सुविचार 2195

“जीवन का सत्य”

‘लोहा’ नरम होकर…’औजार’ बन जाता है,

‘सोना’ नरम होकर…’जेवर’* बन जाता है,

‘मिट्टी’ नरम होकर…’खेत’* बन जाती है,

‘आटा’ नरम होता है तो ‘रोटी’ बन जाती है,

ठीक इसी तरह अगर “इंसान” भी नरम हो जाये तो लोगो के “दिलों” मे अपनी जगह बना लेता है.

_सदैव बेहतर की उम्मीद करे !_”खुश रहिये मुस्कुराते रहिये”

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