हम किसी की मदद उसके ख्वाबों को पूरा करने में तो कर सकते हैं..
_ लेकिन जब कोई इंसान ख़्वाब ही न देखे तो हम उसकी आंखों में ख़्वाब नहीं भर सकते.
_ हस्सास इंसान दूसरों की दुःख तकलीफ़ मेहसूस भी करता और परेशान भी होता है.
_ हम उनकी मदद भी करते हैं, उन्हें सुनते भी हैं, अपनी हदों से आगे जाकर उसकी मदद भी कर सकते हैं लेकिन हम किसी और के हिस्से की कोशिश नहीं कर सकते.
_ हम किसी का हौसला तो बढ़ा सकते हैं, हम रास्ता भी दिखा सकते हैं..
_ लेकिन हम किसी और के हिस्से का क़दम नहीं बढ़ा सकते हैं.
_ कुछ लोग हमारे मूंह पर तमाचा मार जाते हैं कि तुम नहीं समझोगे,
_ हां हम वाकई नहीं समझते.. क्योंकि हम चाहते हैं कि आप अपनी लड़ाई ख़ुद लड़ें.
_ रास्ता दिखाया जा सकता है लेकिन रास्ते पर उसी को चलना होता है जिसकी लड़ाई होती है.
_ सच तो ये है कि मुझे अब किसी भी चीज़ का कोई मलाल नहीं है कि मैंने किसी ऐसे अपने जानने वाले इंसान की मदद नहीं की.. जिसकी मदद की जानी चाहिए थी.
_ दरअसल ज्यादातर लोगों को मदद नहीं चाहिए होती है बस एक कंधा चाहिए होता है जहां वो बस सुना पाएं और रोते रहें.
_ मैंने ऐसे तमाम रोने वाले लोगों से दूरी इख्तियार कर ली है.
_ अब मैं अगर उन्हें सुनती हूं तो उतना जितने में मेरे ज़हन पर कोई असर न हो, और सलाह देनी तो बिलकुल ही बंद कर दी है.!!
– Nida Rahman