!!
कुछ बुरा हो जाए तो यह सोच कर तसल्ली करनी पड़ती है कि इससे भी ज़्यादा बुरा हो सकता था.

_ दुख में सब्र करने का यह अचूक नुस्खा है कि यह सोचिए, इससे बड़ा भी दुख हो सकता था.
_ कुछ बुरा हो जाए तो यह सोच कर तसल्ली कीजिए कि इससे भी ज़्यादा बुरा हो सकता था.
_ दुख सहने की शक्ति मिलेगी.!!
ये हिसाब नहीं रखना की कितना पाया कितना गवाया..!

_ बस चाहत इतनी हो कि दुख वहाँ से न मिले.. जहाँ अपना सुख लुटाया..!!
जिदंगी जीना ही है तो क्या सुख क्या दुख..
_ और दिहाड़ी लगानी है तो क्या छांव क्या धूप.!!
किसी ने दूसरों को कितना दुख दिया है,

_इसका एहसास उसे तब होता है.. जब कोई उसे वैसे ही दुःख देता है.
दूसरों को दुखी करके कोई भी व्यक्ति स्थायी सुख नहीं पा सकता..

_ समय हर चीज़ का हिसाब रखता है
किसी दुखी इंसान को तर्क देकर नहीं समझाया जा सकता, यहाँ समानुभूति (empathy) ही काम आएगी.. जैसे भूखे को पहले खाना चाहिए ज्ञान नहीं..!!
अपने दुःख-तकलीफ पर तुरंत एक्शन लें, कोई दूसरा नहीं आयेगा.!!
जब आप दूसरों के लिए अच्छे बन जाते हैं, तो अपने लिए भी आप बेहतर बन जाते हैं.
टूटना, गिरना, गिरकर फिर से उठना और आगे बढ़ना, यहीं जिंदगी का सफर है..

_ जो सकारात्मक ऊर्जा फैला रहा हो उसके जीवन में भी कष्ट है, दुःख है और पीड़ा भी है, यहीं वास्तविकता है.!!
इस जीवन कि पाठ्शाला में हमें यही तो सीखना है कि समय के साथ कदम से कदम मिलाकर कैसे चला जाए, वरना हमेशा किसी न किसी बात को लेकर ऎसे ही दुःखी रहेंगे.
जीवन सतत चलता रहता है और उसे चलते रहना भी चाहिए ;

_ सुख -दुःख, प्रसन्नता -पीड़ा आते -जाते रहते हैं..
_ जब जैसी परिस्थितियां होती हैं.. इंसान उस अनुकूल ख़ुद को ढाल लेता है.
_ जीवन का लचीलापन जीवन को सुगम बनाता है और अकड़ जीवन को कठिनाइयों से भर देती है.!!
दुःख कभी जिंदगी नहीं खाता, वो बस जिंदगी की रोशनी बुझा देता है.

_ दुःख बाहर से हमारा कुछ नहीं बिगाड़ता, चेहरा वही रहता है, आवाज़ भी वही, लेकिन भीतर जैसे मन की दीवार में रोज़ एक ईंट कम हो रही है.
_ दुःख को सजाकर अच्छा नहीं दिखाया जा सकता, इसे सिर्फ झेला जा सकता है, खामोशी से चुपचाप.!!

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