सुविचार – शिष्य और गुरु – 207

मन के अंधेरों को तू है मिटाता.

_ ज्ञान के प्रकाश को है बिछाता.
_ प्रेम की पुलक को है बढ़ाता.
_ भटकों को सन्मार्ग दिखाता.
_ रोते मन को रोज हंसाता.
_ मृत जीवन में सांस चलाता.
_ दुखियों के दुख दर्द मिटाता.
_ मोह ममता से बाहर लाता.
_ सदाचार का पाठ पढ़ाता.
_ साहिब का सन्देश सुनाता.
_ क्या है उस से अपना नाता ?
शिष्य और सतगुरु का::::::

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected