यहाँ कोई भी अपना जीवन अपने स्वभाव में, अपने ढंग से नहीं जीता है. सभी दूसरों को खुश करने में अपना जीवन बरबाद कर रहे हैं. सभी अपनी सारी जीवन ऊर्जा को दूसरों को प्रभावित करने में नष्ट कर रहे हैं. कोई कभी भी किसी दूसरे को खुश नहीं कर सकता है. जब कोई स्वयं से ही खुश नहीं है तो, वह दूसरों को खुश कैसे कर सकता है, जबकि स्वयं को स्वयं के द्वारा ही खुश किया जा सकता है.