*दरख्तों से रिश्तों का,* *हुनर सीख लो मेरे दोस्त..
**जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,* *तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं…*
– यह ऎसी नीति है, जिसे घर के बड़े बुजुर्ग हमेशा सीखाते हैं, _ इसे लागू करें फिर नतीजा देखें.
पहले सुनें फिर धुनें, उसके बाद गुनें और तब बोलें –
दुनिया का सबसे फायदेमंद सौदा बुजुर्गों के पास बैठना है,_
_ चंद लम्हों के बदले में वो आपको बरसों का तजुर्बा देते हैं..
मिल कर किसी बुजुर्ग से महसूस ये हुआ,_
_ लम्हों में कैद हो गया जैसे सदियों का राज….!!
मुश्किल है बहुत मरते दम तक जीना,
_ किस्सा सुना रहा था एक बुजुर्ग जिंदगी का..!!
“गमलों में पौधे लगाते हैं, पेड़ नहीं”.…. पौधों को हमेशा अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है..
_ पेड़ों की जड़ों ने भूमि को इतनी मजबूती से पकड़ रखा है कि _ वह अपने अतिरिक्त फल फूल वाले हिस्से को भी आसानी से संभाले रहते हैं…
_ “हमारे घर के बड़े बुजुर्ग यह वही जड़ है” जो हमारे आने वाले बच्चों के जो फल फूल के रूप में है संभाले रहते हैं ….
_ मगर आज की एकल परिवार की परिभाषा ने, परिवार नाम की संस्था को आजादी के नाम पर, बदल कर रख दिया है….
_ अगर आप अपने बड़ों को उचित सम्मान नहीं दे रहे, तो आप भी तैयार है कि आपके बच्चे बड़े होने पर आपको भी छोड़ कर चले जाएंगे..
_ उस वक्त दुखी होने का कोई मतलब नहीं बनता…।।
_ आज के वक्त एक अच्छा पैसा देकर हम घर में नौकर रख लेते हैं. ..बच्चों के देखभाल के नाम पर ;
_ मगर अपने बूढ़े मां-बाप को रखना बुरा लगता है..
_ वो अभिभावक, जिनकी वजह से आप आज हैं,, तो हम सब को समझना होगा… उनके संरक्षण के बिना आप बिल्कुल विकसित नहीं हो सकते….
_ किताबी ज्ञान अलग चीज है.. दुनियादारी अलग चीज है..
_ हमारे घर का एक बुजुर्ग अपने आप में न जाने कितनी किताबें को समेटे हुए है.
_अपने जीवन के अनुभव को कुछ मिनट में हमारे बच्चों के अंदर डाल देते हैं,
_ इसलिए अपने बुजुर्गों की इज्जत करिए, उन्हें संभालिए..
_ अगर आपके पास है तो,,, उनकी कदर करिए.
बुजुर्गों, इस गलतफहमी में न रहिए कि आपके आशीर्वाद की किसी को ज़रूरत है.
_ ज़रा सा बीमार पड़िए, फिर देखिए, परिजनों की आपस में बोलती हुई आँखें.. ‘शायद अब छुट्टी मिल जाए ?’
_ जिस-जिस को पूरा जीना है, अपनी युवावस्था तक घोर मनमौजी तरीके से जी लो.. युवावस्था ना मिलेगी दोबारा..
_ असली जीना युवावस्था में ही होता है.
_ आदमी में शारीरिक शक्ति, दिमाग में बहुत कुछ कर जाने की हलचलें, मन में आत्मबल, हद से ज़्यादा कर गुजरने का जोश, जोखिमों से भी न डरने का साहस, दुनिया को जीत लेने का जज़्बा, दिल प्रेम से लबालब भरा, आँखों में सच हो सकने वाले सपने, चारों तरफ अपने ही अपने..
_ आदमी सबसे ज़्यादा काम इस अवस्था में ही करता है.
_ उसके पास बहुत लम्बा वक़्त होता है.
_ उम्र के सबसे अधिक साल युवावस्था को मिले हैं, 13-14 वर्ष की उम्र से लेकर आदमी 60-70 वर्ष की उम्र तक युवा रहता है, रह सकता है, महसूस कर सकता है.
_ इसलिए जीवन की असली आनंददायी अवस्था युवावस्था ही है.!!