“जीवन का सत्य”
‘लोहा’ नरम होकर…’औजार’ बन जाता है,
‘सोना’ नरम होकर…’जेवर’* बन जाता है,
‘मिट्टी’ नरम होकर…’खेत’* बन जाती है,
‘आटा’ नरम होता है तो ‘रोटी’ बन जाती है,
ठीक इसी तरह अगर “इंसान” भी नरम हो जाये तो लोगो के “दिलों” मे अपनी जगह बना लेता है.
_सदैव बेहतर की उम्मीद करे !_”खुश रहिये मुस्कुराते रहिये”