सुविचार 215

जब देता है तो भर-भर देता है..

_जब लेता है तो कण-कण समेट लेता है..
_न देने का कोई तर्क..
_न लेने का कोई तर्क..
_बिना किसी तर्क के दुनिया चला रहा है..
_फिर भी सब उसके दीवाने..
_वह जो भी है..
_है भी या नहीं..
_कमाल ही कमाल है..
_बेवजह खुश है..
_जब कि उसकी दुनिया में
धमाल ही धमाल है..!!

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected