सुविचार 2441

कोई ” जन्नत ” का तालिब है, तो कोई अपने ” गम ” से परेशान ;

_ ” जरूरतें ” सजदा करवाती हैं, आजकल ” इबादत “कौन करता है..

हम हैं काबा हम हैं बुतख़ाना हमीं हैं कायनात,

_ हो सके तो खुद को भी इक बार सजदा कीजिए.

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