कोई ” जन्नत ” का तालिब है, तो कोई अपने ” गम ” से परेशान ;
_ ” जरूरतें ” सजदा करवाती हैं, आजकल ” इबादत “कौन करता है..
हम हैं काबा हम हैं बुतख़ाना हमीं हैं कायनात,
_ हो सके तो खुद को भी इक बार सजदा कीजिए.
_ ” जरूरतें ” सजदा करवाती हैं, आजकल ” इबादत “कौन करता है..
_ हो सके तो खुद को भी इक बार सजदा कीजिए.