सुविचार – बुजुर्ग – बुजुर्गों – 1565

*दरख्तों से रिश्तों का,* *हुनर सीख लो मेरे दोस्त..

**जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,* *तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं…*

पहले सुनें फिर धुनें, उसके बाद गुनें और तब बोलें –

– यह ऎसी नीति है, जिसे घर के बड़े बुजुर्ग हमेशा सीखाते हैं, _ इसे लागू करें फिर नतीजा देखें.

दुनिया का सबसे फायदेमंद सौदा बुजुर्गों के पास बैठना है,_

_ चंद लम्हों के बदले में वो आपको बरसों का तजुर्बा देते हैं..

मिल कर किसी बुजुर्ग से महसूस ये हुआ,_

_ लम्हों में कैद हो गया जैसे सदियों का राज….!!

“गमलों में पौधे लगाते हैं,पेड़ नहीं”.…. पौधों को हमेशा अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है ..

पेड़ों की जड़ों ने भूमि को इतनी मजबूती से पकड़ रखा है कि _ वह अपने अतिरिक्त फल फूल वाले हिस्से को भी आसानी से संभाले रहते हैं…

“हमारे घर के बड़े बुजुर्ग यह वही जड़ है” जो हमारे आने वाले बच्चों के जो फल फूल के रूप में है संभाले रहते हैं ..

.. मगर आज की एकल परिवार की परिभाषा ने, परिवार नाम की संस्था को आजादी के नाम पर, बदल कर रख दिया है..

..अगर आप अपने बड़ों को उचित सम्मान नहीं दे रहे, तो आप भी तैयार है कि आपके बच्चे बड़े होने पर आपको भी छोड़ कर चले जाएंगे.. उस वक्त दुखी होने का कोई मतलब नहीं बनता…।।

आज के वक्त एक अच्छा पैसा देकर हम घर में नौकर रख लेते हैं. ..बच्चों के देखभाल के नाम पर ;

_ मगर अपने बूढ़े मां-बाप को रखना बुरा लगता है..

_ वो अभिभावक, जिनकी वजह से आप आज हैं,, तो हम सब को समझना होगा… उनके संरक्षण के बिना आप बिल्कुल विकसित नहीं हो सकते..

..किताबी ज्ञान अलग चीज है.. दुनियादारी अलग चीज है _ हमारे घर का एक बुजुर्ग अपने आप में न जाने कितनी किताबें को समेटे हुए है.

_अपने जीवन के अनुभव को कुछ मिनट में हमारे बच्चों के अंदर डाल देते हैं,

_ इसलिए अपने बुजुर्गों की इज्जत करिए, उन्हें संभालिए.. अगर आपके पास है तो _ उनकी कदर करिए.

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